S. No. | Manuscript Title & Author | Page No. | Read Article | Language |
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1 | महाश्वेतादेवी की कहानियों में आदिवासी विमर्श Dr.Lalimol Varghese P |
01-03 | Hindi |
2 | Paninian concept of Sounds Dr.Jayageetha.K.N |
04-12 | English |
3 | जगत में गुरू ग्रह का प्रभाव शुभम शर्मा |
13-15 | Hindi |
4 | कौटिल्यमते विद्यासमुद्येशस्थापना अर्च्चनामञ्जरी सामल |
16-17 | Sanskrit |
5 | परशुरामशिष्याणां गुणदोषविमर्शः मोहनसुन्दरम्.पि.आर्. |
18-20 | Sanskrit |
6 | शुक्राचार्यस्य षाड्गुण्यनीतिः Debasish Sarkar |
21-23 | Sanskrit |
7 | श्रीरामानुजदर्शने जीवब्रह्मणोः स्वरूपनिरूपणम् Dr. P.T.G. Ranga Ramanujachyulu |
24-26 | Sanskrit |
8 | शिवपुराणे सामाजिकजीवनम् Dr. Ramesh Babu Bandi |
27-29 | Sanskrit |
9 | कौटल्योक्त राजधर्म विमर्शः Dr. Sitansubhusan Panda |
30-32 | Sanskrit |
10 | रूपकों में नायक निरूपण डॉ. धानी जामोद |
33-35 | Sanskrit |
11 | स्वामी विवेकानन्द दर्शन के अनुसार योग के विभिन्न आयाम डॉ. इन्दू डुडवे |
36-37 | Hindi |
12 | भावार्थरत्नाकरोक्तवाहनभाग्ययोगौ वीरभद्रप्प डि.एस्. |
38-40 | Sanskrit |
13 | सोमयागे यजमनदीक्षाविषयम् Jagannath Sarma |
41-42 | Sanskrit |
14 | प्राणायामे ध्याने च मुद्रा: Dr. Beena K. K. |
43-46 | Sanskrit |
15 | श्रीमद्भागवतमहापुराणे नैकेषु स्थलेषु नैकधा प्रतिपादितं सृष्टि: उपेन्द्र दुबे |
47-49 | Sanskrit |
16 | पुराणेषु राष्ट्रियभावनासमृद्धिविचारः परमेश्वरः |
50-51 | Sanskrit |
17 | प्रवर्ग्य स्वरूप परिशीलनम् Jagannath Sarma |
52-54 | Sanskrit |
18 | अयं यज्ञो भुवनस्य नाभिः दुर्गाशरणरथः |
55-58 | Sanskrit |
19 | व्याकरणशास्त्रे लिङ्गव्यवस्था सनातनघोषः |
59-62 | Sanskrit |
20 | अप्रकाशितायाः नवमालिकानाटिकायाः कर्तुः मातृकाणां च परिचयः रागि वेङ्कटाचारी |
63-67 | Sanskrit |
21 | श्रौतयागेषु मीमांसाशास्त्रस्य उपयोगिता अभिजीत अविनाश देशपाण्डे |
68-70 | Sanskrit |
22 | आधुनिक संस्कृत नाट्य साहित्य के क्षेत्र में प्रो. हरिदत्त शर्मा का योगदान डॉ. प्रदीप कुमार |
71-73 | Hindi |
23 | मनुयाज्ञवल्क्योर्मते पापानां भेदाः जस्मिन्पोथाल |
74-76 | Sanskrit |
24 | काण्वसंहितायामुत्तरविंशतौ आनन्दवोधस्य भाष्यवैशिष्ट्यम् शिवशङ्करहोता |
77-80 | Sanskrit |
25 | प्रश्नशास्त्रस्य महत्वम् Rajesh Ku. Kar |
81-83 | Sanskrit |
26 | वैदेशिकाटनमहाकाव्यस्यानुसारं थाईदेशे संस्कृतम् प्रताप कुमार मेहेरः |
84-86 | Sanskrit |
27 | प्रश्नकुण्डल्याः वैशिष्ठ्यम् Rajesh Ku. Kar |
87-88 | Sanskrit |
28 | प्रमाणशास्त्रस्य वेदान्तव्याख्यानोपयोगित्वम् डा. पुष्कर देवपुजारी |
89-92 | Sanskrit |
29 | संस्कृतसाहित्यम्- गुरुमाहात्म्यम् Kurella. Ahalya |
93-97 | Sanskrit |
30 | प्रवर्ग्ययागस्य स्वरूपम् राहुल |
98-99 | Sanskrit |
31 | सोमयागे प्रयुक्तसोमलताया: औषधीयम निरूपणम् सोमकृष्ण: |
100-102 | Sanskrit |
32 | न्यायवैशेषिकदर्शने जीवस्य स्वरुपम् Nakul Kumar Sahoo |
103-104 | Sanskrit |
33 | जगदीशशतकस्य श्लोकानां भक्तिरसप्रतिपादनम् मिताराणी दाश |
105-107 | Sanskrit |
34 | याज्ञवल्क्यमते प्रायश्चित्तस्य स्वरुपम् जस्मिन्पोथाल |
108-109 | Sanskrit |
35 | पृथिवीद्रव्यविवेचम् अतुलप्रकाशपाठक: |
110-113 | Sanskrit |
36 | भारतीयदर्शनभेदस्वरूपविवेचम् अतुलप्रकाशपाठक: |
114-115 | Sanskrit |
37 | कालिदासानुसारं साम्प्रतिककाले पर्यावरणसुरक्षा Laxman Majhi, Saroj Mahananda |
116-120 | Sanskrit |
38 | TEN OF PRINCIPLES OF NATURE CURE: SCIENTIFICALLY EXPLAINED Dr. Vijay Singh Gusain, Abhishek Kumar |
121-125 | English |
39 | मीमांसायां नञर्थविचारः प्रवीण सेमवालः |
126-130 | Sanskrit |
40 | चित्र मीमांसा का मूल प्रतिपाद्य एवं उसका महत्व संजय दत्त भट्ट |
131-134 | Hindi |
41 | Gita And Management Lingya Gugulothu |
135-137 | English |
42 | रामायण में निरूपित धर्म : आज की महती आवश्यकता डॉ.राजेश मीना |
138-141 | Hindi |
43 | वश्यवाणीकविचक्रवर्ती महाकविर्बाणभट्टः डॉ. ओम प्रकाश मिश्र |
142-144 | Sanskrit |
44 | भगवान स्कन्द के विविध नामों की समीक्षा पौराणिक आख्यानों के विशेष सन्दर्भ में डा. शोभा मिश्रा |
145-149 | Sanskrit |
45 | रघुवंशमहाकाव्ये शिल्पकलानिरूपणम् के. शेखर् |
150-151 | Sanskrit |
46 | मुद्राराक्षस-सुसंहतभारतनाटकयोः नाटकलक्षणतुलना P. Swapna Priya |
152-153 | Sanskrit |
47 | गीतगोविन्दसङ्गीतमाधवकाव्ययोः तोलनम् दीपक महालिक |
154-157 | Sanskrit |
48 | वेदानां महत्वम् चन्द्रशेखर मिश्र |
158-159 | Sanskrit |
49 | विष्णुधर्मोत्तरपुराणे प्रायश्चित्तविधिः वि.जयकृष्णः |
160-161 | Sanskrit |
50 | शिक्षणक्षेत्रे संस्काराणामावश्यकता डॉ. कृष्णचन्द्रकविः |
162-164 | Sanskrit |
51 | प्रपत्तिमाहात्म्यम् डा. सुदर्शनन् एस् |
165-168 | Sanskrit |
52 | संस्कृतरूपकाणाम् उद्भव: विकासश्च Pradyumna Kumar Sahoo |
169-172 | Sanskrit |
53 | ब्रह्मणः स्वरूपम् अद्वैते विशिष्टाद्वैते च डॉ. ओ. आर्. विजयरावः |
173-176 | Sanskrit |
54 | ‘कारा कुन्ती की’ नाटक में स्त्री विमर्श उमा चौधरी |
177-179 | Hindi |
55 | दैवासुरसम्पद्विभागयोगस्य पुरुषोत्तमयोगोपायत्वविचारः डा.नागराजभट्टः |
180-182 | Sanskrit |
56 | शुक्लयजुर्वेदस्य वैज्ञानिकमध्ययनम् ओंकार यशवन्त सेलूकरः |
183-186 | Sanskrit |
57 | षष्ठशतकीयमहाकविकुमारदासप्रणीतजानकीहरणमहा-काव्यस्यसमाजसांस्कृतिक चिन्तनम् डॉ. बुल्टीदास: |
187-189 | Sanskrit |
58 | अलिविलासिसंलापकाव्यस्य महाकाव्यत्वम् डॉ. केशवकुमार |
190-191 | Sanskrit |
59 | Studies On The Meghadūta With Reference To Kālidāsa’s Treatment Of Nature And Natural Phenomena Dr. Dhrubajit Sarma |
192-195 | English |
60 | अष्ठविवाहानां लक्षणानि P. Srivivasa Swamy Ayyangar |
196-198 | Sanskrit |
61 | Hatha Yogadhikari Lakshanani (Essential Principles of a Hathayogi) Dr. R. Lakshminarayana |
199-201 | English |
62 | ज्योतिश्शास्त्रप्रयोजनम् प्रो. वि.उण्णिकृष्णन् नम्पियातिरिः |
202-204 | Sanskrit |