S. No. | Manuscript Title & Author | Page No. | Read Article | Language |
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1 | वेदों में कर्म सिद्धांत के स्वरूप का विश्लेषण ओम जी, स्वागतिका दाश |
115-118 | Hindi |
2 | योगाभ्यास से सकारात्मक चिन्तन की प्राप्ति – एक विवेचनात्मक अध्ययन वर्षा, डॉ. दिलीप कुमार तिवारी |
90-92 | Hindi |
3 | स्वामी विवेकानंद की योग साधना पद्धति की उपयोगिता शशांक गुप्ता, डॉ. गणेश प्रसाद गुप्ता |
86-89 | Hindi |
4 | प्रकृति, प्रेम और भक्ति: विद्यापति की कविता के आध्यात्मिक आयामों का अनावरण शशांक तिवारी |
33-39 | Hindi |
5 | पंचतंत्र में राजनीतिक विचार आकांक्षा द्विवेदी |
30-32 | Hindi |
6 | गीतादर्शन में “ध्यानयोग” का अवलोकन निमेश कुमार सिंह |
14-17 | Hindi |
7 | गर्भसंस्कार में प्रयुक्त मंत्रों का विश्लेषण: एक विस्तृत अध्ययन शुभम राय, डॉ उर्वशी सी पटेल |
04-07 | Hindi |
8 | झारखण्डशतकम् का समीक्षात्मक अध्ययन निमेश कुमार सिंह |
166-170 | Hindi |
9 | जुलूस उपन्यास में विभाजन के सांस्कृतिक घाव डॉ. गौरी त्रिपाठी |
159-163 | Hindi |
10 | वर्तमान में दायभाग के विभाजन की प्रासङ्गिकता डॉ. रविदत्त शर्मा |
153-156 | Hindi |
11 | मनुस्मृति और गरुड़ पुराण में राष्ट्रवाद तथा दंड व्यवस्था डा.पङ्कज कुमार माहाना |
145-147 | Hindi |
12 | अक्षरपुरुषोत्तमदर्शन में अक्षरब्रह्मतत्त्व विषयक विचार : अनंतकोटि मुक्तों से भिन्न तथा उत्कृष्ट होने के सन्दर्भ में डॉ. कृष्ण गजेन्द्र पण्डा |
130-136 | Hindi |
13 | मेलघाट के प्राथमिक शाला के पाठ्यक्रम में कोरकू बोली का प्रयोग डॉ. पन्नालाल लक्ष्मण धुर्वे |
78-81 | Hindi |
14 | सञ्चार एवं कालिदास नाट्यशैली मोनिका |
45-48 | Hindi |
15 | पाणिनीय व्याकरण व भोज व्याकरण के स्वर सन्धि प्रकरण का तुलनात्मक अध्ययन सोनू |
38-41 | Hindi |
16 | भारतीय संस्कृति के पर्व एवम् उनके भेद डॉ. हरेकृष्ण झा |
31-34 | Hindi |
17 | ‘अंधेर नगरी ’: समसामयिक परिप्रेक्ष्य मौसम तिवारी, डॉ. स्नेहलता दास |
19-24 | Hindi |
18 | हिन्दी कहानियों में वृद्धा स्त्रियों की व्यथा के विविध आयाम सलोनी प्रिया |
15-18 | Hindi |
19 | रामायण के परिप्रेक्ष्य में यज्ञ – विधान डॉ. सपना चंदेल, वर्षा कुमारी |
01-05 | Hindi |
20 | ‘संस्कृत मृतभाषा है : मिथक का एक विवेचनात्मक अध्ययन’ शैलेश कुमार कुशवाहा |
175-178 | Hindi |
21 | आदिवासी दर्शन और मानव कल्याण का प्रश्न अनु सुमन बड़ा |
166-168 | Hindi |
22 | अभिनवशुकसारिका में संस्कृतेतरभाषा शब्द-प्रयोग डा चमन लाल |
156-157 | Hindi |
23 | आधुनिकता और सामाजिक मूल्यों का ह्रास डॉ दीपा शर्मा |
137-139 | Hindi |
24 | वृद्धावस्था : आदर्श और यथार्थ धीरज कुमार गुप्ता, डॉ. आदित्य कुमार गुप्ता |
124-127 | Hindi |
25 | प्रयोगवादी कविता : भाषा की प्रयोगशाला सुदेश कुमार |
113-115 | Hindi |
26 | भ्रमरगीत : शहर बनाम गाँव डॉ. राजेश्वरी के. |
96-100 | Hindi |
27 | हिन्दी उपन्यासों में पर्यावरण : एक विश्लेषणात्मक अध्ययन ज्योति |
93-95 | Hindi |
28 | आधुनिक युग में यज्ञों की प्रासङ्गिकता एवं वैज्ञानिकता विमलेश कुमार राय, डॉ० चूड़ामणि त्रिवेदी |
83-86 | Hindi |
29 | पुराणों में वर्णित मिथिलाञ्चल की सीमा-रेखा डॉ. हरेकृष्ण झा |
74-76 | Hindi |
30 | महिलाओं में राजनीतिक चेतना : एक दृष्टि डॉ. अमृता गहलोत |
44-46 | Hindi |
31 | आदर्श व्यक्तित्व विकास की आधारशिला: श्रीमद्भगवत गीता के विशेष संदर्भ में आचार्या मीनाक्षी कोठारी, डॉ.रामभूषण बिजल्वाण |
34-36 | Hindi |
32 | रणेन्द्र की कविताओं में स्त्री-लोक परिवेष की सहजता और सघनता रेखा कुमारी |
10-12 | Hindi |
33 | महाभारत में राजधर्म एवं मानव कल्याण का बिकास और प्रभाब Prasanjit Barman |
01-06 | Hindi |
34 | श्रीदेवीचरितम् महाकाव्य समीक्षात्मक अध्ययन निमेश कुमार सिंह |
180-185 | Hindi |
35 | ‘वाया मीडिया: एक रोमिंग कॉरस्पॉडेंट की डायरी’ तथा ‘फ्रीलांसर’ उपन्यासों में महिला पत्रकारों की स्थिति डॉ. लेखा. एम |
173-175 | Hindi |
36 | मोहन राकेश के नाटक : यथार्थ की नई पहचान सुश्री सस्मिता पति, डॉ. सुशांत कुमार विश्वाल |
165-169 | Hindi |
37 | महीप सिंह की कहानियाँ : युग जीवन का यथार्थ रश्मिरेखा बेहेरा, डॉ. सुशांत कुमार विश्वाल |
161-164 | Hindi |
38 | रामायण में राजधर्म एवं मानव कल्याण Prasanjit Barman |
113-115 | Hindi |
39 | कुमाउनी साहित्य में चित्रित पर्यावरण-संरक्षण की चेतना गिरीश चन्द्र |
105-109 | Hindi |
40 | सप्तम भाव वैवाहिक दर्पण शशांक शर्मा |
97-100 | Hindi |
41 | योग का स्वास्थ्य पर महत्व पूजा, डॉ राकेश कुमार |
66-68 | Hindi |
42 | मंत्री परिषद, युद्ध व्यवस्था, दूत व्यवस्था, सैन्य प्रशासन मंत्री परिषद डा० सुषमा जोशी |
61-63 | Hindi |
43 | डॉ श्यामदेव पाराशर: व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व डॉ अमिता रेढू |
53-57 | Hindi |
44 | गोविन्द मिश्र के उपन्यासों में स्त्री के संघर्ष का स्वरूप सोनिया सांगवान |
50-52 | Hindi |
45 | श्रीमद्भगवद्गीता में चतुर्विध पुरुषार्थ की अवधारणा 1.महाबीर शुक्ल, 2.विनोद पटेल, 3. मृत्युञ्जय पाटीदार, 4.प्रो. नीरू नत्थानी |
33-36 | Hindi |
46 | ‘सुरंग में सुबह’ उपन्यास और 21वीं सदी की राजनीति अकबरअली शेख |
24-28 | Hindi |
47 | ध्रुपद गायन के तत्वों का घरानों में समावेश Dr. Renu Gupta |
13-18 | Hindi |
48 | ‘सुदामचरितम्’ महाकाव्य का काव्य वैशिष्ट्य कनीज़ फात्मा |
01-03 | Hindi |
49 | यज्ञसंस्था एक समाजसंस्था डा. ओंकार यशवन्त सेलूकरः |
202-205 | Hindi |
50 | गीतांजलि श्री की कहानी ‘एक नन्ही मुस्कान’ में मानवीय संबंध डॉ. लेखा. एम |
190-193 | Hindi |
51 | ‘आषाढ़ का एक दिन’ में भावना और यथार्थ का संघर्ष मौसम तिवारी, डॉ. स्नेहलता दास |
184-186 | Hindi |
52 | मशीनी अनुवाद और भाषिक टूल्स डॉ. जयराम गाडेकर |
114-117 | Hindi |
53 | महाभाष्य में काल तत्त्व विमर्श नागेन्द्र कुमार |
110-113 | Hindi |
54 | गोविन्द मिश्र के उपन्यासों में आर्थिक चेतना सोनिया सांगवान |
107-109 | Hindi |
55 | मिश्रित अधिगम (Blended Learning) की अवधारणा – संस्कृत शिक्षा के सन्दर्भ में प्रीति कुमारी, प्रो . रचना वर्मा मोहन |
87-90 | Hindi |
56 | पत्रकारिता एवं कविता जगत के समन्वयक : घनश्याम श्रीवास्तव रीना कुमारी |
78-79 | Hindi |
57 | हबीब तनवीर के रंग कर्म में लोकचेतना की अभिव्यक्ति डॉ० संदीप कुमार |
53-56 | Hindi |
58 | दक्षिणपूर्वी एशियायां मन्दिरस्थापत्यमितिहासश्च (अंकोरवाट-विष्णुमन्दिरस्य सन्दर्भे) मेघा शर्मा |
24-29 | Hindi |
59 | ‘एक सुबह यह भी’ उपन्यास में चित्रित राजनीतिक षड्यंत्र का शिकार दलित समाज अकबरअली शेख |
20-23 | Hindi |
60 | “सुशीला टाकभौरे और शांताबाई कांबले की आत्मकथाओं का तुलनात्मक अध्ययन” तोंडचिरकर मीना बाबुराव, प्रो.राजू एस. बागलकोट |
18-19 | Hindi |
61 | हिंदी उपन्यासों में पंजाबी भाषा शैली चंदा रानी |
10-13 | Hindi |
62 | मीमांसा दर्शन का परिचय एवं आवश्यकता राजेश कुमार गुर्जर |
05-09 | Hindi |
63 | भारतीय संगीत के विकास मे महिला कलाकारों की भूमिका प्रोफेसर डॉ. नीता माथुर |
207-209 | Hindi |
64 | पाणिनीय सूत्रों में निहित नक्षत्रविमर्श नागेन्द्र कुमार |
182-185 | Hindi |
65 | उन्नति का प्रतीक उत्तरायण डॉ. ए. मुक्ता वाणी |
155-156 | Hindi |
66 | राजस्थानी संस्कृत काव्यों में प्रवर्तित राजस्थान का इतिहास (सत्रहवीं शताब्दी के काव्यों में) शुभ्रा |
139-142 | Hindi |
67 | हीनयान एवं महायान बौद्ध साधना विषयक दृष्टिकोण: एक तुलनात्मक अध्ययन Dr. Prabhu Kumar |
132-134 | Hindi |
68 | स्वस्थवृत्त में प्राणायाम की उपादेयता : एक शास्त्रीय विवेचन महाबीर शुक्ल, विनोद पटेल, प्रदीप कुमार मिश्रा, प्रो. नीरू नत्थानी |
115-119 | Hindi |
69 | संस्कृत वाङ्मय में याज्ञवल्क्यस्मृति का दायविभाग में योगदान दीपक कुमारी, डॉ. दीप लता |
111-114 | Hindi |
70 | कृष्ण जोशी विरचित श्री परशुरामचरित नाटक का काव्यशास्त्रीय अध्ययन डॉ. वीरेन्द्र कुमार |
74-79 | Hindi |
71 | स्त्री अस्मिता एवं अस्तित्व की सचेतक : मैत्रेयी पुष्पा सोनी पाण्डेय |
70-73 | Hindi |
72 | व्यंग्य नाटकों के संदर्भ में ‘ताजमहल का टेंडर’ का अनुशीलन अकबरअली शेख |
46-49 | Hindi |
73 | जयशंकर प्रसाद : संघर्ष, सौन्दर्य और सांस्कृतिक दृष्टि प्रो. विपुल कुमार |
24-29 | Hindi |
74 | हिन्दी भाषा में राष्ट्रीय भावना आचार्य राधाकान्त ठाकुर: |
163-164 | Hindi |
75 | ‘मोरी रंग दे चुनिरियाँ’ में मध्यमवर्गीय परिवारों की मानवीय संवेदना अनिता शामराव शेजोळे, प्रो. डॉ. शिवाजी सांगोळे |
109-114 | Hindi |
76 | नागार्जुन के साहित्य में मार्क्सवाद नीना शर्मा, डॉ. सविता वर्मा |
55-58 | Hindi |
77 | शब्दार्थ-सम्बन्ध एवं शब्द-शक्तियाँ प्रो. जया तिवारी, डॉ. प्रदीप कुमार |
25-31 | Hindi |
78 | वेद एंव पुराणो में विष्णु का स्वरूप डॉ. सुषमा जोशी |
22-24 | Hindi |
79 | महाभारत में सारस्वत तीर्थ की उत्पत्ति एवं महिमा उत्पत्ति Dr. Neetu Sharma |
18-21 | Hindi |
80 | पोस्ट बॉक्स नं. २०३ नाला सोपारा : किन्नर विमर्श चिन्मयी राउत |
11-13 | Hindi |
81 | अनदेखे भारत का जीवंत दस्तावेज ‘एक देश बारह दुनिया’ (अनदेखे भारत की तस्वीर ‘एक देश बढ़ दुनिया’) चन्दा सागर |
158-161 | Hindi |
82 | सांख्यदर्शन में बन्धन एवं मोक्ष की अवधारणा रजनीश मिश्र, डॉ. साध्वी देवप्रिया |
139-141 | Hindi |
83 | हठयोग के अंगो का संक्षिप्त वर्णन डॉ.रामानंद तिवारी, आयुषी द्विवदी, अभिषेक कुमार, डॉ.जसोदा विश्नोई, प्रो.पी.एस.ब्याडगी |
109-111 | Hindi |
84 | खड़ीबोली हिंदी और उसका राष्ट्रीय महत्व डॉ.रमेश यादव |
07-09 | Hindi |
85 | भारतीय ज्ञान परम्परा में आर्थिक अवधारणा डॉ. कालीशंकर मिश्र |
133-137 | Hindi |
86 | भारतीय दार्शनिक ज्ञानपरम्परा का विकासक्रम Dr. Prabhu Kumar |
125-127 | Hindi |
87 | योग में अध्यात्म एक विवेचन डॉ० नीता आर्या |
123-124 | Hindi |
88 | “कौसल्या बैसंत्री और उर्मिला पवार की आत्मकथाओं में संघर्ष” तोंडचिरकर मीना बाबुराव, प्रो.राजू एस. बागलकोट |
97-98 | Hindi |
89 | समकालीन हिंदी उपन्यासों में व्यक्तित्व विश्लेषण की संवेदनात्मक अभिव्यक्ति डॉ. उर्वशी गहलौत |
79-81 | Hindi |
90 | मोहन राकेश की कहानियों में बाल जीवन रीता कुमारी |
59-62 | Hindi |
91 | सांख्य दर्शनः एक विश्लेषण आशुतोष कुमार |
48-53 | Hindi |
92 | ‘जहरीली जड़ें’ – सामाजिक विद्रूपताओं का आख्यान (रूपनारायण सोनकर के कहानी संग्रह ‘जहरीली जड़ें’ के संदर्भ में) डॉ. रमेश कुमार गोहे |
33-36 | Hindi |
93 | नारी समस्या व जीवन संघर्ष डॉ. सुशीला चौधरी |
29-32 | Hindi |
94 | छायावाद में प्रकृति चित्रण हेमांगी साहु |
10-13 | Hindi |
95 | छायावादी काव्यों में मानवतावादी चेतना चिन्मयी राउत |
07-09 | Hindi |
96 | फणीश्वर नाथ रेणु के कथा साहित्य में कलाकारों का जीवन चन्दा सागर |
167-170 | Hindi |
97 | बौद्ध दर्शन में निर्वाण (मुक्ति) के उपाय रजनीश मिश्र, डॉ. साध्वी देवप्रिया |
154-157 | Hindi |
98 | बौद्ध धर्म के प्रमुख दर्शनीय स्थल : एक ऐतिहासिक विश्लेषण प्रो. शीतला प्रसाद सिंह |
150-153 | Hindi |
99 | चंद्रगुप्त विक्रमादित्य (375 ई. से 415 ई.) रुक्मणि |
89-92 | Hindi |
100 | ध्यानयोग की सार्वभौमिकता श्वेताश्वतरोपनिषद् के परिप्रेक्ष्य में डॉ० निशीथ गौड़ |
68-70 | Hindi |