S. No. | Manuscript Title & Author | Page No. | Read Article | Language |
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1 | अभावघटितालङ्काराणां विमर्शः Kabery Hossain |
61-63 | Sanskrit |
2 | लोकसंस्कृतौ प्राकृतच्छन्दानां कोशग्रन्थानां च परिचयः नीरजकुमार: |
57-60 | Sanskrit |
3 | नैयायिकमतनिराकरणपूर्वकं नागेशदिशा शक्तेः स्वरुपनिरुपणम् सीतांशुरंजनदाशः |
53-56 | Sanskrit |
4 | अपरस्याङ्गगुणीभूतव्यङ्ग्यस्य जीवानन्दसागरीयमहेशचन्द्रन्यायरत्नटीकयोः तुलनात्मकाध्ययणम् सुदाम परामानिकः |
47-52 | Sanskrit |
5 | प्रमुखेषु प्राकृतग्रन्थेषु लोकतत्त्वम् नीरजकुमार: |
44-46 | Sanskrit |
6 | त्रिफलाग्रन्थानुसारेण भूप्राप्तिराजयोगाः संज्ञा शतपथी, डा कृष्णकुमारभार्गवः |
40-43 | Sanskrit |
7 | भारतीयखगोलशास्त्रोक्तभूगोलस्वरूपम् डा. राघवेन्द्रः |
27-29 | Sanskrit |
8 | आधुनिकसमाजे ब्राह्मण वर्णस्य उपादेयता बलराम पधान |
23-26 | Sanskrit |
9 | मालती जोशी के कहानियों में नारी के विविध रूपों का दर्शन प्रो. डॉ. शिवाजी सांगोळे, अनिता शामराव शेजोळे |
18-22 | Hindi |
10 | आचार्यधनपालविरचिते तिलकमञ्जरिकथाकाव्ये औचित्यम् मण्टु कुमार जाना |
08-13 | Sanskrit |
11 | महर्षि मनुविरचित मनुस्मृतिग्रन्थे वर्णजातिविचार: Balaram padhan |
171-176 | Sanskrit |
12 | स्मृतिषु अन्यतमा भगवद्गीता Veena Chandran |
164-165 | Sanskrit |
13 | श्री महाकवि कालिदासस्य दार्शनिकं चिन्तनम् डॉ यन् सिद्धरामेश्वर शर्मा |
157-158 | Sanskrit |
14 | मनुष्यजीवने दैवसम्पदः अभ्युत्थाने भगवत्स्वामिनारायणोपदिष्टसाधनेषु अन्यतमसाधनम् – भगवत्स्वरूपे भगवद्धारकसत्पुरुषे च दिव्यभावस्थापनम् डॉ. कृष्ण गजेन्द्र पण्डा |
148-152 | Sanskrit |
15 | रक्षाबन्धनविषयक अथर्ववेदीय वैज्ञानिक-विवेचन प्रो. सुन्दरनारायणझाः |
141-144 | Sanskrit |
16 | आचार्य रव्वा श्रीहरिमहोदयस्य फिरदौसी अनुवादवैचित्री Bantu Mallesh |
137-140 | Sanskrit |
17 | सांख्यनये कार्यकारणविचार: वीरेन्द्र कुमार त्रिपाठी |
127-129 | Sanskrit |
18 | श्रीमद्रामायणे मानवीयमूल्यानि Valluri.Thriyambakam |
125-126 | Sanskrit |
19 | शिक्षाग्रन्थेषु ऋग्वेदप्रातिशाख्यस्य महत्त्वम् डॉ.कृष्ण: गजेन्द्र:पण्डा |
122-124 | Sanskrit |
20 | आधुनिकार्थनितीदृष्ट्या कौटिलीयार्थशास्त्रीयव्ययव्यवस्थायाः पर्यालोचनम् डॉ. बिभूति लोचन शर्मा |
119-121 | Sanskrit |
21 | आधुनिकशिक्षायां व्यावसायिकशिक्षायाः स्थानम् तानिगडप केशव रावु |
116-118 | Sanskrit |
22 | साधानाभिप्रायेण भागवतान्तर्गतानि वेदान्ततत्त्वानि शिवप्रसाद पाठी |
113-115 | Sanskrit |
23 | श्रीमद्भागवते रुक्मिणी अप्पन रमादेवी, |
110-112 | Sanskrit |
24 | उत्पत्त्यसम्भवाधिकरणम् – चार्वाकाऽक्षरपुरुषोत्तमदर्शनयो: संवाद: डॉ.कृष्ण: गजेन्द्र:पण्डा |
108-109 | Sanskrit |
25 | जैनाचार्याणां दृष्ट्या योगस्य स्वरूपम् राधाकृष्ण यादवः |
105-107 | Sanskrit |
26 | उपनिषत्सु ब्रह्मतत्वस्य अवधारणम् चिरञ्जीतदासः |
103-104 | Sanskrit |
27 | समाजे शैक्षिकाधिकारप्रवृत्तिनाम् अध्ययनम् बैजन्तिवाला साहुः |
98-102 | Sanskrit |
28 | जीवनात् दुरम् योगं च स्वास्थ्यभोजनाभ्यासाः मङ्गलाचरणम् Uma Manna |
96-97 | Sanskrit |
29 | पुराणानां दिव्यत्वं प्राचीनता च Ganapati Bhat |
92-95 | Sanskrit |
30 | किरातार्जुनीयग्रन्थे भारवेः आध्यात्मिकचिन्तनम् टिकेराममिश्रः |
90-91 | Sanskrit |
31 | पुराणेषु अद्वैतवेदान्तसिद्धान्तस्य विचारविलासः। Ganapati Bhat |
82-86 | Sanskrit |
32 | अक्षरब्रह्मद्वारा परब्रह्मणः प्राकट्यम् : शास्त्रसत्पुरुषवचनाभ्याम् Dr. Krishna Gajendra Panda |
68-77 | Sanskrit |
33 | पदार्थतत्त्व-तमोविषययोः न्यायकन्दली-किरणावल्योः तुलनात्मकम् आलोचनम् Srijib Goswami |
65-67 | Sanskrit |
34 | ब्रह्मसूत्रस्वामिनारायणभाष्यस्थजिज्ञासाधिकरणे ब्रह्मद्वयमीमांसा Dr. Krishna Gajendra Panda |
56-58 | Sanskrit |
35 | जगदुत्पातानां मुख्यहेतवस्तथा तेभ्यः वैदिकी सुरक्षा मनमोहनशर्मा |
53-55 | Sanskrit |
36 | वेदपुराणयोः रुद्रशिवयोः स्वरूपम् डॉ. कृष्ण: गजेन्द्र: पण्डा |
49-52 | Sanskrit |
37 | अक्षरपुरुषोत्तममाहात्म्यग्रन्थे रसनिष्पत्ति: Dr. Krishna Gajendra Panda |
42-44 | Sanskrit |
38 | श्रीमद्भागवतमहापुराणस्थभक्तितत्त्वानां पौराणिकमनुशीलनम् प्लावनमिश्रः |
35-37 | Sanskrit |
39 | डा.रमाकान्तशुक्लप्रणीतं प्राच्यविद्याशताब्दीयकाव्यस्य वैशिष्ट्यम् विवेक कुमार जोशी |
25-30 | Sanskrit |
40 | भेदशून्यं ब्रह्म भीमराजः |
12-14 | Sanskrit |
41 | अद्वैतवेदान्तदर्शने आचार्यश्रीमधुसूदनसरस्वतीपादानां सिद्धान्तविमर्शः सौरभ पन्त |
09-11 | Sanskrit |
42 | चातुर्मास्यप्रयोगविमर्शः Satyajit panda |
06-08 | Sanskrit |
43 | উপনিষদ্গ্রন্থানুসারে শিক্ষার স্বরূপ দীপান্বিতা দাস পড়্যা (Dipanwita Das Paria) |
179-183 | Sanskrit |
44 | धनपालप्रणीतायां तिलकमञ्जरिकथायां दार्शनिकचिन्तनम् मण्टु कुमार जाना |
169-174 | Sanskrit |
45 | भागवतवेदान्तोभयसिद्धान्तानुरोधेन आत्मतत्त्वविमर्शः शिवप्रसाद पाठी |
163-165 | Sanskrit |
46 | नवयोगीन्द्राः अप्पन रमादेवी |
158-160 | Sanskrit |
47 | अथर्ववेदपरम्परायां सर्पविषचिकित्सा (विशेषतः आथर्वणपैप्पलादसंहितोऽक्तः सर्पविशनाशनसूक्तं तथा सिद्धसारसंहिताधारेण प्रस्तुतोऽय़ं प्रबन्धः) श्रीमती कविता महापात्र |
151-155 | Sanskrit |
48 | वैश्विकापदः कोरोनासङ्क्रमणस्य ज्योतिषशास्त्रीयं विवेचनम् मनमोहनशर्मा |
149-150 | Sanskrit |
49 | लक्षणास्वरूपम् ड. निवेदिताकर |
147-148 | Sanskrit |
50 | श्रीमद्भागवतमहापुराणस्थोपासनाविद्यायाः एकमनुशीलनम् प्लावनमिश्रः |
144-146 | Sanskrit |
51 | महाकवि कालिदास की सञ्चारव्यवस्था- अभिज्ञानशाकुन्तलम् के सन्दर्भ में मोनिका |
140-143 | Sanskrit |
52 | संस्कृतवाङ्मयेषु शिक्षकस्य गुणाः विशेषता च देवकीनन्दन पति |
128-132 | Sanskrit |
53 | डा. प्रमोदकुमारनायकमहोदयस्य संस्कृतकीर्तिषु नारीभावना गौरी-वसाकः |
121-123 | Sanskrit |
54 | वाक्यपदीयानुसारं सिद्धक्रियाणां साध्यत्वविचारः सन्दीपन-रायः |
116-120 | Sanskrit |
55 | श्रीबोधिसत्त्वचरितम् में आत्मतत्त्व का चिंतन–एक विश्लेषण ईशा शर्मा |
111-112 | Sanskrit |
56 | शाब्दिकनये शब्दतत्त्वस्वरूपम् डॉ. पशुपतिनाथमिश्रः |
107-110 | Sanskrit |
57 | वैदिकसाहित्ये काव्यतत्त्वानि डॉ. छोटूकुमारमिश्रः |
104-106 | Sanskrit |
58 | अग्निपुराणे वर्णितानां औषधीयोद्भिदानां संरक्षणोपाया मधुमितासाहु |
101-103 | Sanskrit |
59 | भारतीयज्ञानपरम्परायां राष्ट्रनिर्माणपरिप्रेक्ष्ये संस्कृतस्य भूमिका डॉ. दीपमाला आर्या |
87-92 | Sanskrit |
60 | वास्तुशास्त्रनुसारं भूमेः अष्टदिक्प्लवत्वफलम् डा.रतीश कुमार झा |
80-82 | Sanskrit |
61 | अभिराजयशोभूषाणदिशा छन्दोमुक्तकाव्यानुशीलनम् B Mohan Kumar |
72-73 | Sanskrit |
62 | उत्कलप्रान्तस्य मन्दिराणां स्थापत्यम् मेघा शर्मा |
66-71 | Sanskrit |
63 | विज्ञानभिक्षु परिप्रेक्ष्ये प्रकृतिवादे स्थितिः बहुलवादश्च पिन्टुः दासः |
61-65 | Sanskrit |
64 | ययोगाभ्यासात् जायमानयो सामाजिकव्यवहारपरिवर्तनम् लक्ष्मीकान्त शर्मा |
53-55 | Sanskrit |
65 | भारतस्य चन्द्र यात्राः विपिन रयाल |
50-52 | Sanskrit |
66 | ज्योतिःसाररत्नावल्यानुसारेण उदररोग निर्णयः लिप्सा कुमारी दलाई |
47-49 | Sanskrit |
67 | आधुनिककाले यात्रायाः महत्त्वम् विपिन रयाल |
39-40 | Sanskrit |
68 | सांख्ययोगयो: कैवल्यविमर्श: सबिता बन्धु |
37-38 | Sanskrit |
69 | सर्वा खल्वियं शक्तिः Nirakar Samantray |
32-33 | Sanskrit |
70 | प्रह्लादविजयमहाकाव्यमातृकायाः पर्यालोचनात्मकम् अध्ययनम् Priyanka Moharana |
29-31 | Sanskrit |
71 | संस्कृतदृश्यकाव्येषु दर्शनप्रभावः Kabery Hossain |
22-28 | Sanskrit |
72 | तर्कामृतदिशा हेत्वाभासस्वरूपम् अनिन्दिता नन्दी |
18-21 | Sanskrit |
73 | होराकृष्णीये राहुकेत्वोः विशेषविचारः Murali Krishna. V |
16-17 | Sanskrit |
74 | श्रीमद्रामायणे सुन्दरकाण्डे तृतीयसर्गे व्याकरणदृष्ट्या सन्धिपदानामध्ययनम् सूर्यकान्तदास: |
13-15 | Sanskrit |
75 | सिद्धान्तकौमुद्याः सुखबोधिनितत्त्वबोधिन्याख्ययोः माहेस्वरसूत्राणि सूर्यकान्तदास: |
07-09 | Sanskrit |
76 | साम्प्रतिक समाजे क्षेत्रियवर्णस्य विचारः Balaram padhan |
186-190 | Sanskrit |
77 | प्रातिशाख्यपाणिनीयव्याकरणयोलोपसिद्धान्तः एकम् तुलनात्मकमध्ययनम् अशोक कुमार षडङ्गी, ड. पूर्णचन्द्र पाढी |
176-179 | Sanskrit |
78 | वैदिक साहित्य में योग की अवधारणा जयवीर सिंह राजौरिया, राघवेन्द्र चतुर्वेदी, डॉ.सुदामा सिंह यादव |
170-172 | Sanskrit |
79 | अथर्ववेदे औषधविज्ञानम् डॉ. छोटू कुमार मिश्र |
158-160 | Sanskrit |
80 | परमलघुमञ्जूषादिशा निपातार्थविचारः डॉ. पशुपतिनाथमिश्रः |
154-157 | Sanskrit |
81 | वेदान्तदर्शने योगतत्त्वम् भीमराजः |
150-153 | Sanskrit |
82 | सुभाषिताः वाल्मीकि रामायणः आधुनिकपुरुषाय सन्देशः Dr. T. Venkateswarlu |
147-149 | Sanskrit |
83 | ज्योतिष शास्त्र आयुषो लक्षणम् डा.रतीश कुमार झा |
144-146 | Sanskrit |
84 | संवेगात्मकबुद्धिः, घटकाः महत्त्वं विकासः कौशलानि वर्धनायनिर्देशाश्च अनिल कुमार |
139-143 | Sanskrit |
85 | साख्यपदार्थचिन्तनम् सबिता बन्धु |
137-138 | Sanskrit |
86 | श्रीदुर्गासप्तशत्यां विश्वशान्तिसन्देशः Nirakar Samantray |
135-136 | Sanskrit |
87 | शाकुन्तलनाटके भारतीय संस्कृतिः Dr.P.Swapnapriya |
132-134 | Sanskrit |
88 | आधुनिककाले ब्रह्मचर्याश्रमस्य स्थितिः I.Vani Gayatri |
130-131 | Sanskrit |
89 | भारतीयज्ञानपरम्परायां गुरुशिष्यपरम्परा शिक्षणविधयश्च बिरञ्चीनारायणरथः |
127-129 | Sanskrit |
90 | विविधशास्त्रदृष्ट्या द्वादशस्थस्य कुजस्य फलसमीक्षणम् दिनेशकुमारः |
124-126 | Sanskrit |
91 | विविधसंस्काराणां मुहूर्त्तविमर्शः अंकुशकुमारव्यास: |
120-123 | Sanskrit |
92 | संस्कृत वाङ्मय में नारी की भूमिका प्रो. शुचिता ला. दलाल |
118-119 | Sanskrit |
93 | सिद्धान्तकौमुद्या: सुखबोधिनीतत्त्वबोधिन्याख्ययोः ‘तपरस्तत्कालस्य’ सूत्रम् सूर्यकान्तदास: |
116-117 | Sanskrit |
94 | सिद्धार्थचरितम्: वीरेन्द्रकुमारभट्टाचार्येण बिरचितम् अर्वाचीनं नाटकम् अनन्या सिन्हा |
110-112 | Sanskrit |
95 | वैयाकरणसिद्धान्तकौमुद्या: संज्ञाप्रकरणस्य प्रत्याहाराणां समीक्षात्मकमध्ययनम् अभय कुमार विश्वाल: |
101-104 | Sanskrit |
96 | प्राचीनभारतीयज्ञानपरम्परायामारोग्यविमर्शः विजय नारायण शुक्लः |
92-96 | Sanskrit |
97 | स्मृतिवाङ्गमये वर्णितः पुरुषार्थचतुष्टयस्य अध्ययनम्। (A study on purusarthachatustaya in smritibangmaya) प्रियभाषमिश्रः |
87-91 | Sanskrit |
98 | राष्ट्रियशिक्षानीतिः 2020 सन्दर्भे समावेशितशिक्षायाः सामग्रिकाध्ययनम्। ( A holistic study on inclusive education regarding National Education policy 2020) Anup Kumar Layek |
84-86 | Sanskrit |
99 | संस्कृतसाहित्ये एवं विशेषतः मिवारप्रतापनाटके हिन्दूशिरोमणिमहाराणाप्रतापस्य वर्णनम् अजय कुमार शुक्ला |
80-83 | Sanskrit |
100 | कपिलपुराणे महानदीवर्णनस्य पौराणिकपर्यालोचनम् वनजा तनया नायक |
77-79 | Sanskrit |