S. No. | Manuscript Title & Author | Page No. | Read Article | Language |
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1 | श्रीजगन्नाथसंस्कृतिः उत्कलीयभाषासाहित्यञ्च डॉ. देवज्योति जेना |
01-04 | Sanskrit |
2 | यादवाभ्युदयमहाकाव्यरत्ने तिङन्तपदानां विशिष्टप्रभावः मधुरकवि आचार्यः |
05-08 | Sanskrit |
3 | पण्डितराजकृतगंगालहर्यां प्रसादगुणः देवाशिष पाणिग्राही |
09-11 | Sanskrit |
4 | दूतवाक्ये उपमालंकारः Gobinda Sahu |
12-14 | Sanskrit |
5 | मेघदूतमेकं मनोवैज्ञानिकं विश्लेषणम् प्रीति |
15-17 | Sanskrit |
6 | The concept of fractions in the Gaṇitasārasaṅgraha (G.S.S), a jaina text on pure Mathematics in Sanskrit literature Dr. P.M.Mini |
18-20 | English |
7 | संस्कृतसाहित्यस्रष्टा वसुप्रहराजः श्रीनिवाससाहुः |
21-23 | Sanskrit |
8 | दर्शन तथा धर्म में सह-सम्बन्ध का अनुशीलन डॉ. सस्मिता बन्दर नायक |
24-27 | Hindi |
9 | वीरभद्रदेवचम्पूकाव्ये शब्दालङ्काराः शुभश्री प्रधान |
28-30 | Sanskrit |
10 | वाल्मीकि रामायणे वास्तुशाश्त्रीयगृहनिर्माणकलाकौशलम् भोलेश्वरप्रधानः |
31-33 | Sanskrit |
11 | न्यायमतरीत्या मनस्वरूपम् वेदेश नागसम्पिगे |
34-35 | Sanskrit |
12 | तर्कसंग्रह-भाषापरिच्छेदनिरूपितव्याप्त्यन्वीक्षा सन्तोष मण्डलः |
36-38 | Sanskrit |
13 | अख्यातिवादनिराकरणपूर्वक अन्यथाख्यातिवादसमर्थनम् वेदेश नागसम्पिगे |
39-40 | Sanskrit |
14 | कवेः अरुणरञ्जनमिश्रस्य कवितायां प्रेमः तथा सौन्दर्यचेतना हरप्रिया पात्र |
41-43 | Sanskrit |
15 | आरुढ़ लग्न देव केरलम् अनिल कुमार सिंह |
44-46 | Sanskrit |
16 | शरीराङ्गवाचकान्युणाद्यन्तपदानि राकेशकुमारः |
47-49 | Sanskrit |
17 | उपनिषदों में कर्म की मीमांसा सावित्री |
50-53 | Sanskrit |
18 | श्रीमद्भगवद्गीता एवं पातञ्जल योगसूत्र के अनुसार भक्ति योग हलधर भरद्वाज |
54-57 | Hindi |
19 | शूद्रोत्पतेः कारणम् सुशान्तकुमारमाझी |
58-61 | Sanskrit |
20 | उच्छिष्टाज्जज्ञिरे सर्वम् इति कथनस्यौचित्यम् राहुल कुमार शर्मा |
62-63 | Sanskrit |
21 | योगस्य माहात्म्यम् K.C.S. Lokeshwar, Dr. (Smt.) D. Jyothi |
64-66 | Sanskrit |
22 | केन्द्रभावस्थ शनिदशाफलम् रविकान्त: |
67-69 | Sanskrit |
23 | उल्कापिण्डविचारः (Meteorite) डूरचन्द: |
70-72 | Sanskrit |
24 | Philosophical thought and rhetoric of “Mahakabi Kalidasa” Prosenjit Roy |
73-76 | English |
25 | संस्कृतवाङ्मये पदस्वरूपविश्लेषणम् शिवानन्द बेहेरा |
77-80 | Sanskrit |
26 | Palaeo-Environment and Settlement Pattern of Neolithic-Chalcolithic Cultures in the Eastern Uttar Pradesh Prof. Shitala Prasad Singh |
81-85 | English |
27 | विद्यापतिपदावलीषु राधातत्त्वम् अञ्जलीपालः |
86-89 | Sanskrit |
28 | ज्योतिषशास्त्रदृष्ट्या राजयोगभङ्गानुशीलनम् रितेशकुमारः |
90-92 | Sanskrit |
29 | मन्त्रविचारः वीरेन्द्रकुमारः वि |
93-94 | Sanskrit |
30 | दिक्साधनम् पवन कुमार: |
95-96 | Sanskrit |
31 | संस्कृत साहित्य में पर्यावरण का महत्व नीलम |
97-99 | Hindi |
32 | संस्कृतवाङ्मये आयुर्विज्ञानम् डॉ. रुद्रेतपाल आर्य |
100-101 | Sanskrit |
33 | तिथेः स्वरूपं भेदाश्च सस्मिता पाढी |
102-103 | Sanskrit |
34 | नकुलीशपाशुपतदर्शने गुरुत्त्वधारणाय भैक्ष्योत्सृष्टादि भिक्षाप्रकाराः भुवनेश भारद्वाजः |
104-107 | Sanskrit |
35 | ज्योतिषशास्त्रानुसारेण आजीविकानिर्णय: डॉ. बृज मोहन |
108-109 | Sanskrit |
36 | हबीब तनवीर के लोक कलाकार उमा चौधरी |
110-112 | Hindi |
37 | शतपथब्राह्मणे अश्वमेधयज्ञस्य महत्तम् ऋतुपर्णा गायेन |
113-118 | Sanskrit |
38 | Scientific Importance of Tulasi (Ocimum sanctum) Plant – Indian Perspective Dr Ishwara Prasad A |
119-121 | English |
39 | तीर्थ अभिधानों की शब्दावली में प्रत्यय विधान डॉ. राजकुमार |
122-124 | Hindi |
40 | साहित्यशास्त्रे अलङ्कारसम्प्रदायः डॉ. प्रसन्नकुमार ऐताळ |
125-126 | Sanskrit |
41 | ध्वनिलक्षणे अर्थस्य विशेषणानुपादेयवत्वस्य, शब्दस्यानुपादेयत्वस्य च निरूपणम् डा.वि.सूर्यप्रभा |
127-128 | Sanskrit |
42 | Co-ordination of conceptual principles between the Bhagavad-Gita and Bhajagovindam Dr. Prasanna Kumar Aithal |
129-131 | English |
43 | भासस्य नाटकेष्वाश्रमव्यवस्थाया: स्वरूपम् श्वेता आर्या |
132-134 | Sanskrit |
44 | महाकविना वाल्मीकिं प्रति आनीता अलंकारिकक्रान्तिः Dr.T.Venkateswarlu |
135-138 | Sanskrit |
45 | जातीयवैमनस्यसमस्या अथ च वैदिकसमाधानम् डॉ. सस्मिता बन्दर नायक |
139-142 | Sanskrit |
46 | स्फोटस्वरूपमीमांसा डा.गोपीकृष्णन् रघुः |
143-145 | Sanskrit |
47 | शिवपुराणान्तर्गत योग आशुतोष रतूडी |
146-148 | Sanskrit |
48 | भर्तृहरि के दर्शन में ‘ध्वनि और ‘नाद’ का स्वरूप Dr. Deepak Kumar Gupta |
149-152 | Hindi |
49 | काण्वसंहिताभाष्यकारेषु अनन्ताचार्यस्य भाष्योत्कृष्टत्वम् लोकनाथ शतपथी |
153-155 | Sanskrit |
50 | अष्टाङ्गयोगः (श्रीमद्भगवद्गीतासन्दर्भे) डॉ. केशवकुमार |
156-157 | Sanskrit |
51 | ज्योतिष शास्त्र में पराशर होराशास्त्र का समीक्षात्मक अध्ययन सुरेश कुमार शर्मा |
158-164 | Hindi |
52 | अमृतमन्थनं महाकाव्ये प्रकृतिवर्णनम् लोपामुद्रा षडङ्गी |
165-166 | Sanskrit |
53 | पूर्वकारणागमे अग्निकार्यविधिः रामञ्च उमामहेश्वरशर्मा |
167-169 | Sanskrit |
54 | गौतमधर्मसूत्रेषु शैक्षिकविचाराः डा. अलोकमण्डलः |
170-172 | Sanskrit |
55 | Swamy Vivekananda Thoughts On Value Based Education Dr. Pathakamuri Madhava Rao |
173-175 | English |
56 | British Society In Victorian Era As Depicted In Vijayinī-Mahākāvya Paromita Raha |
176-179 | English |
57 | योग शास्त्र में पथ्य-अपथ्य एवं आयुर्वेद में आहार-विहार की सामान्य अवधारणा डॉ.रामानंद तिवारी, अभिषेक कुमार, प्रो.पी.एस.ब्याडगी |
180-182 | Hindi |
58 | संस्कृतक्षेत्रे अधितन्त्रिशिक्षणाधिगमस्य एकम् अवलोकनम् प्रो.पि.वेङ्कटरावः |
183-185 | Sanskrit |
59 | वाल्मीकि रामायण की लोक संस्कृति में नारी डॉ० नीता आर्या |
186-188 | Hindi |
60 | प्रस्तावनाकौशलविकासे सूक्ष्मशिक्षणस्य प्रभावः Dr. Venkatrao Jagarlamudi |
189-192 | Sanskrit |
61 | ब्रह्मचारिणः गुरुकुलवास नियमाः P. Srivivasa Swamy Ayyangar |
193-194 | Sanskrit |
62 | Health and Well being through Yoga in the text of Sanskrit Literature Dr. R.Lakshminarayana |
195-197 | English |
63 | कुँवर नारायण की कविताओं से गुजरते हुए मुरली मनोहर सिंह |
198-201 | Hindi |