S. No. | Manuscript Title & Author | Page No. | Read Article | Language |
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1 | आधुनिककालीन स्त्रीणाम् आदर्शभूताः वेदकालीन स्त्रियः वा.फणि प्रसादः |
01-03 | Sanskrit |
2 | अद्वैतवेदान्तमते प्रामाण्यविमर्शः निशा मण्डल |
04-05 | Sanskrit |
3 | श्रीमद्भगवद्गीताश्लोकेषु वाक्यविनिमयप्रबन्धनम् धर्मेन्द्र दास |
06-08 | Sanskrit |
4 | तैत्तिरीयसंहितायाम् सायणस्य अवदानम् Chandan Das |
09-10 | Sanskrit |
5 | वैदिकवाङ्मये पर्यावरण विज्ञानम् पि. सुभाषचन्द्रबोसः |
11-12 | Sanskrit |
6 | जगत स्वरूप का निरूपण रीना |
13-14 | Hindi |
7 | श्रीदिव्यसिंहविरचितशिवाजीचरितस्य सामाजिकमध्ययनम् Manoj Kumar Panda |
15-16 | Sanskrit |
8 | ‘‘व्यावसायिक चयनस्य सिद्धान्ताः रूचिप्रभावितकारकाणिश्च’’ प्रदीप प्रसाद भट्ट |
17-19 | Sanskrit |
9 | The status of God in Pūrva-Mīmāṁsā Philosophy Dr. Rashmi Rekha Goswami |
20-22 | English |
10 | अनशन डॉ.गटुलाल पाटीदार |
23-24 | Sanskrit |
11 | ।। भारतीयशिक्षाक्षेत्रे अष्टादशविद्यायाः योगदानम् ।। (Contribution of Ashtadasha vidya in Indian Education System.) Nandadulal Mandal |
25-28 | Sanskrit |
12 | ‘‘वर्तमान परिप्रेक्ष्य और पुलिस’’ डॉ. प्रदीप कुमार दीक्षित |
29-31 | Hindi |
13 | सम्बन्ध का स्वरूप और उसकी नित्यता डॉ.रुद्रेतपाल आर्य |
32-35 | Sanskrit |
14 | संस्कृत साहित्य में वाग्योगों की स्थिति डॉ.प्रियव्रत आर्य |
36-39 | Sanskrit |
15 | Economic Life in Ramayanam Dr. Paramita Panda |
40-41 | English |
16 | मन्त्रदीक्षायां गुरुविचारः खेमचन्द |
42-43 | Sanskrit |
17 | पातञ्जलदर्शने ईश्वरस्वरूपम् शिन्दे मनोज अंगद |
44-45 | Sanskrit |
18 | श्री तुकाराममहाराजस्य वेदनिष्ठा यशोधन किसनमहाराज साखरे |
46-47 | Sanskrit |
19 | घरेलू मसालों का औषधीय महत्व अतुल यादव, मनोज कुमार ,एम.के.पाल , अमित कुमार |
48-50 | Hindi |
20 | उपनिषदों में योग का स्वरूप डॉ.रमेश कुमार |
51-54 | Hindi |
21 | वेदे सृष्टितत्त्वविमर्शः डॉ. निरञ्जनमिश्रः |
55-60 | Sanskrit |
22 | एकस्थः ग्रहाणां योगफलम् Dr. Krishneshwar Jha |
61-62 | Sanskrit |
23 | रामायणम् – प्रजास्वाम्यम् Dr. M.K.Suneetha |
63-65 | Sanskrit |
24 | मङ्गलंपल्लि बालमुरलीकृष्णः – संस्कृतकीर्तनानि E. Krishnaiah |
66-68 | Sanskrit |
25 | संस्कृत साहित्य में मुक्तक काव्य का विकास प्रो. कैलाश नारायण तिवारी |
69-71 | Hindi |
26 | श्रीमद्भगवद्गीता – श्रीरामानुजदर्शनम् Dr. P.T.G. Ranga Ramanujachyulu |
72-77 | Sanskrit |
27 | The relevance and scope of Sanskrit in the New Age Dr.K.Unnikrishnan |
78-79 | English |
28 | व्यक्तित्वविकासे कर्णभारोपदेशः Dr. G. Veera Brahmam |
80-82 | Sanskrit |
29 | दर्शपूर्णमासयोः समागतानां पारिभाषिकशब्दानां विवेचनम् डा. ओंकार यशवंत सेलूकर |
83-85 | Sanskrit |
30 | कारणमाला-एकावली-दीपक-स्वभावोक्त्यलङ्कारेषु शैक्षिकी दृष्टिः डॉ.लक्ष्मीनारायणबेहेरा |
86-88 | Sanskrit |
31 | वैदिकव्याकरणे वर्णसमाम्नाय: Dr. Manoranjan Senapaty |
89-91 | Sanskrit |