S. No. | Manuscript Title & Author | Page No. | Read Article | Language |
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1 | रामायण के परिप्रेक्ष्य में यज्ञ – विधान डॉ. सपना चंदेल, वर्षा कुमारी |
01-05 | Hindi |
2 | चातुर्मास्यप्रयोगविमर्शः Satyajit panda |
06-08 | Sanskrit |
3 | अद्वैतवेदान्तदर्शने आचार्यश्रीमधुसूदनसरस्वतीपादानां सिद्धान्तविमर्शः सौरभ पन्त |
09-11 | Sanskrit |
4 | भेदशून्यं ब्रह्म भीमराजः |
12-14 | Sanskrit |
5 | हिन्दी कहानियों में वृद्धा स्त्रियों की व्यथा के विविध आयाम सलोनी प्रिया |
15-18 | Hindi |
6 | ‘अंधेर नगरी ’: समसामयिक परिप्रेक्ष्य मौसम तिवारी, डॉ. स्नेहलता दास |
19-24 | Hindi |
7 | डा.रमाकान्तशुक्लप्रणीतं प्राच्यविद्याशताब्दीयकाव्यस्य वैशिष्ट्यम् विवेक कुमार जोशी |
25-30 | Sanskrit |
8 | भारतीय संस्कृति के पर्व एवम् उनके भेद डॉ. हरेकृष्ण झा |
31-34 | Hindi |
9 | श्रीमद्भागवतमहापुराणस्थभक्तितत्त्वानां पौराणिकमनुशीलनम् प्लावनमिश्रः |
35-37 | Sanskrit |
10 | पाणिनीय व्याकरण व भोज व्याकरण के स्वर सन्धि प्रकरण का तुलनात्मक अध्ययन सोनू |
38-41 | Hindi |
11 | अक्षरपुरुषोत्तममाहात्म्यग्रन्थे रसनिष्पत्ति: Dr. Krishna Gajendra Panda |
42-44 | Sanskrit |
12 | सञ्चार एवं कालिदास नाट्यशैली मोनिका |
45-48 | Hindi |
13 | वेदपुराणयोः रुद्रशिवयोः स्वरूपम् डॉ. कृष्ण: गजेन्द्र: पण्डा |
49-52 | Sanskrit |
14 | जगदुत्पातानां मुख्यहेतवस्तथा तेभ्यः वैदिकी सुरक्षा मनमोहनशर्मा |
53-55 | Sanskrit |
15 | ब्रह्मसूत्रस्वामिनारायणभाष्यस्थजिज्ञासाधिकरणे ब्रह्मद्वयमीमांसा Dr. Krishna Gajendra Panda |
56-58 | Sanskrit |
16 | Śārṅgadeva’s Concept Of Prakīrṇaka In The Saṅgītaratnākara: A Study Shikhajyoti Borthakur, Prof. Kameshwar Shukla |
59-64 | English |
17 | पदार्थतत्त्व-तमोविषययोः न्यायकन्दली-किरणावल्योः तुलनात्मकम् आलोचनम् Srijib Goswami |
65-67 | Sanskrit |
18 | अक्षरब्रह्मद्वारा परब्रह्मणः प्राकट्यम् : शास्त्रसत्पुरुषवचनाभ्याम् Dr. Krishna Gajendra Panda |
68-77 | Sanskrit |
19 | मेलघाट के प्राथमिक शाला के पाठ्यक्रम में कोरकू बोली का प्रयोग डॉ. पन्नालाल लक्ष्मण धुर्वे |
78-81 | Hindi |
20 | पुराणेषु अद्वैतवेदान्तसिद्धान्तस्य विचारविलासः। Ganapati Bhat |
82-86 | Sanskrit |
21 | Contribution of Idealism in the field of Education Prakash Debnath |
87-89 | English |
22 | किरातार्जुनीयग्रन्थे भारवेः आध्यात्मिकचिन्तनम् टिकेराममिश्रः |
90-91 | Sanskrit |
23 | पुराणानां दिव्यत्वं प्राचीनता च Ganapati Bhat |
92-95 | Sanskrit |
24 | जीवनात् दुरम् योगं च स्वास्थ्यभोजनाभ्यासाः मङ्गलाचरणम् Uma Manna |
96-97 | Sanskrit |
25 | समाजे शैक्षिकाधिकारप्रवृत्तिनाम् अध्ययनम् बैजन्तिवाला साहुः |
98-102 | Sanskrit |
26 | उपनिषत्सु ब्रह्मतत्वस्य अवधारणम् चिरञ्जीतदासः |
103-104 | Sanskrit |
27 | जैनाचार्याणां दृष्ट्या योगस्य स्वरूपम् राधाकृष्ण यादवः |
105-107 | Sanskrit |
28 | उत्पत्त्यसम्भवाधिकरणम् – चार्वाकाऽक्षरपुरुषोत्तमदर्शनयो: संवाद: डॉ.कृष्ण: गजेन्द्र:पण्डा |
108-109 | Sanskrit |
29 | श्रीमद्भागवते रुक्मिणी अप्पन रमादेवी, |
110-112 | Sanskrit |
30 | साधानाभिप्रायेण भागवतान्तर्गतानि वेदान्ततत्त्वानि शिवप्रसाद पाठी |
113-115 | Sanskrit |
31 | आधुनिकशिक्षायां व्यावसायिकशिक्षायाः स्थानम् तानिगडप केशव रावु |
116-118 | Sanskrit |
32 | आधुनिकार्थनितीदृष्ट्या कौटिलीयार्थशास्त्रीयव्ययव्यवस्थायाः पर्यालोचनम् डॉ. बिभूति लोचन शर्मा |
119-121 | Sanskrit |
33 | शिक्षाग्रन्थेषु ऋग्वेदप्रातिशाख्यस्य महत्त्वम् डॉ.कृष्ण: गजेन्द्र:पण्डा |
122-124 | Sanskrit |
34 | श्रीमद्रामायणे मानवीयमूल्यानि Valluri.Thriyambakam |
125-126 | Sanskrit |
35 | सांख्यनये कार्यकारणविचार: वीरेन्द्र कुमार त्रिपाठी |
127-129 | Sanskrit |
36 | अक्षरपुरुषोत्तमदर्शन में अक्षरब्रह्मतत्त्व विषयक विचार : अनंतकोटि मुक्तों से भिन्न तथा उत्कृष्ट होने के सन्दर्भ में डॉ. कृष्ण गजेन्द्र पण्डा |
130-136 | Hindi |
37 | आचार्य रव्वा श्रीहरिमहोदयस्य फिरदौसी अनुवादवैचित्री Bantu Mallesh |
137-140 | Sanskrit |
38 | रक्षाबन्धनविषयक अथर्ववेदीय वैज्ञानिक-विवेचन प्रो. सुन्दरनारायणझाः |
141-144 | Sanskrit |
39 | मनुस्मृति और गरुड़ पुराण में राष्ट्रवाद तथा दंड व्यवस्था डा.पङ्कज कुमार माहाना |
145-147 | Hindi |
40 | मनुष्यजीवने दैवसम्पदः अभ्युत्थाने भगवत्स्वामिनारायणोपदिष्टसाधनेषु अन्यतमसाधनम् – भगवत्स्वरूपे भगवद्धारकसत्पुरुषे च दिव्यभावस्थापनम् डॉ. कृष्ण गजेन्द्र पण्डा |
148-152 | Sanskrit |
41 | वर्तमान में दायभाग के विभाजन की प्रासङ्गिकता डॉ. रविदत्त शर्मा |
153-156 | Hindi |
42 | श्री महाकवि कालिदासस्य दार्शनिकं चिन्तनम् डॉ यन् सिद्धरामेश्वर शर्मा |
157-158 | Sanskrit |
43 | जुलूस उपन्यास में विभाजन के सांस्कृतिक घाव डॉ. गौरी त्रिपाठी |
159-163 | Hindi |
44 | स्मृतिषु अन्यतमा भगवद्गीता Veena Chandran |
164-165 | Sanskrit |
45 | झारखण्डशतकम् का समीक्षात्मक अध्ययन निमेश कुमार सिंह |
166-170 | Hindi |
46 | महर्षि मनुविरचित मनुस्मृतिग्रन्थे वर्णजातिविचार: Balaram padhan |
171-176 | Sanskrit |
47 | Digital Marketing Devkumar Gole |
177-180 | English |
48 | कल्किपुराणन्तर्गत भक्तितत्त्वानां वैशिष्ठ्यम् कल्लूर् साहिपीर् साहेब् |
181-183 | Sanskrit |