S. No. Manuscript Title & Author Page No. Read Article Language
1 SOCIO-CULTURAL SIGNIFICANCE OF SURPANAKHA IN KERLA CLASSICAL THEATRE
Dr. K K Beena
01-03
English
2 जैनदर्शने कर्म सिद्धान्तस्य सामान्यपरिचयः
डॉ. कुलदीप कुमार
04-06
Sanskrit
3 कविकुलगुरूकालिदास के नाटकों में ललितकला निर्देशन
डॉ. आशा अंबोरे
07-10
Sanskrit
4 वर्तमानपरिप्रेक्ष्ये अणुव्रतानामुपयोगिता
जोगिन्द्र सिंह
11-12
Sanskrit
5 भारतीयदर्शनेषु जैनदर्शनस्य परिचयः
जोगिन्द्र सिंह
13-15
Sanskrit
6 दलित आत्मकथाओं में चित्रित दलित जीवन
डॉ शंकर ए.राठोड
16-18
Hindi
7 Sanskrit – The mother of all languages
Dr Saroj Gupta
25-27
English
8 इक्कीसवीं सदी के हिंदी साहित्य में ‘जिंदगी के यथार्थ का बोध’
Dr. T. Lathamangesh
28-30
Hindi
9 समकालीन वैश्विक समस्याएँ तथा उनका धर्मशास्त्रीय एवं न्यायदर्शनपरक निदान
Dr. Anita Rajpal
31-35
Hindi
10 भवानी प्रसाद मिश्र की काव्य भाषा
डॉ. कमलेश सरीन
36-38
Hindi
11 हिंदी साहित्य में आधुनिकता – कविता के विशेष सन्दर्भ में
Dr. Lalimol Varghese P
39-41
Hindi
12 अध्यापक-शिक्षा का भविष्य
डॉ. माता प्रसाद शर्मा
42-44
Hindi
13 हिन्दी आत्मकथाओं में स्त्री विमर्श
डॉ. रेखा शर्मा
45-48
Hindi
14 न्यायनये इन्द्रियविचारः
डा. अम्. वेङ्कट राधे श्याम्
49-51
Sanskrit
15 प्राचीन शिक्षा प्रणाली – एक विवेचन
डॉ. ए. मुक्ता वाणी
52-55
Hindi
16 आगमानां वैशिष्ठ्यम्
P. Srivivasa Swamy Ayyangar
56-57
Sanskrit
17 चाणक्यनीतिः
आचार्य तट्टा विजयराघवाचार्यः
58-62
Sanskrit
18 PᾹṇῙṇi And His Works
Dr. K. Vasantha
63-65
English