S. No. | Manuscript Title & Author | Page No. | Read Article | Language |
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1 | कृष्ण जोशी विरचित श्री परशुरामचरित नाटक का काव्यशास्त्रीय अध्ययन डॉ. वीरेन्द्र कुमार |
74-79 | Hindi |
2 | स्त्री अस्मिता एवं अस्तित्व की सचेतक : मैत्रेयी पुष्पा सोनी पाण्डेय |
70-73 | Hindi |
3 | व्यंग्य नाटकों के संदर्भ में ‘ताजमहल का टेंडर’ का अनुशीलन अकबरअली शेख |
46-49 | Hindi |
4 | जयशंकर प्रसाद : संघर्ष, सौन्दर्य और सांस्कृतिक दृष्टि प्रो. विपुल कुमार |
24-29 | Hindi |
5 | ‘मोरी रंग दे चुनिरियाँ’ में मध्यमवर्गीय परिवारों की मानवीय संवेदना अनिता शामराव शेजोळे, प्रो. डॉ. शिवाजी सांगोळे |
109-114 | Hindi |
6 | नागार्जुन के साहित्य में मार्क्सवाद नीना शर्मा, डॉ. सविता वर्मा |
55-58 | Hindi |
7 | शब्दार्थ-सम्बन्ध एवं शब्द-शक्तियाँ प्रो. जया तिवारी, डॉ. प्रदीप कुमार |
25-31 | Hindi |
8 | वेद एंव पुराणो में विष्णु का स्वरूप डॉ. सुषमा जोशी |
22-24 | Hindi |
9 | महाभारत में सारस्वत तीर्थ की उत्पत्ति एवं महिमा उत्पत्ति Dr. Neetu Sharma |
18-21 | Hindi |
10 | पोस्ट बॉक्स नं. २०३ नाला सोपारा : किन्नर विमर्श चिन्मयी राउत |
11-13 | Hindi |
11 | हठयोग के अंगो का संक्षिप्त वर्णन डॉ.रामानंद तिवारी, आयुषी द्विवदी, अभिषेक कुमार, डॉ.जसोदा विश्नोई, प्रो.पी.एस.ब्याडगी |
109-111 | Hindi |
12 | खड़ीबोली हिंदी और उसका राष्ट्रीय महत्व डॉ.रमेश यादव |
07-09 | Hindi |
13 | “कौसल्या बैसंत्री और उर्मिला पवार की आत्मकथाओं में संघर्ष” तोंडचिरकर मीना बाबुराव, प्रो.राजू एस. बागलकोट |
97-98 | Hindi |
14 | समकालीन हिंदी उपन्यासों में व्यक्तित्व विश्लेषण की संवेदनात्मक अभिव्यक्ति डॉ. उर्वशी गहलौत |
79-81 | Hindi |
15 | मोहन राकेश की कहानियों में बाल जीवन रीता कुमारी |
59-62 | Hindi |
16 | सांख्य दर्शनः एक विश्लेषण आशुतोष कुमार |
48-53 | Hindi |
17 | ‘जहरीली जड़ें’ – सामाजिक विद्रूपताओं का आख्यान (रूपनारायण सोनकर के कहानी संग्रह ‘जहरीली जड़ें’ के संदर्भ में) डॉ. रमेश कुमार गोहे |
33-36 | Hindi |
18 | नारी समस्या व जीवन संघर्ष डॉ. सुशीला चौधरी |
29-32 | Hindi |
19 | छायावाद में प्रकृति चित्रण हेमांगी साहु |
10-13 | Hindi |
20 | छायावादी काव्यों में मानवतावादी चेतना चिन्मयी राउत |
07-09 | Hindi |
21 | चंद्रगुप्त विक्रमादित्य (375 ई. से 415 ई.) रुक्मणि |
89-92 | Hindi |
22 | ध्यानयोग की सार्वभौमिकता श्वेताश्वतरोपनिषद् के परिप्रेक्ष्य में डॉ० निशीथ गौड़ |
68-70 | Hindi |
23 | भारतीय प्रश्न ज्योतिष एवं दैवज्ञ प्रश्नकर्ता विचार भूपेन्द्र तिवारी |
20-22 | Hindi |
24 | सम्राट अशोक का अखंड भारत और उसके आधुनिक पर्याय Pravendra Kumar |
16-19 | Hindi |
25 | 21वीं सदी की कहानियों में स्त्री चेतना : पात्र, चरित्र और लेखन के संदर्भ में डॉ. रमेश कुमार गोहे |
162-165 | Hindi |
26 | भर्तृहरि के दर्शन में परमतत्व के प्रकृति का विश्लेषण Dr. Deepak Kumar Gupta |
149-154 | Hindi |
27 | काव्यगुण-विमर्श (काव्यप्रकाशदृष्ट्या) अजय कुमार शुक्ला |
142-145 | Hindi |
28 | संस्कृत महाकाव्यों में स्त्री विमर्श एक अनुशीलन रुक्मणि पाठक |
133-135 | Hindi |
29 | संस्कृत भाषा एवम संस्कृत भाषा का विकास डा. ज्योति बाला |
107-109 | Hindi |
30 | कालिदास के साहित्य में वियोग श्रृंगार-मेघदूत के सन्दर्भ डॉ. के.आर. सूर्यवंशी |
104-106 | Hindi |
31 | ब्रह्म की अवधारणा Dr. Gauri Bhatnagar |
73-75 | Sanskrit |
32 | हाशियाई समाज और बदलते शैक्षिक परिवेश हेमलता |
34-37 | Hindi |
33 | महाभारतकालीन शिष्य: एक अनुशीलन चमन लाल |
31-33 | Hindi |
34 | धार क्षेत्र के जनजातीय समाज के किशोरो में जीवन कौशल शिक्षा के प्रति जागरूकता का शोध अध्ययन गौरव चौहान, डॉ. उषा वैद्य |
11-14 | Hindi |
35 | प्रमुख गद्य एवं पद्य ग्रन्थों में योगाभ्यास डॉ. मीरा |
216-219 | Hindi |
36 | वैदिक वांग्मय में गणित विज्ञान की श्रुतिमूलकता विमर्श सुरेश कुमार शर्मा |
208-212 | Hindi |
37 | उपनिषदों में ऒंकार Dr. Shruti Rai |
191-194 | Hindi |
38 | भारतीय दर्शन में शब्द एवं ध्वनि के सम्बन्ध का तुलनात्मक व्याख्या Dr. Deepak Kumar Gupta |
188-190 | Hindi |
39 | रस निरूपण में साहित्यिक आचार्यों की भूमिका रुक्मणि पाठक |
177-180 | Hindi |
40 | राजा भोजकालिन सांस्कृतिक चेतना व स्त्री समाज डॉ. के. आर. सूर्यवंशी |
174-176 | Hindi |
41 | रांगेय राघव का व्यक्तित्व और उनके साहित्यिक अवदान का मूल्यांकन डॉ. सुरेन्द्र कुमार |
151-156 | Hindi |
42 | “महाकवि भास के रूपकों की सामाजिक स्थिति” डॉ. धानी जामोद |
113-115 | Hindi |
43 | प्राचीन कृषिकेन्द्रित राज्य व्यवस्था Dr. Vrushali Bhosale |
92-94 | Hindi |
44 | आर्ष ग्रन्थों में राष्ट्रभावना Dr Girijaprasad Shadangi |
89-91 | Hindi |
45 | मध्य कालीन साहित्य का पुनर्पाठ और जाम्भाणी साहित्य डॉ. नन्दनी समाधिया |
72-75 | Hindi |
46 | संस्कृत शिक्षा की आवश्यकता, समस्या एवं समाधान कालीशंकर मिश्र |
33-36 | Hindi |
47 | शिक्षा और समाज का पारस्परिक सम्बन्ध डॉ. ऋतु |
183-186 | Hindi |
48 | वेदों में सृष्टि विचार रुक्मणि पाठक |
166-169 | Hindi |
49 | तीर्थ अभिधानों का एतिहासिक परिप्रेक्ष्य डॉ. राजकुमार |
139-141 | Hindi |
50 | जल एवं मृदा संरक्षण की वर्तमान परिवेश में आवश्यकता डॉ. नन्दनी समाधिया |
123-124 | Hindi |
51 | हिंदी साहित्य और मिथक सतीश चन्द्र सि |
97-100 | Hindi |
52 | आत्मलेख: एक सामाजिक तथा सांस्कृतिक दस्तावेज़ है डॉ. ड़ी. मोहिनी |
95-96 | Hindi |
53 | सूफी काव्यधारा और मृगावती डॉ. विपुल कुमार |
86-91 | Hindi |
54 | ‘सनातन’ : दलित जीवन का दस्तावेज डॉ. परषोत्तम कुमार, मधु रानी |
74-78 | Hindi |
55 | माध्यमिक स्तरीय छात्रों के आत्मविश्वास समवर्धन में योग की उपादेयता देवेश शर्मा |
53-55 | Hindi |
56 | सांख्य एवं अद्वैत वेदान्त में जगतकारणत्व अनुपम आनन्द |
48-52 | Hindi |
57 | शान्तिपाठ : तरल, उदात्त व वैश्विक भावनांचा अविष्कार डॉ. रणजित दत्तात्रय पाटील |
42-44 | Hindi |
58 | प्रियदर्शिका नाटिका में नायिकालंकारों का स्थान एवं महत्व शालिनी मिश्रा |
35-41 | Hindi |
59 | हिंदी और नेपाली स्त्री लेखनः चुनौतियां और संभावनाएं कुमारी लक्ष्मी जोशी |
14-20 | Hindi |
60 | योग शास्त्र में पथ्य-अपथ्य एवं आयुर्वेद में आहार-विहार की सामान्य अवधारणा डॉ.रामानंद तिवारी, अभिषेक कुमार, प्रो.पी.एस.ब्याडगी |
180-182 | Hindi |
61 | ज्योतिष शास्त्र में पराशर होराशास्त्र का समीक्षात्मक अध्ययन सुरेश कुमार शर्मा |
158-164 | Hindi |
62 | भर्तृहरि के दर्शन में ‘ध्वनि और ‘नाद’ का स्वरूप Dr. Deepak Kumar Gupta |
149-152 | Hindi |
63 | तीर्थ अभिधानों की शब्दावली में प्रत्यय विधान डॉ. राजकुमार |
122-124 | Hindi |
64 | हबीब तनवीर के लोक कलाकार उमा चौधरी |
110-112 | Hindi |
65 | संस्कृत साहित्य में पर्यावरण का महत्व नीलम |
97-99 | Hindi |
66 | श्रीमद्भगवद्गीता एवं पातञ्जल योगसूत्र के अनुसार भक्ति योग हलधर भरद्वाज |
54-57 | Hindi |
67 | दर्शन तथा धर्म में सह-सम्बन्ध का अनुशीलन डॉ. सस्मिता बन्दर नायक |
24-27 | Hindi |
68 | कवि प्रदीप के गीतों में राष्ट्रीय-सांस्कृतिक चेतना राहुल कुमार |
222-225 | Hindi |
69 | योग दर्शन के अनुसार क्रियायोग का मानव जीवन एवं समाज पर प्रभाव सतेन्द्र |
220-221 | Hindi |
70 | जैन योग एवं पातञ्जल योग का तुलनात्मक अध्ययन राहुल कौशिक |
215-219 | Hindi |
71 | श्रीमद भगवत गीता में योग विद्या द्वारा दुखों का निवारण बलवीर सिंह , प्रोफेसर महेश प्रसाद सिलोडी़ |
208-211 | Hindi |
72 | आयुर्वेद में वर्णित त्रिदोष जन्य रोगों का कारण एवं निवारण योग पद्धति द्वारा हिमांशु रतूड़ी |
205-207 | Hindi |
73 | मानसिक रोग निवारण में मर्म विद्या की उपादेयता पूजा कुमारी |
187-194 | Hindi |
74 | पारिस्थितिकीय चेतना और हिन्दी उपन्यास अखिल अगस्टिन |
176-181 | Hindi |
75 | गाथा सप्तशती में व्यक्त मानवीय मूल्य का स्वरूप एवं उसका विवेचन राजश्री कुमारी, डॉ. किरणमाला |
157-160 | Hindi |
76 | रूपक एवं उंपरूपकों में एकांकी Yearul Sekh |
152-156 | Hindi |
77 | स्त्री विमर्श और हिंदी कविता का इतिहास डॉ अभिषेक प्रताप सिंह |
139-143 | Hindi |
78 | इक्कीसवीं सदी और हिंदी कहानी का बदलता रूप डॉ. सितारे हिन्द |
127-130 | Hindi |
79 | साहित्य और समाज का अंतर्संबंध अतुल कुमार |
80-82 | Hindi |
80 | कुतुबमीनार (मेरूस्तम्भ) से कुतुबुद्दीन ऐबक का कोई सम्बन्ध नहीं : पंचसिद्धान्तिका के अनुसार ज्योतिषिय परिप्रेक्ष्य Dr. Jitendra Vyas |
57-62 | Hindi |
81 | गर्भाधान संस्कार डा. आशुतोष कुमार झा |
54-56 | Hindi |
82 | स्त्री विमर्श का समकालीन परिदृश्य : स्त्री-जीवन के विविध रूप श्रवण सरोज |
27-30 | Hindi |
83 | ज्योतिष का प्राचीन भारतीय कालविभाजन सिद्धान्त निर्णय सुरेश कुमार शर्मा |
218-220 | Hindi |
84 | पातंजल योग सूत्र में वर्णित चित्त प्रसादनों का मानव जीवन पर प्रभाव सतेन्द्र |
199-200 | Hindi |
85 | राष्ट्र के उत्थान में अष्टांग योग की भूमिका शिव शंकर |
196-198 | Hindi |
86 | चक्रों की ऊर्जा का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव जसवन्त कौर |
193-195 | Hindi |
87 | स्वास्थ्य की दृष्टि में हठयोग की महत्ता अभिषेक कुमार |
190-192 | Hindi |
88 | हबीब तनवीर के नाटक ‘हिरमा की अमर कहानी’ में लोक रंगमंचीय परिवेश मनीष कुमार |
181-185 | Hindi |
89 | भारत की गौरवमयी संस्कृति हितेश मीना |
153-157 | Hindi |
90 | सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ : व्यक्तित्व और कृतित्व पुष्पा कुमारी |
127-129 | Hindi |
91 | भारतीय दर्शन में वेदान्त की दृष्टि से दृश्यमान जगत Sakib Ali |
124-126 | Hindi |
92 | समकालीन भारत में गांधी की नारी विषयक विचार की समीक्षा Dr Madhu Jha |
118-123 | Hindi |
93 | बालसभा सहषैक्षिक गतिविधि का विद्यार्थियों की अभिव्यक्ति पर लिंगकारक तथा क्षेत्रीयता का अध्ययन डॉ. ऋचा मेहता |
112-117 | Hindi |
94 | समकालीन कविता में ‘लीलाधर जगूड़ी’ का तीखा स्वर गौरव शर्मा |
108-111 | Hindi |
95 | ‘गोरा’ उपन्यास के संदर्भ में रवीन्द्र नाथ टैगोर की राष्ट्रीयता प्रियंका चौधरी |
100-104 | Hindi |
96 | डा अम्बेडकर और दलित अस्मिता डा ज्योति बाला |
63-65 | Hindi |
97 | शिक्षणशास्त्र में कौशल विकास वन्दना बग्गा |
59-62 | Hindi |
98 | महाकवि कालिदास के महाकाव्यों में नारी सौन्दर्य वर्णन ममता यादव, लक्ष्मी देवी गुप्ता, प्रियंका यादव |
41-43 | Hindi |
99 | सांगीतिक विकास मे ब्रजभाषा की भूमिका डॉ. नीता माथुर |
38-40 | Hindi |
100 | समग्र स्वास्थ्य त्रिदोष एवं योग Adarsh Tomar |
33-35 | Hindi |