S. No. | Manuscript Title & Author | Page No. | Read Article | Language |
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1 | वास्तुशास्त्रे वृक्षरोपणम् दिवेश वेहेरा |
125-127 | Sanskrit |
2 | श्रीमद्भगवद्गीतायां प्रबन्धनशास्त्रम् Dr. Krishna Panda |
118-122 | Sanskrit |
3 | प्रमुखेषु पुराणेषु योगविघ्नाः- तेषां निवारणोपायाश्च नितिश कुमार मिश्रः |
106-108 | Sanskrit |
4 | अग्निमहापुराणे वर्णितसिद्धीनां महत्त्वम् खेमराजः |
90-94 | Sanskrit |
5 | उच्चमाध्यमिकस्तरीयशिक्षाया: शिक्षणनवाचाराणां प्रयोगः शिवेश कुमार सिंह, डॉ. शिवदत्त आर्य |
84-87 | Sanskrit |
6 | पर्यावरण संरक्षा के तत्व भारतीय संस्कृति के परिप्रेक्ष्य में प्रो. प्रदीपकुमारदीक्षित |
53-55 | Sanskrit |
7 | स्मृतियों में प्रायश्चित विधान डॉ. वैशाली चतुर्वेदी |
50-52 | Sanskrit |
8 | संस्कृतकाव्याधिगमः – रघुवंशशिक्षणे अनुप्रयुक्त- तन्त्रांशप्रयोगस्य प्रभावः लक्ष्मीकान्त भट्टः |
42-43 | Sanskrit |
9 | शुक्लयजुर्वेदे पशुपक्षीजलवायुभूम्यादीनां वैदिक पर्यावरणविषयकं चिन्तनम् Dr. Krishna Panda |
33-38 | Sanskrit |
10 | कठोपनिषद् एवं बृहदारण्यकोपनिषद् में संचार नरेन्द्र प्रसाद डंगवाल |
22-25 | Sanskrit |
11 | सीताचरितमहाकाव्ये सीताचरित्रानुशीलनम् राज्येश्वर सरदारः |
200-203 | Sanskrit |
12 | उदात्तादिस्वराणां हस्तस्वरः विमर्शः डॉ. सत्यजित् पण्डा |
196-199 | Sanskrit |
13 | सीतापरिणयचम्पूकाव्ये गुणप्रयोगसमीक्षणम् रोनालीप्रियदर्शिनि विश्वाल: |
193-195 | Sanskrit |
14 | दर्शनेषु चित्तपदार्थविमर्शः Dr. Krishna Panda |
177-183 | Sanskrit |
15 | व्याकरणपदार्थ: – एका समीक्षा Sarala Behera |
170-172 | Sanskrit |
16 | महाभारतभारतीमहाकाव्ये छन्दनिरूपणम् संजयशर्माः |
161-162 | Sanskrit |
17 | प्रभाकरशंकरजोशिप्रणीतस्य ‘भीमायनम्’ महाकाव्यस्य आलोकात् आम्बेदकरवादिनः सामाजिकदायित्वम् विकाशवागः |
159-160 | Sanskrit |
18 | यज्ञाधारितमानवजीवनम् Dr. Krishna Panda |
154-158 | Sanskrit |
19 | संस्कृतखण्डकाव्येषु एन्-लक्ष्मीनारायणभट्टविरचितस्य धूर्तचेष्टितमिति काव्यस्य गुरुत्वम् रुबिः राणा |
144-146 | Sanskrit |
20 | यज्ञादिकर्मकाण्डेषु विज्ञानम्, कर्मकाण्डे प्रतिपादितः आचारः शिक्षा च Dr. Krishna Panda |
135-139 | Sanskrit |
21 | मीमांसादर्शनेषु धर्मशास्त्रस्य मनोविज्ञानं Dr. Krishna Panda |
124-127 | Sanskrit |
22 | आत्मविश्वासः – प्रभाविशिक्षणे शिक्षकस्य एकं व्यक्तिलक्षणम् (Self-Confidence: A Personality Trait of Teachers in Effective Teaching) Arun Biswas |
117-120 | Sanskrit |
23 | महिलासशक्तीकरणविषयकाभिवृत्तेरध्ययनम्। परिमल महिष्य दास |
115-116 | Sanskrit |
24 | शुक्लयजुर्वेदे प्रतिपादितविविधयज्ञानां वैशिष्ट्यं सामाजिकवैज्ञानिकमहत्त्वं च Dr. Krishna Panda |
106-110 | Sanskrit |
25 | स्वास्थ्यसंरक्षणाय ललितकलायाः आवश्यकता Prakash Gayen |
103-105 | Sanskrit |
26 | वास्तुरत्नावली – ग्रन्थानुसारेण दिग्ज्ञानविचारः झरणानायक, डॉ.कृष्णकुमारभार्गवः |
100-102 | Sanskrit |
27 | श्रीराघवेन्द्रस्वामिनः जीवनचरित्रे आधुनिकछात्रेभ्यः मार्गदर्शनम् प्रवीणकुमार् आर् |
98-99 | Sanskrit |
28 | सुरभाषायां कोशान्वेषणप्रगतिः एवं शब्देषु अर्थविकारे कारणम् (The Evolution of Sanskrit Dictionaries and The Cause of Transition in words.) Ashwin M, Dr. Padmavathi M Singari |
88-92 | Sanskrit |
29 | श्रीराघवेन्द्रगुरुणां शास्त्रवैभवम् प्रवीणकुमार् आर् |
82-84 | Sanskrit |
30 | बृहदारण्यकोपनिषद्विद्यानां समीक्षणम् छायामिश्रा |
79-81 | Sanskrit |
31 | उपनिषत्सु ईशोपनिषदः स्थानम् Dr. Mithu Rani Maish |
75-78 | Sanskrit |
32 | उपनिषत्षु समुपवर्णितानि शान्तितत्तानि Sujoy Satvaya |
66-68 | Sanskrit |
33 | लालमणिदैवज्ञविरचितप्रश्नसुधाकरग्रन्थोक्तानां वर्षासम्बन्धियोगानां विवेचनम् विघ्नेश अय्यरः, प्रो. हंसधरझाः |
59-62 | Sanskrit |
34 | ॥ उपनिषत्सु आख्यायिका निर्वचनम् ॥ (upaniṣatsu ākhyāyikā nirvacanam) Sri.Shrivatsa G S, Dr. Naveen Bhat |
49-55 | Sanskrit |
35 | श्रीरुक्मिणीशविजयमहाकाव्ये यमकालङ्कारसौन्दर्यम् जगन्नाथ लक्ष्मण देसाई |
45-48 | Sanskrit |
36 | योगोपनिषत्सु योगविघ्नाः – तेषां निवारणोपायाश्च नितिश कुमार मिश्रः |
30-33 | Sanskrit |
37 | मीमांसा शास्त्रे षष्ठाध्याये सामविचारः श्रीरामः के |
27-29 | Sanskrit |
38 | सर्वकारीयसैनिकयोगाः बापुजी कुमार दीक्षीत |
24-26 | Sanskrit |
39 | जैनदर्शनानुसारं मोक्षतत्त्वार्थस्य विवेचनम् गुंजन जैन |
21-23 | Sanskrit |
40 | श्रीमन्महाभारते राजनीतिः Dr.S.Sitarama Rao |
16-20 | Sanskrit |
41 | गुप्त शासक कुमारगुप्त प्रथम (415-455 ई.) रुक्मणि |
01-11 | Sanskrit |
42 | शिशुपालवधमहाकाव्ये वर्णितानि आयुधानि पूजानायकः |
184-186 | Sanskrit |
43 | सीतापरिणय चम्पूकाव्ये श्रीरामस्यचरित्रचित्रणम् रोनालीप्रियदर्शिनि विश्वाल: |
180-183 | Sanskrit |
44 | निरूत्तानुसारं पदसंज्ञा – एकमध्ययनम् Sarala Behera |
175-179 | Sanskrit |
45 | वास्तुरत्नावलिग्रन्थानुसारेण द्वारविचारः झरणानायक, डॉ.कृष्णकुमारभार्गवः |
170-174 | Sanskrit |
46 | महाभारतभारतीमहाकाव्ये अनुप्रासअलंकारविमर्शः संजयशर्माः |
167-169 | Sanskrit |
47 | शिक्षाक्षेत्रे नारीणाम् अधिकारः तथा च बाबासाहेव आम्बेदकरस्य विचाराः विकाशवागः |
165-166 | Sanskrit |
48 | मुग्धबोधव्याकरणवैय्याकरणसिद्धान्तकौमुद्योः अजन्तपुल्लिङ्गप्रकरणस्य तुलनात्मकमध्ययनम् डॉ. जयवन्त चौधरी |
152-154 | Sanskrit |
49 | बृहदारण्यकोपनिषद्विद्यानां समाजोपयोगिता छायामिश्रा |
147-148 | Sanskrit |
50 | बौद्धदर्शनेकार्यकारणवादः (प्रतीत्यसमुत्पादवादः) संजीता कुमारी |
145-146 | Sanskrit |
51 | वास्तुसौख्यानुसारेण भूपरीक्षणम् प्रभात् नारायण् पाण्डे |
140-144 | Sanskrit |
52 | गुण्डेराव् हर्कारे पण्डितस्य प्रभावतीप्रद्युम्नकाव्ये गुणविचारः बोल्लि सत्यम् |
136-139 | Sanskrit |
53 | वेदेषु शान्तितत्त्वानां पर्यालोचनम् Sujoy Satvaya |
134-135 | Sanskrit |
54 | कुमारसम्भवमहाकाव्येनीतिशास्रपरिशीलनम् जमाल् कल्लूरु |
131-133 | Sanskrit |
55 | न धामापासीति सूत्रस्थार्षग्रहणं जटासाधकम् वे श्रीरामघनपाठी |
124-126 | Sanskrit |
56 | देवालयप्रतिष्ठामुहूर्तविचारः P. Bhavanarayanacharyulu |
117-123 | Sanskrit |
57 | सर्वकारीयसचिवयोगाः बापुजी कुमार दीक्षीत |
115-116 | Sanskrit |
58 | नाट्यशास्त्रे प्रथमाध्याये निरूपितानि नाट्याङ्गानि –एका समीक्षा डॉ.पङ्कज कुमार माहाना. |
113-114 | Sanskrit |
59 | भारतीयदर्शनानां गान्धिदर्शनस्योपरि प्रभावः हरिओम शरण मुद्गलः |
98-100 | Sanskrit |
60 | अनुदेशनात्मकप्रारूपाणि (Instructional Design Models) सुश्री बनलता बारिक् |
95-97 | Sanskrit |
61 | षोडशसंस्कारविमर्शः अनुज कुमारः |
92-94 | Sanskrit |
62 | अखण्ड भारते ब्रह्मचारिणः प्रशस्त गुरुकुलवास नियमाः Valluri.Thriyambakam |
90-91 | Sanskrit |
63 | संस्कृतकाव्यवृक्षस्य पर्णच्छन्नफलम् – बि. वेंकटरामभट्टः महेन्द्र हेगडे, डा. वेङ्कटरमण एस् भट्टः |
85-89 | Sanskrit |
64 | संस्कृत शिक्षणासाठी माध्यमिक स्तरावर कृतीयुक्त अध्यापन पद्धतींचा विकास: एक उपक्रमात्मक अध्ययन आर्यप्रभा व. काळे |
82-84 | Sanskrit |
65 | ज्योतिषमनोविज्ञानयोराङ्गिकफलविचार: बृजेशकुमारशुक्ल: |
74-77 | Sanskrit |
66 | श्रीपाञ्चरात्रागमे योगशास्त्रनिरूपणम् Dr.PTG Bharatasekharacharyulu |
59-62 | Sanskrit |
67 | नैषधीयचरितमहाकाव्ये शिवसम्बद्धपौराणिकांशाः वैभवीरायः |
56-58 | Sanskrit |
68 | वेदेषु औषधीतत्त्वानि श्री तरूणचुतीया |
49-55 | Sanskrit |
69 | विशिष्टाद्वैतशुद्धाद्वैतयोर्सिद्धान्ताधारभूततत्वविमर्शः सच्चिदानन्द व्यास |
47-48 | Sanskrit |
70 | देवतादृष्टिः –पदस्थापनम रौनक |
44-46 | Sanskrit |
71 | योगतारावलीहठयोगप्रदीपिकयोः साम्य-विषयाणां विमर्शः मनोजकुमारः |
40-43 | Sanskrit |
72 | कालीशाङ्करीदिशा प्रथम न च कल्पविचारः S.Abhikhya |
36-39 | Sanskrit |
73 | अष्टाध्यायीग्रन्थस्य परिचयः डः श्रीविश्वरञ्जन पाण्डा |
28-32 | Sanskrit |
74 | मीमांसा शास्त्रे सामविचारः श्रीरामः के |
19-20 | Sanskrit |
75 | यजुर्वेदे सौन्दर्यतत्त्वम् डॉ.निरञ्जनमिश्र: |
08-10 | Sanskrit |
76 | कुवलयमालाकहाग्रन्थे छन्दांसि अलङ्काराश्च नीरजकुमार: |
05-07 | Sanskrit |
77 | उच्चमाध्यमिकस्तरीयशिक्षायां गुणवत्तावर्धने शिक्षकनेतृत्वस्य भूमिका शिवेश कुमार सिंह, डॉ. शिवदत्त आर्य |
174-178 | Sanskrit |
78 | उत्तराधिकारविमर्शः डॉ. सत्येन्द्र कुमार गौतम |
169-171 | Sanskrit |
79 | वास्तुसौख्यानुसारेण आयविचारः प्रभात् नारायण् पाण्डे |
156-161 | Sanskrit |
80 | अद्यतने समाजे वेधशालाया उपयोगिता डॉ.श्रीनिवासपण्डा |
153-155 | Sanskrit |
81 | स्कन्दपुराणानुसारं दारुब्रह्मः श्रीजगन्नाथः डॉ.पारमिता पण्डा |
136-139 | Sanskrit |
82 | अधिगमसिद्धान्ताः तेषामनुप्रयोगश् सुश्री बनलता बारिक् |
132-135 | Sanskrit |
83 | महापुरुषशङ्करदेवकृते ‘भक्तिरत्नाकर’ग्रन्थे मोक्षवादः श्री तरूणचुतीया |
129-131 | Sanskrit |
84 | श्रीमद्भगवद्गीतायां योगतारावल्यां च योगतत्त्व-विमर्शः मनोजकुमारः |
125-128 | Sanskrit |
85 | संस्कृताध्यापने विविधस्तरेषु अधितन्त्रिमाध्यमेन शिक्षा अन्तर्जालीया शिक्षाप्राविधिकस्य न्यायसङ्गतोपयोगितायाः निश्चयनम् S V Vijay Kumar, प्रो. प्रह्लाद आर. जोशी, प्रो. बी. चन्द्नशेखरम् |
119-121 | Sanskrit |
86 | वाल्मीकिरामायणस्य युद्धकाण्डे वर्णितप्रथमपञ्चमसर्गे शब्दालङ्काराणां विमर्शः Tridib Acharjya |
111-114 | Sanskrit |
87 | अमरकोशे वर्णितं रथविषयकम् अध्ययनम् Nayan Bala Das |
107-110 | Sanskrit |
88 | वेदान्तसिद्धान्तमुक्तावली अनुसारेण ईश्वरस्वरूप Alka |
104-106 | Sanskrit |
89 | शतककाव्यानां परिचयः पूनम कुमारी |
100-103 | Sanskrit |
90 | समाजोपरि कल्किपुराणस्य भक्तिप्रभावः कल्लूर् साहिपीर् साहेब् |
97-99 | Sanskrit |
91 | जीव की गतियों का स्वरूप : श्रीमद्भगवद्गीता हर्ष कुमार शुक्ल, डॉ. दिलीप तिवारी |
93-96 | Sanskrit |
92 | औपम्यवर्गीयालंकाराणां काव्यसौन्दर्योपकारकत्वम् पूनम कुमारी |
82-85 | Sanskrit |
93 | शिवसंहितायां चक्रस्वरुपविवेचनम् सारदा हाँसदा |
78-81 | Sanskrit |
94 | तन्त्ररत्नोक्तं चन्द्रसाधनम् तथा पञ्चाङ्गसाधनम् P S Angad |
71-72 | Sanskrit |
95 | ॥श्रीमद्देवीभागवतस्य प्रथमस्कन्धस्थ अव्ययपदानां, सर्वेक्षणात्मकमध्ययनम्॥ अरुणकुमारमिश्र: |
68-70 | Sanskrit |
96 | अभावघटितालङ्काराणां विमर्शः Kabery Hossain |
61-63 | Sanskrit |
97 | लोकसंस्कृतौ प्राकृतच्छन्दानां कोशग्रन्थानां च परिचयः नीरजकुमार: |
57-60 | Sanskrit |
98 | नैयायिकमतनिराकरणपूर्वकं नागेशदिशा शक्तेः स्वरुपनिरुपणम् सीतांशुरंजनदाशः |
53-56 | Sanskrit |
99 | अपरस्याङ्गगुणीभूतव्यङ्ग्यस्य जीवानन्दसागरीयमहेशचन्द्रन्यायरत्नटीकयोः तुलनात्मकाध्ययणम् सुदाम परामानिकः |
47-52 | Sanskrit |
100 | प्रमुखेषु प्राकृतग्रन्थेषु लोकतत्त्वम् नीरजकुमार: |
44-46 | Sanskrit |