S. No. | Manuscript Title & Author | Page No. | Read Article | Language |
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1 | न्यायदर्शन में पदार्थबोध विनय कान्त |
01-03 | Hindi |
2 | बौद्ध कालीन संस्कृति की अविस्मरणीय गाथा –“दिव्या” मनीषा वर्मा |
04-06 | Hindi |
3 | लघुयोगवासिष्ठे दृष्टिसृष्टिवादः – एका समीक्षा Remesh R. |
07-11 | Sanskrit |
4 | Development of Sanskrit Lexicography Neethu Krishnan |
12-14 | English |
5 | लघुयोगवासिष्ठे मायास्वरूपम् – एका समीक्षा Remesh R. |
15-19 | Sanskrit |
6 | Tarkasaṁgraha: A Critique Divakar Mohanty |
20-22 | English |
7 | अहिर्बुध्न्यसंहितायां महाशान्ति विधानम् P.T.G.Bharatasekharacharyulu |
23-25 | Sanskrit |
8 | सांख्यमतरीत्या अन्त: करण विचार: राहुलकुमारभारतीय: |
26-27 | Sanskrit |
9 | हिन्दी उपन्यासों में विस्थापन का दर्द डॉ. बजरंग चौहान |
28-31 | Hindi |
10 | पारस्करोऽक्त अन्नप्राशनसंस्कारविमर्शः S. Sitarama Rao |
32-34 | Sanskrit |
11 | अयनांशतत्त्वविवेकानुसारं नक्षत्रचक्रभ्रमणपरामर्शः नक्षत्रगणनायां कस्य नक्षत्रस्य प्राथम्यमिति विचारश्च रामडुगु श्रीधरः |
35-37 | Sanskrit |
12 | मध्यकालीन इतिहास में भक्ति का औचित्य एवं भक्ति आन्दोलन संजय कुमार |
38-40 | Hindi |
13 | नई कविता और रस के प्रतिमान राहुल कुमार |
41-44 | Hindi |
14 | जीवन और साहित्य सुनीता शुक्ला |
45-46 | Hindi |
15 | श्रीपतिजातकपद्धतेः दशाक्रमविवेचनम् T.K.Vamsi Kumara Sarma |
47-49 | Sanskrit |
16 | समकालीन व्यंग्य साहित्य की चुनौतियाँ सुनीता शुक्ला |
50-51 | Hindi |
17 | अवस्थात्रयनिरूपणम् राहुलकुमारभारतीय: |
52-53 | Sanskrit |
18 | वैदिक संस्कृति साहित्य में पर्यावरण जागरूकता : एक मूल्यांकन डॉ. कादम्बरी मिश्रा, अंजूलिका, डॉ. रूपेश कुमार मिश्रा |
54-56 | Hindi |
19 | श्रीवेङ्कटाचार्य विरचितसन्सूपरिणय नाटकम् एकं साहित्यिकमध्ययनम् Kartick Halder |
57-59 | Sanskrit |
20 | भारतीयसंस्कृतेः रक्षणाय संस्कृतमाध्यमेन संस्कृतशिक्षणस्य समस्याः लोकनाथ दासः |
60-62 | Sanskrit |
21 | नारी सशक्तिकरण और भारतीय सिनेमा मोनालिसा दास |
63-64 | Hindi |
22 | उपनिषत्सु जीवनोद्देश्यत्वं लक्ष्यप्राप्तिश्च Dr.Tomeer Sharma |
65-67 | Sanskrit |
23 | वेदान्ते ब्रह्म स्वरूपविमर्शः मनोज कुमारः |
68-69 | Sanskrit |
24 | ज्योतिषशास्त्रे सर्वानन्दकरणस्य महत्त्वम् समीरः |
70-71 | Sanskrit |
25 | साम्प्रतिकशिक्षाक्षेत्रे धर्मशास्त्रकाराणां योगदानम् Rubirani Samanta |
72-73 | Sanskrit |
26 | धात्वर्थविशेषणीभूतयोः कर्तृकर्मणोः आख्यातार्थत्वम् हरिपद वेरा |
74-78 | Sanskrit |
27 | श्रीमद्भगवत्गीतायाम् अष्टाङ्गयोगः कर्नल् विजयकान्तः सीएस् |
79-82 | Sanskrit |
28 | ज्योतिषशास्त्रान्तर्गतमनावृष्टिविचारः राधेश्याम बहुखण्डी |
83-85 | Sanskrit |
29 | मनुस्मृति में प्रतिपादित षोड्श संस्कारों की आधुनिक परिप्रेक्ष्य में उपयोगिता अरविन्द कुमार आर्य |
86-87 | Hindi |
30 | वर्तमान समाज में नैतिक मूल्यों का ह्रास मधु गुप्ता |
88-90 | Hindi |
31 | योगदर्शने यमविमर्श: विश्वकुमार: |
91-92 | Sanskrit |
32 | आत्म-तत्त्वविचार: राहुलकुमारभारतीय: |
93-94 | Sanskrit |
33 | डॉ. अभिराज राजेन्द्र मिश्र प्रणीत प्रहसन डॉ. स्मिता शर्मा |
95-98 | Hindi |
34 | वेदराही हुन्दी क्हानी ‘बलकाक ते बोबो’ च चित्रित युद्ध ते शांति: इक विमर्श सतीश कुमार |
99-100 | Hindi |
35 | भीमप्रबन्धमहाकाव्ये रसविमर्शः Anjali Kabat |
101-103 | Sanskrit |
36 | विवेकानन्द-महात्मागान्धिमहोदययोः स्त्रीशिक्षायाम् अवदानम् Manab Sen |
104-107 | Sanskrit |
37 | वेद व्याख्या में व्याकरण की उपयोगिता अरविन्द कुमार आर्य |
108-110 | Hindi |
38 | प्राचीन भारत में शिक्षा प्रणाली का सांस्कृतिक विकास डॉ. सुषमा जोशी |
111-113 | Hindi |
39 | वैयासिकं कृषिपर्य्यालोचनम् मधुमिता पान |
114-117 | Sanskrit |
40 | डुग्गर दे खान-पान दा सेह्तपरक जायज़ा कुनाल शर्मा |
118-119 | Hindi |
41 | अलङ्कारशास्त्रे आनन्दवर्धनः Sujoysatvaya |
120-124 | Sanskrit |
42 | सैंक्षन – क्हानी संग्रैह् च चित्रित शैह्री वातावरण अणु शर्मा |
125-126 | Hindi |
43 | पुल्य उमामहेश्वरकवेः श्रीरामलिङ्गेश्वरस्तवराजः टि.लावण्या |
127-129 | Sanskrit |
44 | रामचरित मानस में मंगल: विश्लेषण और विनियोग डॉ. शत्रुघ्न शरण सिंह |
130-132 | Hindi |
45 | व्यवहारदर्शने राज्ञश्चाधिकार: डॉ. मितालिबेहेरा |
133-135 | Sanskrit |
46 | Analysis of Jaati in Different Systems of Sanskrit V. Ramya Sai |
136-139 | English |
47 | विशिष्टाद्वैतवेदान्ते जीवतत्त्वम् Dr. Rasal Dinesh Pandurang |
140-143 | Sanskrit |
48 | शास्त्रार्थमहारथो नागेशभट्टोऽयं किमभिजनः, कदा, कुत्र कस्मिन् वा जनिमुपाययौ, काशीस्थविद्वत्परिषदा सम्मानम्, पाण्डित्यम् कथं उपलभ्यते ? डॉ. जगदीश प्रसाद जाटः |
144-147 | Sanskrit |
49 | वेणीसंहारनाटके नायकः कः ? डा. जे.बलिचक्रवर्ती |
148-150 | Sanskrit |
50 | तैत्तिरीय घनपाठस्य वैशिष्ट्यम् S.Suryanarayanmurthy |
151-153 | Sanskrit |
51 | महाकविकालिदासकृत अभिज्ञानशाकुन्तले हास्यरसानुशीलनम् Dr. G. Sireesha |
154-156 | Sanskrit |
52 | मत्स्यपुराणोक्तमदनद्वादशीव्रतम् एम्. श्रीधरः |
157-158 | Sanskrit |
53 | प्राचीन ग्रंथों में मीणा जाति डॉ॰ औंकार लाल मीणा |
159-161 | Hindi |
54 | आश्रमव्यवस्था माचर्ल उमामहेश्वर रावु |
162-163 | Sanskrit |
55 | वेदों में पर्यावरण संतुलन डॉ. मीरा |
164-165 | Hindi |
56 | भारतीयसंविधानं मानवाधिकाराश्च प्रो. पि.वेङ्कटरावः |
166-168 | Sanskrit |