| S. No. | Manuscript Title & Author | Page No. | Read Article | Language |
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| 1 | “काव्यप्रकाशद्वितीयोल्लासस्थित – वाच्य-लक्ष्य-व्यङ्ग्यार्थानां उदाहरणश्लोकार्थ निरूपणम्” V. Sarveswararao, Dr.Sujatha Ragavan |
01-03 | Sanskrit |
| 2 | विशिष्टाद्वैतवेदान्तेप्रपत्तियोगस्वरूपम् Uppara Krishnaveni |
112-114 | Sanskrit |
| 3 | आधुनिकसंस्कृतसाहित्ये प्रमुखपद्यकाव्यानां मीमांसा अमिता शर्मा |
107-111 | Sanskrit |
| 4 | अभिलषितार्थचिन्तामणौ गमकाः परीक्षित् बि वशिष्ठः |
97-98 | Sanskrit |
| 5 | अवधीभाषाया अकारान्तवर्तमानकालिकक्रियायाः धातुमूलकत्वविचारः रोहितकुमारद्विवेदी |
94-96 | Sanskrit |
| 6 | नैषधीयचरितमहाकाव्ये वर्णितानि आयुधानि पूजा नायकः |
91-93 | Sanskrit |
| 7 | वेदेषु पर्यावरणसमस्यायाः समाधानानि सारथी हेमव्रम |
88-90 | Sanskrit |
| 8 | भारतीयज्ञानपरम्परायां न्यायशास्त्रस्य वैशिष्ट्यम् शालिनी कुमारी |
71-73 | Sanskrit |
| 9 | अचिन्त्यभेदाभेददर्शनस्य सिद्धान्तसारः अमित कुमार धर दुबे |
62-64 | Sanskrit |
| 10 | शरणागतिदीपिकास्तोत्रे विशिष्टाद्वैतवेदान्तानुभवः स. वासुदेवः, डॉ. सुजाताराघवन् |
56-57 | Sanskrit |
| 11 | शिक्षाशास्त्रे विविधतत्त्वानि (Diverse Elements of Pedagogy) Dr. G. Amareswara Kumar |
52-55 | Sanskrit |
| 12 | भारतीयज्ञानपरम्परायां संरचनावादतत्वानामध्ययनम् (A Study of Structuralist Elements in the Indian Knowledge Tradition) Dr. G. Amareswara Kumar |
49-51 | Sanskrit |
| 13 | संस्कृतानुरागीनां वक्तव्येषु संस्कृतस्य प्रथिति- लक्षणानां च विश्लेषणम् डॉ. प्रदीप कुमार मीणा |
45-48 | Sanskrit |
| 14 | विवाहे मङ्गलदोषविचारः दिवेश वेहेरा |
43-44 | Sanskrit |
| 15 | भैरवानन्दनाटके रसविचारः एकमध्ययनम् विनयकुमारवरः , प्रो॰ अजयकुमारमिश्रः |
24-27 | Sanskrit |
| 16 | अद्वैतवेदान्तदर्शने अनुमानप्रमाणम् Suman Das |
17-19 | Sanskrit |
| 17 | ‘विना गानं नाट्यं रागं न गच्छति’ : केषांचित् मञ्चाभिनीतानाम् अर्वाचीनसंस्कृतनाट्यानां परिप्रेक्ष्ये आलोचनम् Dr. Malay Debnath |
13-16 | Sanskrit |
| 18 | लोके समावर्तनसंस्कारस्य महत्त्वम्, तदावश्यकता च रो.वे. सत्यनारायणाचार्युलु |
07-12 | Sanskrit |
| 19 | जयपुरीयराजानां शासनव्यवस्था कर्तव्यञ्च Rajlaxmi Gouda |
212-214 | Sanskrit |
| 20 | मथुरा प्रसाद दीक्षित कृत नाटक एक विश्लेषण (भाग ख) आशीष कुमार मिश्र |
208-211 | Sanskrit |
| 21 | मथुरा प्रसाद दीक्षित कृत नाटक- एक विश्लेषण (भाग- क) आशीष कुमार मिश्र |
203-207 | Sanskrit |
| 22 | शिवतत्वविमर्शः डॉ सोमकृष्ण |
200-202 | Sanskrit |
| 23 | बौद्धदर्शनरीत्या चित्तम् अविनाशः |
192-193 | Sanskrit |
| 24 | श्रौतयागस्य वैदिकसाहित्ये स्वरूपम् रामकिशन शर्मा |
189-191 | Sanskrit |
| 25 | व्यवहारे कुण्डल्यां नाभसयोगविमर्शः राजेन्द्रकुमारझा: |
185-188 | Sanskrit |
| 26 | केनोपनिषदोऽर्थवर्णने वैष्णवाचार्याणां दृष्टिः योगदानञ्च अङ्किता जायसवाल |
182-184 | Sanskrit |
| 27 | वेदेषु वनस्पतिज्ञानम् Dr. Ashim Chakraborty |
178-181 | Sanskrit |
| 28 | सौभाग्यनूपुरं महाकाव्ये दण्डनीतिः विचारः। रश्मिता दलेइ |
175-177 | Sanskrit |
| 29 | प्रकृतिचित्रणादिदृष्ट्या गीताञ्जलीमेधदूतयोर्मध्ये तुलनात्मकमध्ययनम् श्रीमती लेलिमा पधानः |
166-170 | Sanskrit |
| 30 | भारतीयज्योतिषशास्त्रानुगुणं मानवजीवने छायाग्रहाणां प्रभावः श्रीजेष् टि |
163-165 | Sanskrit |
| 31 | “ उत्कले लक्ष्मीपुराणम् : एकमान्दोलनम्” डा. स्वर्गकुमारमिश्रः |
152-155 | Sanskrit |
| 32 | अन्यथासक्षमच्छात्रेभ्यः शैक्षिकोपकरणानि-समानाधिगमावसराणां प्रदानम् रामापुरम् देवी कल्याणी |
150-151 | Sanskrit |
| 33 | ऋषिकुल्यामहाकाव्ये ध्वनिवैचित्र्यम् श्रीअम्लानज्योतिरञ्जनदाशः |
146-149 | Sanskrit |
| 34 | वाक्यपदीये वाचकशब्दभेदस्वरूपम् Sandeep Kothari |
136-138 | Sanskrit |
| 35 | ज्ञाननिवर्त्यत्वविचारः Dr. Radhakanta Panda |
133-135 | Sanskrit |
| 36 | क्षयरोगस्य कारणेषु निदाने च ज्योतिषदृष्ट्या तात्त्विकविमर्श विश्वजीत मिश्र |
125-129 | Sanskrit |
| 37 | श्रीवेङ्कटरमणविरचिते कमलाविजयनाटके मानविकता नैतिकता च मानु-दासः |
117-119 | Sanskrit |
| 38 | उत्तराखण्डराज्यस्य दुर्गमपर्वतीयक्षेत्रेषु शैक्षिकबाधाः मनोज चंद्र परगाई , प्रो.रजनी जोशी चौधरी |
108-110 | Sanskrit |
| 39 | न्यायनये प्रमेयतत्त्वस्वरूपविचारः नारायणशर्मा |
105-107 | Sanskrit |
| 40 | सार्ववर्णिकमनोरञ्जनसाधनं नाटकम् मानु-दासः |
91-95 | Sanskrit |
| 41 | श्रीवैखानसभगवच्छास्त्रोक्त विग्रहाराधने प्रतिष्ठा प्रामुख्यम् रोंपिचर्ल वेङ्कट फणिराम् |
84-86 | Sanskrit |
| 42 | सिद्धान्तसुधायाः साहित्यिकपरिशीलनम् प्रज्ञापारमितापण्डा |
82-83 | Sanskrit |
| 43 | आधुनिकसंस्कृतसाहित्यलघुकाव्येषु आचार्यव्रजकिशोरनायकवर्याणां योगदानम् प्रियङ्का पण्डा |
76-78 | Sanskrit |
| 44 | वैयाकरणानां मते तद्धिततुलनार्थपूरणार्थप्रत्ययानां विमर्शः राहुल दाँ |
61-66 | Sanskrit |
| 45 | दर्शनं पुरुषोत्तमे डा.निराकार सामन्तरायः |
39-40 | Sanskrit |
| 46 | “वेदव्यासवैशिष्ट्यम्” Dr. S. Sitarama Rao |
34-38 | Sanskrit |
| 47 | व्याकरणशास्त्रदृष्ट्या अतिदेशस्य लौकिकालौकिकवैशिष्ट्यम् अंकित उपाध्याय |
27-30 | Sanskrit |
| 48 | श्रीमद्भागवतमहापुराणे वर्णितसिद्धीनां महत्त्वम् खेमराजः |
22-26 | Sanskrit |
| 49 | श्रीमद्भागवतपुराणस्य दशमस्कन्धस्य तद्धितान्तप्रयोगानुशीलनम् Golenur Khatun |
10-14 | Sanskrit |
| 50 | संगीतशास्त्रे मुत्तय्यभागवतस्य अवदानम् Mandal Shyamali |
08-09 | Sanskrit |
| 51 | श्रीदेवयानीचरितमहाकाव्ये वर्णितः सदुपदेशः सुस्मिता दासः |
01-03 | Sanskrit |
| 52 | ज्योतिषशास्त्रे ग्रहणविचारः चित्तरञ्जनदासः |
226-228 | Sanskrit |
| 53 | श्रौतस्मार्तयज्ञानां सामाजिक नारीमहत्त्वम् रामकिशन शर्मा |
219-222 | Sanskrit |
| 54 | केनोपनिषदः समाजोपयोगिता अङ्किता जायसवाल |
216-218 | Sanskrit |
| 55 | डॉ. निरञ्जन मिश्र कृत ‘ग्रन्थिबन्धनम्’ महाकाव्य में नीतितत्त्व ज्योति देवी |
213-215 | Sanskrit |
| 56 | पाञ्चरात्रपरिचयः Giriraja Upadhyaya |
207-209 | Sanskrit |
| 57 | ज्योतिषशास्त्रे विवाहविमर्शः कृष्णानुजा देओ |
204-206 | Sanskrit |
| 58 | कन्दलीकारमते पदार्थानां साधर्म्यवैधर्म्यविवेचनम् मनोरमा जेना |
201-203 | Sanskrit |
| 59 | अधुनिककाले क्षयरोगस्य निदानम् विश्वजीत मिश्र |
196-200 | Sanskrit |
| 60 | चिलिकाकाव्ये अलङ्कारसौन्दर्यम् श्रीधर राउतः |
193-195 | Sanskrit |
| 61 | प्रेत्यभावस्वरूपविमर्शः नारायणशर्मा |
190-192 | Sanskrit |
| 62 | संस्कृतसाहित्ये आधुनिकतायाः स्वरूपम् मानु-दासः |
187-189 | Sanskrit |
| 63 | श्रीमद्भद्रेशस्वामिनः प्रस्थानत्रयीभाष्यस्येका परिचितिः सौपीक्सुमनपरिडा |
184-186 | Sanskrit |
| 64 | पाणिनीयशिक्षायाः साधारणतयाः पर्यालोचनाः काकली साँतरा |
182-183 | Sanskrit |
| 65 | शब्दस्य नित्यत्वमनित्यत्वञ्च ममतासिं |
176-177 | Sanskrit |
| 66 | सुसमाजाय पौराणिकी वार्ता डा. निराकार सामन्तरायः |
174-175 | Sanskrit |
| 67 | वेदान्तदर्शनेविवर्त्तवादः संजीता कुमारी |
171-173 | Sanskrit |
| 68 | बालरामायणप्रसन्नराघवयोः पञ्चावस्थाविमर्शः डॉ. लालसिंहपठानिया |
168-170 | Sanskrit |
| 69 | पाणिनीय व्याकरणशास्त्रे व्यपदेशातिदेशस्य स्वरूपम् अंकित उपाध्याय |
164-167 | Sanskrit |
| 70 | बौधायनधर्मसूत्रे भौगलिकप्रथानामुल्लेखः विश्वरञ्जनसाहुः |
162-163 | Sanskrit |
| 71 | हेमाद्रिविरचितप्रायश्चित्तचिन्तामणौ प्रायश्चित्तस्वरूपविमर्शः अर्पितापरिडा |
159-161 | Sanskrit |
| 72 | राजेन्द्रकर्णपूरकाव्यस्य रीतिप्रयोगः छन्दोविन्यासश्च – एकसाहित्यिकविमर्शः डॉ. पियूष कान्ति पालः |
147-151 | Sanskrit |
| 73 | श्रीदेवयानीचरितमहाकाव्ये प्रतिफलितः सामाजिकचित्रः सुस्मिता दासः |
141-143 | Sanskrit |
| 74 | बृहज्जातके महापुरुषयोगाः Dr. S. Murali |
132-133 | Sanskrit |
| 75 | श्रीहरिनारायणदीक्षितविरचितस्य श्रीग्वल्लदेवचरितमहाकाव्ये महाकाव्यलक्षणसमन्वयः शुचिस्मिता साहुः |
129-131 | Sanskrit |
| 76 | तुलसीदासचरितमहाकाव्ये संस्कारव्यवस्था नन्दिनी देहेरी |
125-128 | Sanskrit |
| 77 | भारतीयपाण्डुलिपिनां लेखनाधाराणामुपरि एका समीक्षा ड. मधुस्मिता पाढी |
122-124 | Sanskrit |
| 78 | जैनदर्शने मोक्षस्वरूपविमर्श: गुंजन जैन |
102-104 | Sanskrit |
| 79 | एकं सद् विप्राः बहुधा वदन्ति ड. श्रद्धाञ्जलि महपात्र |
96-97 | Sanskrit |
| 80 | नाट्यवेदस्य प्रासङ्गिकता Dr. Sajna S |
94-95 | Sanskrit |
| 81 | अङ्कुरो जायते इत्यत्र- भर्तृहरिदिशा कर्तृत्वविमर्शः सजनगुहः |
84-89 | Sanskrit |
| 82 | “वर्णव्यवस्थायाः वैज्ञानिकता” डॉ.उपेन्द्र कुमार चौधरी |
81-83 | Sanskrit |
| 83 | भारतीयदर्शने मनसः महत्वं जगन्नाथ मेइकाप, डॉ० रेणु सिंह |
77-80 | Sanskrit |
| 84 | अष्टांगयोगस्य अन्तर्गतं मानवजीवने यमानां महत्त्वम् अर्चना पांडा, डॉ० रेणु सिंह |
73-76 | Sanskrit |
| 85 | अथर्ववेदे मणिबन्धनस्य प्रयोग: सुरभि घोष, डॉ० रेणु सिंह |
64-66 | Sanskrit |
| 86 | रम्भाशुकसम्वादस्य परिशीलनम् डा. दयानन्दपाणिग्राही |
59-61 | Sanskrit |
| 87 | श्रीमद्भागवतमहापुराणस्य वैशिष्ट्यम् डॉ. सीमा शर्मा |
56-58 | Sanskrit |
| 88 | संस्कृतसाहित्ये औचित्यस्य प्रयोजनीयता आवश्यकता च Pami Sardar |
54-55 | Sanskrit |
| 89 | निपातनापवादसूत्रयोर्भेदविमर्शः निमाइमण्डलः |
49-53 | Sanskrit |
| 90 | हस्तलिखितांच्या अभ्यासात भाषांतराचे महत्व योगेश साहेबराव पाटील, प्रा. पराग जोशी |
28-30 | Sanskrit |
| 91 | अग्निमहापुराणे मोक्षस्वरूपम् खेमराजः |
21-27 | Sanskrit |
| 92 | दशावयववादखण्डने न्यायभाष्यकारमतम् व्योमकेशगड़ाइ |
17-20 | Sanskrit |
| 93 | निरुक्तशास्त्रदिशा पदस्वरूपसमीक्षणम् डा. गोपीकृष्णन् रघुः |
14-16 | Sanskrit |
| 94 | प्राकृतव्याकरणविकासे संस्कृतव्याकरणस्य योगदानम् डॉ. आभा जैन |
10-13 | Sanskrit |
| 95 | आञ्जनेयचरितमहाकाव्ये वर्णितानि स्त्रीपात्राणि सुश्री पूजा सोनी, डॉ.पूजा उपाध्याया |
06-09 | Sanskrit |
| 96 | विभिन्नचिकित्सापद्धतय: Ruchika Upadhyay |
01-05 | Sanskrit |
| 97 | तैत्तिरीयलक्षणग्रन्थेषु उदात्तादिस्वरविचारः जे.यस्.वि.यन्. प्रवीण् कुमार शर्मा |
240-242 | Sanskrit |
| 98 | सौभाग्यनूपुरं महाकाव्ये शिवस्तुतिः वर्णनम्। रश्मिता दलेइ |
237-239 | Sanskrit |
| 99 | सामाजिकसन्तुलनाय ग्रहाणां शुभाशुभफलानां भूमिका श्रीजेष् टि |
234-236 | Sanskrit |
| 100 | अन्यथासक्षमाणां शिक्षाविषये राष्ट्रियशैक्षिकानुसन्धान प्रशिक्षणपरिषदेः भूमिका रामापुरम् देवी कल्याणी |
232-233 | Sanskrit |
