S. No. | Manuscript Title & Author | Page No. | Read Article | Language |
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1 | ज्योतिषतत्त्वानां विमर्शः कु. श्रद्धा मिश्रा |
44-47 | Sanskrit |
2 | श्रीङ्गाधरशास्त्रिणः परिचयः डॉ. केशवकुमार |
41-43 | Sanskrit |
3 | रङ्गमञ्चस्याधुनिक दृष्ट्या विश्लेषणम् धर्मराज मलिक |
37-40 | Sanskrit |
4 | संस्कृत साहित्यम् Bhimasen G guttal |
27-28 | Sanskrit |
5 | संस्कृतसाहित्यस्य विश्वभ्रातृत्वबोधनिर्माणे अवदानम् – अवलोकनमेकम् डा. ध्रुवजित् शर्मा |
23-26 | Sanskrit |
6 | द्वैतभावनाविकासः बदरीनाथ बळ्ळारि |
19-22 | Sanskrit |
7 | रजतपटस्योपरि- जि वि अय्यर् दृष्ट्या रामायणम् कोट्रेशः बि.ए , डॉ.एम् वि जयरेवण्णः |
16-18 | Sanskrit |
8 | तर्कसारसंग्रहे संशयनिरूपणम् K. Jagan Mohan |
14-15 | Sanskrit |
9 | दुग्धं गीतामृतं महत् डॉ. श्रद्धाञ्जलि महापात्र |
05-06 | Sanskrit |
10 | सौत्रामणी यागस्य स्वरुपम् लोकनाथ शतपथी |
01-04 | Sanskrit |
11 | अलिविलासिसंलापे प्रकृतिचित्रणम् डॉ. केशवकुमार |
93-94 | Sanskrit |
12 | याज्ञवलक्यस्मृतिदिशा नारीणां स्थितिः डा. अरबिन्दनायकः |
86-88 | Sanskrit |
13 | शांकरसिद्धान्ते मोक्षः डॉ. श्रद्धाञ्जलि महापात्र |
83-85 | Sanskrit |
14 | धनाधिकारिणां क्रमविषये धर्मशास्त्रीयाणामाचार्याणां मतानां एकं विवरणात्मकमध्ययनम् सौम्यरंजन दाश |
80-82 | Sanskrit |
15 | अनुग्रहैकसाध्यं – भक्तिपथम् गोपेश्वर चतुर्वेदी |
78-79 | Sanskrit |
16 | याज्ञवल्क्यशिक्षाग्रन्थानुसारं वेदपाठस्य गुण-दोषफलविवेचनम् रमाकान्तकर्मकारः |
75-77 | Sanskrit |
17 | काव्यशास्त्रानुमोदितानुबन्धचतुष्टयस्य शिक्षाशास्त्रीयविमर्शः प्रशान्तमनोहरत्रिपाठी |
71-74 | Sanskrit |
18 | ज्योतिषशास्त्रदृष्ट्या मारकेशदोषसमीक्षणम् रितेशकुमारः |
64-67 | Sanskrit |
19 | आचार्यभवनाथशास्त्रीकृतप्रयोगपल्लवग्रन्थे अनुबन्धविचारः तस्य पाणिनीयदिशा समालोचनञ्च Sumanta Bhaskar |
61-63 | Sanskrit |
20 | मेघदूतस्थभौगलिकपरिदृश्यानि सोमामण्डलः |
55-60 | Sanskrit |
21 | सामवेदीयसंस्कारणां लोपप्रायश्चित्तम् अक्षय अशोक कुलकर्णी |
50-54 | Sanskrit |
22 | संस्कृतवाङ्गमये वृक्षपादपविमर्शः श्रीमतीप्राचीगुप्ता, डॉ.प्रवेशव्यासः |
27-29 | Sanskrit |
23 | संस्कृतवाङ्मये व्याकरणशास्त्रास्यवतरणम् Chandan Das Adhikari |
23-26 | Sanskrit |
24 | समावेशितविद्यालयानां भूमिका सलवादि वसुधा |
10-12 | Sanskrit |
25 | साम्प्रतिकसन्दर्भे अष्टाङ्गयोगः डॉ. सुदेस्ना दाशः |
01-03 | Sanskrit |
26 | श्री मद्भागवते भक्ति वैशिष्ठ्यम् गोपेश्वर चतुर्वेदी |
160-161 | Sanskrit |
27 | शब्दानुशासनस्य आनुषङ्गिकप्रयोजनेषु पञ्चप्रयोजनानि शिवम कुमार उपाध्यायः |
157-159 | Sanskrit |
28 | स्वतन्त्रतायाः प्राक् भारते समावेशितशिक्षायाः स्थिति सलवादि वसुधा |
155-156 | Sanskrit |
29 | योगाङ्गेषु यमस्वरूपविमर्शः नवकुमारपण्डा |
146-148 | Sanskrit |
30 | कामन्दकीयनीतिसारे अर्थशास्त्रस्य प्रभावः श्रीमति शान्ता सङ्गुभट्ल |
139-141 | Sanskrit |
31 | श्रीमद्भगवद्गीतायाः व्याख्याकारा: जया मनराल |
136-138 | Sanskrit |
32 | विशिष्टाद्वैतवेदान्तस्य आचार्यपरम्परा आरती |
124-125 | Sanskrit |
33 | बृहत्त्रय्यां सर्वेषु क्षेत्रेषु स्त्रीणामधिकारः नेहा रानी |
121-123 | Sanskrit |
34 | वर्णसमाम्नायस्य दार्शनिकं विश्लेषणम् सुभाषः पैन्यूली |
116-120 | Sanskrit |
35 | वैदिकसंहितासु ज्योतिषीयसङ्ख्यागणनाविचारः दिव्या जोशी |
113-115 | Sanskrit |
36 | उपनिषत्सु चतुर्वर्गपुरुषार्थ: डॉ. श्रृद्धाञ्जलि महापात्र |
110-112 | Sanskrit |
37 | नचिकेतोपाख्यानस्य सन्देशः अद्यतनसमाजे तस्य च उपयोगिता ऋतुपर्णा गायेन |
99-103 | Sanskrit |
38 | केशवमिश्रप्रणीते गौतमीयसूत्रप्रकाशे अपवर्गविमर्श: Nakul Kumar Sahoo |
91-95 | Sanskrit |
39 | महाभारते पाककला डा. राजेशमीना |
88-90 | Sanskrit |
40 | वर्तमानपरिप्रेक्ष्ये वैदिकवर्णव्यवस्था डॉ. सस्मिता बन्दर नायक |
85-87 | Sanskrit |
41 | উপনিষদে প্রতিপাদিত দার্শনিক তত্ত্ব দীপান্বিতা দাস পড়্যা (Dipanwita Das Paria) |
80-84 | Sanskrit |
42 | सामाजिकमूल्यानां विकासे परिवारस्य, समाजस्य, विद्यालयस्य च भूमिका ज्योतिशर्मा |
76-79 | Sanskrit |
43 | सौमिकग्रहपात्रेषु ऐंद्रवायवग्रहस्य वैशिष्ठ्यम् ओंकार यशवन्त सेलूकरः |
71-72 | Sanskrit |
44 | दत्तकृतानामश्विन्यारंभस्य अंतरमित्यादीनां खण्डनम् Dr. Ramadugu. Sridhar |
69-70 | Sanskrit |
45 | मन्त्रब्राह्मणयोः स्वरूपनिर्णयः डा. निरञ्जनमिश्रः |
63-65 | Sanskrit |
46 | पाणिनीये बाधबीजविमर्श: शिल्पी उपाध्यायः |
59-62 | Sanskrit |
47 | मम्मटभट्टारकदिशा अभिधास्वरूपम् यस्. रामतिरुमलरेड्डिः |
55-58 | Sanskrit |
48 | बहुमुखसंस्कृतविश्वविद्यालयाः तथा राष्ट्रियशिक्षानीतिः 2020 Dr. M. Sridhar Rajan |
48-50 | Sanskrit |
49 | आनन्दराघवनाटके वर्णनावैचित्र्यम् Dr. Rasmita Naik |
44-47 | Sanskrit |
50 | भामिनीविलासस्य साहितीसौरभम् डा. बि.बालशिवकुमारः |
41-43 | Sanskrit |
51 | वैदिककालनिर्धारणे शब्दमहत्त्वम् दिगन्तः दि.त्रिवेदी |
38-40 | Sanskrit |
52 | दर्शनेषु प्रमाणविमर्शः रूपश्रीपण्डा |
28-30 | Sanskrit |
53 | वराहमिहिरोक्तभूगर्भजलपरिक्षा P S ANGAD |
25-27 | Sanskrit |
54 | रामायणस्य बालकाण्डस्य भूषणटीकायां तद्धितान्तप्रयोगाः रमेश मालाकारः |
20-24 | Sanskrit |
55 | ययातिचरितनाटकस्य ऐतिहासिकमहत्त्वम् इन्दू |
15-19 | Sanskrit |
56 | स्वामीदयानन्दसरस्वतीनये आस्तिकदर्शनदृष्टिः Satish Chandra Das |
07-10 | Sanskrit |
57 | कादम्बरीकथामुखे समताऽख्यशब्दगुणविचारः डा.वि.सूर्यप्रभा |
05-06 | Sanskrit |
58 | श्रीमद्भगवतगीताया अध्यायस्य वर्ण्य-विषय: जया मनराल |
185-187 | Sanskrit |
59 | आधुनिकवैज्ञानिकजीवने लोककल्याणाय ज्योतिषशास्त्रस्य उपादेयता दिव्या जोशी |
169-171 | Sanskrit |
60 | महामना पण्डित-मदनमोहनमालवीयमहोदयस्य शैक्षिकञ्चिन्तनम् प्रवीण देवरानी |
165-168 | Sanskrit |
61 | मूल्याङ्कने परीक्षिकायाः प्रकाराः निर्माणञ्च Dr. Sujan Biswas |
162-164 | Sanskrit |
62 | केशवमिश्रप्रणीते गौतमीयसूत्रप्रकाशे प्रामाण्यवाद: Nakul Kumar Sahoo, Prof. (Dr.) Subash Chandra Dash |
157-161 | Sanskrit |
63 | कुमारसंम्भवमहाकाव्ये वैवाहिकव्यवस्था- एकम् विश्लेषणम् सरोज महानन्दः |
148-150 | Sanskrit |
64 | संस्कृतशास्त्रशिक्षणे प्रभावयतां मनोवैज्ञानिककारकाणि Dipanwita Das |
145-147 | Sanskrit |
65 | विनियोगविधिसहकारिणः स्थानप्रमाणस्य स्वरूपविवेकः डा.नागराजभट्टः |
143-144 | Sanskrit |
66 | भारतीयसंस्कृतेः मूलाधारः – संस्कृतम् Dr. Mallika |
140-142 | Sanskrit |
67 | अर्थव्यञ्जकता Dr V.Suryaprabha |
136-139 | Sanskrit |
68 | तर्कसङ्ग्रहचन्द्रिकाव्याख्याकार मुकुन्दभट्टमते हेत्वाभासस्वरुपम् गणेश्वर नायक |
134-135 | Sanskrit |
69 | मालविकाग्निमित्रनाटके शिक्षाक्रमः डॉ. ए. सच्चिदानन्दमूर्त्तिः |
128-129 | Sanskrit |
70 | दाम्पत्यजीवने विवाहविचार: श्री. सौम्यरञ्जनमहापात्र: |
124-125 | Sanskrit |
71 | किरातार्जुनीये निहितानि राजनैतिकतत्त्वानि सलिलकान्तः त्रिपाठी |
120-123 | Sanskrit |
72 | उपनिषत्सु उपमालङ्कारः डॉ. प्रसन्नकुमार ऐताळ |
116-119 | Sanskrit |
73 | खण्डकाव्यलक्षणविमर्शः Dr. Sayanto Mahato |
104-108 | Sanskrit |
74 | उपनिषदां महत्त्वम् एवं संख्याविचारः Dr. Prasanna Kumar Aithal |
95-97 | Sanskrit |
75 | विहगेन्द्रसंहितायां प्राणायामविधिः A. Mahesh |
86-88 | Sanskrit |
76 | वैय्याकरणानां मते लकारार्थ विवेचनम् शिवम कुमार उपाध्याय |
83-85 | Sanskrit |
77 | वेदाङ्गभूतस्य ज्योतिश्शास्त्रस्य वेदाङ्गत्वसमर्थनम् डॉ. के. तारकरामकुमारशर्मा |
79-82 | Sanskrit |
78 | नवरात्रोत्सवस्य सांस्कारिकगतयः स्वाधीनश्च Sheeja.S |
70-71 | Sanskrit |
79 | सिद्धान्तकौमुदीरीत्या पणिनीयगत्यर्थकात्मनेपदी धातूनां विवृतिः दीप्तिमयी षड़ङ्गी |
67-69 | Sanskrit |
80 | भोजराजस्य सरस्वतीकण्ठाभरणे नूतनसंज्ञाविवरणम् मिनती दे |
62-66 | Sanskrit |
81 | कालिदासकृतिषु मन्त्रिपरिषद् व्यवस्था नरेन्द्रकुमारसैनी |
58-61 | Sanskrit |
82 | मध्यकालीननाट्यसाहित्ये रुद्रदेवस्य वैशिष्टयम् इन्दु |
53-57 | Sanskrit |
83 | वैदिकवाङ्मये औषधविज्ञानस्य अभ्युदयः सोनाली सैनी |
40-44 | Sanskrit |
84 | इतिहासकाव्येषु सालुवाभ्युदयस्य वैशिष्ट्यम्, तत्रत्यऋतुवर्णनञ्च सूरे रामतिरुमलरेड्डिः |
37-39 | Sanskrit |
85 | पाणिनीयकाशकृत्स्नयोः तद्धातुपाठयोश्च पौर्वपर्यविचारः कोङ्क कुमारस्वामि |
23-26 | Sanskrit |
86 | साङ्ख्ययोगयोः मनसः विवेचनम् विजयकुमारझा |
20-22 | Sanskrit |
87 | जैनदर्शनस्य तत्त्वमीमांसायां प्रयोजनभूतत्वम् ऋषभ जैनः |
16-19 | Sanskrit |
88 | वर्तमानपरिप्रेक्षे किरातार्जुनीयमहाकाव्यस्य सामाजिकतत्त्वानां प्रासङ्गिकता स्वप्ना पाञ्जा |
12-15 | Sanskrit |
89 | सुप्तिङ्प्रत्ययेषु अनुबन्धानां प्रयोगविचारः Priya P.R |
09-11 | Sanskrit |
90 | वेदान्तेषु विशिष्टाद्वैतवेदान्तस्य विशेषत्वम् सावाना खातुन् |
05-08 | Sanskrit |
91 | विषादलहरीकविहृदयपरिस्पन्दः डॉ. सीहेच्. नागराजु |
01-04 | Sanskrit |
92 | अलिविलासिसंलापकाव्यस्य प्रतिपाद्यविषयवस्तु डॉ. केशवकुमार |
170-171 | Sanskrit |
93 | शशिभूषणचरितमहाकाव्ये अलङ्कारसन्निवेशनम् अनिता विश्वालः |
163-165 | Sanskrit |
94 | श्रीभाष्यस्य वैशिष्ट्यम् आरती |
161-162 | Sanskrit |
95 | वीरभद्रदेवविरचितचम्पूकाव्यस्य समीक्षणात्मकम् विचेचनम् डॉ. बुल्टीदास: |
157-160 | Sanskrit |
96 | कालिदासस्य ग्रन्थेषु वर्णव्यवस्थाया: स्वरूपम् श्वेता आर्या |
153-156 | Sanskrit |
97 | कादम्बरीकथामुखे माधुर्याख्यशब्दगुणविचारः Dr V.Suryaprabha |
145-146 | Sanskrit |
98 | वैदिकपौराणिकदेवपरम्परायां विश्वकर्मणः स्थानम् किशन कुमार शर्मा, डा. प्रवेश व्यास |
142-144 | Sanskrit |
99 | वाक्यदोषविषये काव्यप्रकाश-प्रतापरुद्रीययोः तुलनात्मकं परिशीलनम् Deviprasad Mishra |
133-138 | Sanskrit |
100 | विहगेन्द्रसंहितायां सुदर्शनस्य समाराधनविधानम् A.Mahesh |
131-132 | Sanskrit |