S. No. | Manuscript Title & Author | Page No. | Read Article | Language |
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1 | मीमांसा शास्त्रे सामविचारः श्रीरामः के |
19-20 | Sanskrit |
2 | यजुर्वेदे सौन्दर्यतत्त्वम् डॉ.निरञ्जनमिश्र: |
08-10 | Sanskrit |
3 | कुवलयमालाकहाग्रन्थे छन्दांसि अलङ्काराश्च नीरजकुमार: |
05-07 | Sanskrit |
4 | संस्कृताध्यापने विविधस्तरेषु अधितन्त्रिमाध्यमेन शिक्षा अन्तर्जालीया शिक्षाप्राविधिकस्य न्यायसङ्गतोपयोगितायाः निश्चयनम् S V Vijay Kumar, प्रो. प्रह्लाद आर. जोशी, प्रो. बी. चन्द्नशेखरम् |
119-121 | Sanskrit |
5 | वाल्मीकिरामायणस्य युद्धकाण्डे वर्णितप्रथमपञ्चमसर्गे शब्दालङ्काराणां विमर्शः Tridib Acharjya |
111-114 | Sanskrit |
6 | अमरकोशे वर्णितं रथविषयकम् अध्ययनम् Nayan Bala Das |
107-110 | Sanskrit |
7 | वेदान्तसिद्धान्तमुक्तावली अनुसारेण ईश्वरस्वरूप Alka |
104-106 | Sanskrit |
8 | शतककाव्यानां परिचयः पूनम कुमारी |
100-103 | Sanskrit |
9 | समाजोपरि कल्किपुराणस्य भक्तिप्रभावः कल्लूर् साहिपीर् साहेब् |
97-99 | Sanskrit |
10 | जीव की गतियों का स्वरूप : श्रीमद्भगवद्गीता हर्ष कुमार शुक्ल, डॉ. दिलीप तिवारी |
93-96 | Sanskrit |
11 | औपम्यवर्गीयालंकाराणां काव्यसौन्दर्योपकारकत्वम् पूनम कुमारी |
82-85 | Sanskrit |
12 | शिवसंहितायां चक्रस्वरुपविवेचनम् सारदा हाँसदा |
78-81 | Sanskrit |
13 | तन्त्ररत्नोक्तं चन्द्रसाधनम् तथा पञ्चाङ्गसाधनम् P S Angad |
71-72 | Sanskrit |
14 | ॥श्रीमद्देवीभागवतस्य प्रथमस्कन्धस्थ अव्ययपदानां, सर्वेक्षणात्मकमध्ययनम्॥ अरुणकुमारमिश्र: |
68-70 | Sanskrit |
15 | अभावघटितालङ्काराणां विमर्शः Kabery Hossain |
61-63 | Sanskrit |
16 | लोकसंस्कृतौ प्राकृतच्छन्दानां कोशग्रन्थानां च परिचयः नीरजकुमार: |
57-60 | Sanskrit |
17 | नैयायिकमतनिराकरणपूर्वकं नागेशदिशा शक्तेः स्वरुपनिरुपणम् सीतांशुरंजनदाशः |
53-56 | Sanskrit |
18 | अपरस्याङ्गगुणीभूतव्यङ्ग्यस्य जीवानन्दसागरीयमहेशचन्द्रन्यायरत्नटीकयोः तुलनात्मकाध्ययणम् सुदाम परामानिकः |
47-52 | Sanskrit |
19 | प्रमुखेषु प्राकृतग्रन्थेषु लोकतत्त्वम् नीरजकुमार: |
44-46 | Sanskrit |
20 | त्रिफलाग्रन्थानुसारेण भूप्राप्तिराजयोगाः संज्ञा शतपथी, डा कृष्णकुमारभार्गवः |
40-43 | Sanskrit |
21 | भारतीयखगोलशास्त्रोक्तभूगोलस्वरूपम् डा. राघवेन्द्रः |
27-29 | Sanskrit |
22 | आधुनिकसमाजे ब्राह्मण वर्णस्य उपादेयता बलराम पधान |
23-26 | Sanskrit |
23 | मालती जोशी के कहानियों में नारी के विविध रूपों का दर्शन प्रो. डॉ. शिवाजी सांगोळे, अनिता शामराव शेजोळे |
18-22 | Hindi |
24 | आचार्यधनपालविरचिते तिलकमञ्जरिकथाकाव्ये औचित्यम् मण्टु कुमार जाना |
08-13 | Sanskrit |
25 | ईशोपनिषदि आत्मस्वरूपं विवर्त्तवादश्च डॉ.निरञ्जनमिश्र: |
184-185 | Sanskrit |
26 | कल्किपुराणन्तर्गत भक्तितत्त्वानां वैशिष्ठ्यम् कल्लूर् साहिपीर् साहेब् |
181-183 | Sanskrit |
27 | महर्षि मनुविरचित मनुस्मृतिग्रन्थे वर्णजातिविचार: Balaram padhan |
171-176 | Sanskrit |
28 | स्मृतिषु अन्यतमा भगवद्गीता Veena Chandran |
164-165 | Sanskrit |
29 | श्री महाकवि कालिदासस्य दार्शनिकं चिन्तनम् डॉ यन् सिद्धरामेश्वर शर्मा |
157-158 | Sanskrit |
30 | मनुष्यजीवने दैवसम्पदः अभ्युत्थाने भगवत्स्वामिनारायणोपदिष्टसाधनेषु अन्यतमसाधनम् – भगवत्स्वरूपे भगवद्धारकसत्पुरुषे च दिव्यभावस्थापनम् डॉ. कृष्ण गजेन्द्र पण्डा |
148-152 | Sanskrit |
31 | रक्षाबन्धनविषयक अथर्ववेदीय वैज्ञानिक-विवेचन प्रो. सुन्दरनारायणझाः |
141-144 | Sanskrit |
32 | आचार्य रव्वा श्रीहरिमहोदयस्य फिरदौसी अनुवादवैचित्री Bantu Mallesh |
137-140 | Sanskrit |
33 | सांख्यनये कार्यकारणविचार: वीरेन्द्र कुमार त्रिपाठी |
127-129 | Sanskrit |
34 | श्रीमद्रामायणे मानवीयमूल्यानि Valluri.Thriyambakam |
125-126 | Sanskrit |
35 | शिक्षाग्रन्थेषु ऋग्वेदप्रातिशाख्यस्य महत्त्वम् डॉ.कृष्ण: गजेन्द्र:पण्डा |
122-124 | Sanskrit |
36 | आधुनिकार्थनितीदृष्ट्या कौटिलीयार्थशास्त्रीयव्ययव्यवस्थायाः पर्यालोचनम् डॉ. बिभूति लोचन शर्मा |
119-121 | Sanskrit |
37 | आधुनिकशिक्षायां व्यावसायिकशिक्षायाः स्थानम् तानिगडप केशव रावु |
116-118 | Sanskrit |
38 | साधानाभिप्रायेण भागवतान्तर्गतानि वेदान्ततत्त्वानि शिवप्रसाद पाठी |
113-115 | Sanskrit |
39 | श्रीमद्भागवते रुक्मिणी अप्पन रमादेवी, |
110-112 | Sanskrit |
40 | उत्पत्त्यसम्भवाधिकरणम् – चार्वाकाऽक्षरपुरुषोत्तमदर्शनयो: संवाद: डॉ.कृष्ण: गजेन्द्र:पण्डा |
108-109 | Sanskrit |
41 | जैनाचार्याणां दृष्ट्या योगस्य स्वरूपम् राधाकृष्ण यादवः |
105-107 | Sanskrit |
42 | उपनिषत्सु ब्रह्मतत्वस्य अवधारणम् चिरञ्जीतदासः |
103-104 | Sanskrit |
43 | समाजे शैक्षिकाधिकारप्रवृत्तिनाम् अध्ययनम् बैजन्तिवाला साहुः |
98-102 | Sanskrit |
44 | जीवनात् दुरम् योगं च स्वास्थ्यभोजनाभ्यासाः मङ्गलाचरणम् Uma Manna |
96-97 | Sanskrit |
45 | पुराणानां दिव्यत्वं प्राचीनता च Ganapati Bhat |
92-95 | Sanskrit |
46 | किरातार्जुनीयग्रन्थे भारवेः आध्यात्मिकचिन्तनम् टिकेराममिश्रः |
90-91 | Sanskrit |
47 | पुराणेषु अद्वैतवेदान्तसिद्धान्तस्य विचारविलासः। Ganapati Bhat |
82-86 | Sanskrit |
48 | अक्षरब्रह्मद्वारा परब्रह्मणः प्राकट्यम् : शास्त्रसत्पुरुषवचनाभ्याम् Dr. Krishna Gajendra Panda |
68-77 | Sanskrit |
49 | पदार्थतत्त्व-तमोविषययोः न्यायकन्दली-किरणावल्योः तुलनात्मकम् आलोचनम् Srijib Goswami |
65-67 | Sanskrit |
50 | ब्रह्मसूत्रस्वामिनारायणभाष्यस्थजिज्ञासाधिकरणे ब्रह्मद्वयमीमांसा Dr. Krishna Gajendra Panda |
56-58 | Sanskrit |
51 | जगदुत्पातानां मुख्यहेतवस्तथा तेभ्यः वैदिकी सुरक्षा मनमोहनशर्मा |
53-55 | Sanskrit |
52 | वेदपुराणयोः रुद्रशिवयोः स्वरूपम् डॉ. कृष्ण: गजेन्द्र: पण्डा |
49-52 | Sanskrit |
53 | अक्षरपुरुषोत्तममाहात्म्यग्रन्थे रसनिष्पत्ति: Dr. Krishna Gajendra Panda |
42-44 | Sanskrit |
54 | श्रीमद्भागवतमहापुराणस्थभक्तितत्त्वानां पौराणिकमनुशीलनम् प्लावनमिश्रः |
35-37 | Sanskrit |
55 | डा.रमाकान्तशुक्लप्रणीतं प्राच्यविद्याशताब्दीयकाव्यस्य वैशिष्ट्यम् विवेक कुमार जोशी |
25-30 | Sanskrit |
56 | भेदशून्यं ब्रह्म भीमराजः |
12-14 | Sanskrit |
57 | अद्वैतवेदान्तदर्शने आचार्यश्रीमधुसूदनसरस्वतीपादानां सिद्धान्तविमर्शः सौरभ पन्त |
09-11 | Sanskrit |
58 | चातुर्मास्यप्रयोगविमर्शः Satyajit panda |
06-08 | Sanskrit |
59 | উপনিষদ্গ্রন্থানুসারে শিক্ষার স্বরূপ দীপান্বিতা দাস পড়্যা (Dipanwita Das Paria) |
179-183 | Sanskrit |
60 | धनपालप्रणीतायां तिलकमञ्जरिकथायां दार्शनिकचिन्तनम् मण्टु कुमार जाना |
169-174 | Sanskrit |
61 | भागवतवेदान्तोभयसिद्धान्तानुरोधेन आत्मतत्त्वविमर्शः शिवप्रसाद पाठी |
163-165 | Sanskrit |
62 | नवयोगीन्द्राः अप्पन रमादेवी |
158-160 | Sanskrit |
63 | अथर्ववेदपरम्परायां सर्पविषचिकित्सा (विशेषतः आथर्वणपैप्पलादसंहितोऽक्तः सर्पविशनाशनसूक्तं तथा सिद्धसारसंहिताधारेण प्रस्तुतोऽय़ं प्रबन्धः) श्रीमती कविता महापात्र |
151-155 | Sanskrit |
64 | वैश्विकापदः कोरोनासङ्क्रमणस्य ज्योतिषशास्त्रीयं विवेचनम् मनमोहनशर्मा |
149-150 | Sanskrit |
65 | लक्षणास्वरूपम् ड. निवेदिताकर |
147-148 | Sanskrit |
66 | श्रीमद्भागवतमहापुराणस्थोपासनाविद्यायाः एकमनुशीलनम् प्लावनमिश्रः |
144-146 | Sanskrit |
67 | महाकवि कालिदास की सञ्चारव्यवस्था- अभिज्ञानशाकुन्तलम् के सन्दर्भ में मोनिका |
140-143 | Sanskrit |
68 | संस्कृतवाङ्मयेषु शिक्षकस्य गुणाः विशेषता च देवकीनन्दन पति |
128-132 | Sanskrit |
69 | डा. प्रमोदकुमारनायकमहोदयस्य संस्कृतकीर्तिषु नारीभावना गौरी-वसाकः |
121-123 | Sanskrit |
70 | वाक्यपदीयानुसारं सिद्धक्रियाणां साध्यत्वविचारः सन्दीपन-रायः |
116-120 | Sanskrit |
71 | श्रीबोधिसत्त्वचरितम् में आत्मतत्त्व का चिंतन–एक विश्लेषण ईशा शर्मा |
111-112 | Sanskrit |
72 | शाब्दिकनये शब्दतत्त्वस्वरूपम् डॉ. पशुपतिनाथमिश्रः |
107-110 | Sanskrit |
73 | वैदिकसाहित्ये काव्यतत्त्वानि डॉ. छोटूकुमारमिश्रः |
104-106 | Sanskrit |
74 | अग्निपुराणे वर्णितानां औषधीयोद्भिदानां संरक्षणोपाया मधुमितासाहु |
101-103 | Sanskrit |
75 | भारतीयज्ञानपरम्परायां राष्ट्रनिर्माणपरिप्रेक्ष्ये संस्कृतस्य भूमिका डॉ. दीपमाला आर्या |
87-92 | Sanskrit |
76 | वास्तुशास्त्रनुसारं भूमेः अष्टदिक्प्लवत्वफलम् डा.रतीश कुमार झा |
80-82 | Sanskrit |
77 | अभिराजयशोभूषाणदिशा छन्दोमुक्तकाव्यानुशीलनम् B Mohan Kumar |
72-73 | Sanskrit |
78 | उत्कलप्रान्तस्य मन्दिराणां स्थापत्यम् मेघा शर्मा |
66-71 | Sanskrit |
79 | विज्ञानभिक्षु परिप्रेक्ष्ये प्रकृतिवादे स्थितिः बहुलवादश्च पिन्टुः दासः |
61-65 | Sanskrit |
80 | ययोगाभ्यासात् जायमानयो सामाजिकव्यवहारपरिवर्तनम् लक्ष्मीकान्त शर्मा |
53-55 | Sanskrit |
81 | भारतस्य चन्द्र यात्राः विपिन रयाल |
50-52 | Sanskrit |
82 | ज्योतिःसाररत्नावल्यानुसारेण उदररोग निर्णयः लिप्सा कुमारी दलाई |
47-49 | Sanskrit |
83 | आधुनिककाले यात्रायाः महत्त्वम् विपिन रयाल |
39-40 | Sanskrit |
84 | सांख्ययोगयो: कैवल्यविमर्श: सबिता बन्धु |
37-38 | Sanskrit |
85 | सर्वा खल्वियं शक्तिः Nirakar Samantray |
32-33 | Sanskrit |
86 | प्रह्लादविजयमहाकाव्यमातृकायाः पर्यालोचनात्मकम् अध्ययनम् Priyanka Moharana |
29-31 | Sanskrit |
87 | संस्कृतदृश्यकाव्येषु दर्शनप्रभावः Kabery Hossain |
22-28 | Sanskrit |
88 | तर्कामृतदिशा हेत्वाभासस्वरूपम् अनिन्दिता नन्दी |
18-21 | Sanskrit |
89 | होराकृष्णीये राहुकेत्वोः विशेषविचारः Murali Krishna. V |
16-17 | Sanskrit |
90 | श्रीमद्रामायणे सुन्दरकाण्डे तृतीयसर्गे व्याकरणदृष्ट्या सन्धिपदानामध्ययनम् सूर्यकान्तदास: |
13-15 | Sanskrit |
91 | सिद्धान्तकौमुद्याः सुखबोधिनितत्त्वबोधिन्याख्ययोः माहेस्वरसूत्राणि सूर्यकान्तदास: |
07-09 | Sanskrit |
92 | प्रियदर्शिकानाटिकायाः रसविचारः मनिका मण्डल , डॉ. अर्णवपात्रः |
194-196 | Sanskrit |
93 | श्रीमद्भगवद्गीता के अनुसार आतंकवाद का उन्मूलन हर्ष कुमार शुक्ल, डॉ. दिलीप तिवारी |
191-193 | Sanskrit |
94 | साम्प्रतिक समाजे क्षेत्रियवर्णस्य विचारः Balaram padhan |
186-190 | Sanskrit |
95 | प्रातिशाख्यपाणिनीयव्याकरणयोलोपसिद्धान्तः एकम् तुलनात्मकमध्ययनम् अशोक कुमार षडङ्गी, ड. पूर्णचन्द्र पाढी |
176-179 | Sanskrit |
96 | वैदिक साहित्य में योग की अवधारणा जयवीर सिंह राजौरिया, राघवेन्द्र चतुर्वेदी, डॉ.सुदामा सिंह यादव |
170-172 | Sanskrit |
97 | अथर्ववेदे औषधविज्ञानम् डॉ. छोटू कुमार मिश्र |
158-160 | Sanskrit |
98 | परमलघुमञ्जूषादिशा निपातार्थविचारः डॉ. पशुपतिनाथमिश्रः |
154-157 | Sanskrit |
99 | वेदान्तदर्शने योगतत्त्वम् भीमराजः |
150-153 | Sanskrit |
100 | सुभाषिताः वाल्मीकि रामायणः आधुनिकपुरुषाय सन्देशः Dr. T. Venkateswarlu |
147-149 | Sanskrit |