S. No. | Manuscript Title & Author | Page No. | Read Article | Language |
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1 | वैदिकदेवः सूर्यः डा.निरञ्जनमिश्रः |
01-02 | Sanskrit |
2 | हिन्दी कहानी: विभाजन की पीड़ा निशा वर्मा |
03-04 | Hindi |
3 | नियमसारग्रन्थे परमालोचना स्वरुपम् विवेक कुमार जैन: |
05-07 | Sanskrit |
4 | “कबीर का सार्थक चिन्तन” मुल्ला आदम अली |
08-09 | Hindi |
5 | भागीरथीदर्शनमहाकाव्ये भक्तिरसः रञ्जनरथः |
10-12 | Sanskrit |
6 | ‘वो जो खो गया’ में व्यक्त पारिवारिक विघटन कोशिका शर्मा |
13-15 | Hindi |
7 | धनवृत्तकाव्ये रसविमर्श: के.शिवज्योतिर्मयी |
16-17 | Sanskrit |
8 | उपनिषदानुसारेण आत्मानात्मनोः स्वरूपविचारः Monotosh Sarkar |
18-19 | Sanskrit |
9 | कल्हणस्य राजतरङ्गिण्याः चित्रिता भारतीयसंस्कृतिः Rahuldeb Halder |
20-22 | Sanskrit |
10 | A BRIEF STUDY OF DASARUPAKA OF VISWANATHA DR. LEENA CHANDRA K |
23-25 | Sanskrit |
11 | मोक्षविचारे साहित्यवेदान्तयोः समन्वयः माचाभक्तुनि रेवती सुप्रजा |
26-27 | Sanskrit |
12 | SWAMI VIVEKANANDA’S PRACTICAL VEDANTA DARSANA FOR SOCIAL AND CULTURAL RENNOVATION Dr. K. Unnikrishnan |
28-29 | English |
13 | संस्कृतस्य व्यावहारिकता प्राचीन भारते डा. के. उण्णिक्कृष्णन् |
30-32 | Sanskrit |
14 | वैदिकी दण्डनीतिः जी.सुमेधा |
33-34 | Sanskrit |
15 | थाईदेशस्य इतिहासपर्यालोचनम् सौम्य रञ्जन महापात्र |
35-37 | Sanskrit |
16 | “कृष्णोदयमहाकाव्ये अलंकारविधानम्” मोनिषा खरया |
38-39 | Sanskrit |
17 | इन्दिराजीवनमहाकाव्ये इन्दिराचरित्रम् एकमध्ययनम् रञ्जनरथः |
40-41 | Sanskrit |
18 | तैत्तिरीयसंहितायाः मीमांसोपयोगित्वम् शम्भुनाथमण्डलः |
42-45 | Sanskrit |
19 | विवाहनिर्णयकाले अष्टकूटविमर्शः हंसराज |
46-49 | Sanskrit |
20 | शब्दस्य नित्यत्वानित्यत्वविचारः डॉ. के. अनन्तः |
50-51 | Sanskrit |
21 | तात्पर्यवृत्तिः एका समीक्षा सोमनाथ् सेनापति |
52-53 | Sanskrit |
22 | व्याकरणशास्त्र में समास, समासभेद, एवं समासदर्शन देवनाथ त्रिपाठी |
54-57 | Sanskrit |
23 | महाभारते कर्णः देवाशिष् अग्रवाला |
58-60 | Sanskrit |
24 | ”हनुमन्नाटक का बिम्ब विधान की दृष्टि से परिशीलन“ डॉ.आशारानी पाण्डेय |
61-63 | Sanskrit |
25 | किशोरचन्द्रमहापात्रकृतिषु दायभागसमीक्षाग्रन्थदिशा स्त्रीधनविचारः रीताञ्जलिपुहाणः |
64-65 | Sanskrit |
26 | ज्योतिषशास्त्रे यन्त्रणामुपयोगः राजेन्द्रः |
66-68 | Sanskrit |
27 | ज्यौतिषशास्त्रे कासरोगविचारः विनय कुमार |
69-71 | Sanskrit |
28 | आचार्य सायण कृत पुरुषार्थ सुधानिधि में निहित नीति वचनों का आधुनिक परिवेश में महत्व डॉ. रुचि अग्रवाल |
72-74 | Sanskrit |
29 | संस्कृतसाहित्ये अभिज्ञानशाकुन्तलस्य स्थानम् माचर्ल उमामहेश्वर रावु |
75-76 | Sanskrit |
30 | मुन्डकोपनिषद् में निहित शिक्षण विधियों का वर्तमान समय में प्रासंगिकता ममता पाण्डेय |
77-79 | Sanskrit |
31 | महाभारते व्यक्तित्वजिज्ञासा Sawant Rajendra Manikrao |
80-82 | Sanskrit |
32 | ऋग्वेदप्रतिशाख्ये स्वरसन्धयः डॉ. निरञ्जनमिश्रः |
83-87 | Sanskrit |
33 | Preservation of Samaveda in Andhra Pradesh Dr Girijaprasad Shadangi |
88-93 | English |
34 | साहित्य और लोक गीतों में गढ़वाल पर गोरखा राज का वर्णन डॉ० हरेन्द्र सिंह असवाल |
94-98 | Hindi |
35 | महर्षिदयानन्दस्य ऋग्वेदभाष्ये व्यत्ययप्रयोगाः Prabhasini |
99-101 | Sanskrit |
36 | बदलते भारतीय परिदृश्य में हिन्दी साहित्य के समक्ष उठते नैतिक प्रश्न डॉ. सीमा रानी |
102-103 | Hindi |
37 | प्राच्यपाश्चात्यदृष्ट्या सौन्दर्यशास्त्रसमीक्षणम् डा. सुशान्तकुमारराजः |
104-107 | Sanskrit |