S. No. | Manuscript Title & Author | Page No. | Read Article | Language |
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1 | रामायणकाव्यस्य अखण्डप्रभावः Dr. T. Venkateswarlu |
01-04 | Sanskrit |
2 | मीमांसा दर्शन का परिचय एवं आवश्यकता राजेश कुमार गुर्जर |
05-09 | Hindi |
3 | हिंदी उपन्यासों में पंजाबी भाषा शैली चंदा रानी |
10-13 | Hindi |
4 | माध्यमिकस्तरीयच्छात्रेषु सामाजिकसमायोजनसम्बन्धीसमस्या: परामर्शाश्च मधुकरप्रसादपाण्डेय:, डॉ पिंकी मलिक |
14-17 | Sanskrit |
5 | “सुशीला टाकभौरे और शांताबाई कांबले की आत्मकथाओं का तुलनात्मक अध्ययन” तोंडचिरकर मीना बाबुराव, प्रो.राजू एस. बागलकोट |
18-19 | Hindi |
6 | ‘एक सुबह यह भी’ उपन्यास में चित्रित राजनीतिक षड्यंत्र का शिकार दलित समाज अकबरअली शेख |
20-23 | Hindi |
7 | दक्षिणपूर्वी एशियायां मन्दिरस्थापत्यमितिहासश्च (अंकोरवाट-विष्णुमन्दिरस्य सन्दर्भे) मेघा शर्मा |
24-29 | Hindi |
8 | वास्तुसम्मतद्वारविन्यासः आरती |
30-33 | Sanskrit |
9 | स्कन्दपुराणस्य मानसखण्डस्य नन्दादेवीतीर्थस्य विवेचनम् Ruby Bachhety |
34-36 | Sanskrit |
10 | शाक्तोपनिषदः- एकं सिंहावलोकनम् वसन्तशास्त्री रा. पुराणिकः , डॉ.एम् वि जयरेवण्णः |
37-41 | Sanskrit |
11 | Principles of Partnership in Smriti Literature Dr. Vinayak Bhat |
42-44 | English |
12 | आयुर्वेद-ज्यौतिषशास्त्रयोः आधारेण पित्तजरोगाणां विमर्शः गिरीशभट्टः बि |
45-48 | Sanskrit |
13 | हठयोगप्रदीपिकानुसारं कुम्भकाः राहुल कुमार शर्मा |
49-52 | Sanskrit |
14 | हबीब तनवीर के रंग कर्म में लोकचेतना की अभिव्यक्ति डॉ० संदीप कुमार |
53-56 | Hindi |
15 | वास्तुशास्त्रे भवननिर्माणाय भूमिचयनविधिः आरती |
57-60 | Sanskrit |
16 | ।। संस्कृतवाङमये वर्णित-विज्ञान-तंत्रज्ञानस्य उपयोगिता ।। नवीनशास्त्री रा. पुराणिकः, डॉ.एम् वि जयरेवण्णः |
61-64 | Sanskrit |
17 | संस्कृत-वाङ्मये वर्णित प्राणिविज्ञानम् नवीनशास्त्री रा. पुराणिकः, डॉ.एम् वि जयरेवण्णः |
65-70 | Sanskrit |
18 | स्त्रीपुरुषयोप्रजननस्वास्थयविचारः राहुल: |
71-74 | Sanskrit |
19 | योगः मानसिकस्वास्थ्यञ्च गौरव जोशी, प्रो. रचना वर्मा मोहन |
75-77 | Sanskrit |
20 | पत्रकारिता एवं कविता जगत के समन्वयक : घनश्याम श्रीवास्तव रीना कुमारी |
78-79 | Hindi |
21 | भारतीयशिक्षायाः विकासे स्वामिश्रद्धानन्दस्य योगदानम् पवनकुमारनागरः |
80-83 | Sanskrit |
22 | सौन्दर्यलहर्यां श्रुतितत्वाविचारः योगेश्वरदाशः |
84-86 | Sanskrit |
23 | मिश्रित अधिगम (Blended Learning) की अवधारणा – संस्कृत शिक्षा के सन्दर्भ में प्रीति कुमारी, प्रो . रचना वर्मा मोहन |
87-90 | Hindi |
24 | श्रीरामभद्रसाहस्रमञ्जर्यां दुःखापवर्गविचारः कोसुलु गोविन्दराजुलु |
91-94 | Sanskrit |
25 | बौद्ध-संप्रदाय के दार्शनिक विकास का समीक्षात्मक अध्ययन हर्ष कुमार त्रिपाठी |
95-98 | Sanskrit |
26 | वास्तुशास्त्रे भूमिपरीक्षणम् सर्बजया शाश्वती |
99-103 | Sanskrit |
27 | Prachin Dharmasastra Swarna Dana Mohan Kumar Mondal |
104-106 | English |
28 | गोविन्द मिश्र के उपन्यासों में आर्थिक चेतना सोनिया सांगवान |
107-109 | Hindi |
29 | महाभाष्य में काल तत्त्व विमर्श नागेन्द्र कुमार |
110-113 | Hindi |
30 | मशीनी अनुवाद और भाषिक टूल्स डॉ. जयराम गाडेकर |
114-117 | Hindi |
31 | भागवतमहापुराणे ज्ञानकैन्द्रिकनैतिकताया: महत्त्वम् भक्ति भावना मिश्र: |
118-121 | Sanskrit |
32 | धातुकाव्ये प्रयुक्तानां अदादिगणीयधातूनाम् अध्ययनम् स्रोतस्विनी राउत |
122-124 | Sanskrit |
33 | स्मृतिशास्त्रेषु पराशरस्मृते: विलक्षणत्वम् शुभस्मिता राउत |
125-126 | Sanskrit |
34 | वासुदेवविजयकाव्यस्य प्रथमसर्गे प्रयुक्तानि संज्ञासूत्राणि- एकमध्ययनम् श्रीमन्दिर साहु |
127-129 | Sanskrit |
35 | वृक्षानुरोधेन वास्तुज्ञानम् डा. राजश्रीपाढ़ी |
130-132 | Sanskrit |
36 | ज्योतिषशास्त्रेषु दशायाः विचार: रविकान्त: |
133-135 | Sanskrit |
37 | अहर्गणानयनम् पवन कुमारः |
136-137 | Sanskrit |
38 | जन्माङ्गे तृतीयभावफलस्य समीक्षणम् सचिन शर्मा |
138-141 | Sanskrit |
39 | सूर्यसिद्धान्तग्रन्थे सृष्टिविमर्शः डूरचन्दः |
142-144 | Sanskrit |
40 | भारतीय आस्तिकदर्शने (सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक, मीमांसा, वेदान्त) मोक्षस्य अवधारणा Prasanjit Barman |
145-155 | Sanskrit |
41 | संस्कृतशिक्षणे रचनावादी उपागमे शिक्षणव्यूहरचनायाः अनुप्रयोगः बिरञ्चीनारायणरथः |
156-160 | Sanskrit |
42 | हृदरोगविचारः डा. विजयलक्ष्मीमहापात्रः |
161-164 | Sanskrit |
43 | मूल्यबोधशिक्षायाः विकासे शिक्षकस्य भूमिका (Role of Teacher in the context of development of Value Education) स्निग्धा धरः |
165-167 | Sanskrit |
44 | श्रीमद्भगवद्गीतायां वर्णितानां मूल्यानां शैक्षिकदृष्टिः Dr. Tanmay Mandal |
168-171 | Sanskrit |
45 | व्यक्तित्वस्य प्रकृतिः भेदाः विशेषताः प्रभावकाश्च अनिल कुमार |
172-175 | Sanskrit |
46 | रामायणे विद्यमानानि शैक्षिकतत्त्वानि सौरभ सरदारः |
176-180 | Sanskrit |
47 | न्यायनये शब्दोपमानयोः प्रमाणयोः स्वरूप विमर्शः डा.ए.वेङ्कट राधेश्याम |
181-183 | Sanskrit |
48 | ‘आषाढ़ का एक दिन’ में भावना और यथार्थ का संघर्ष मौसम तिवारी, डॉ. स्नेहलता दास |
184-186 | Hindi |
49 | Hermeneutical discussion in Pūrva-Mīmāṁsā: with special reference to the suffix ktvā/lyap Bhav Sharma |
187-189 | English |
50 | गीतांजलि श्री की कहानी ‘एक नन्ही मुस्कान’ में मानवीय संबंध डॉ. लेखा. एम |
190-193 | Hindi |
51 | वेदपाठानां ध्वनिप्राधान्यविचारः Dr. S. Suryanarayana Murthy |
194-196 | Sanskrit |
52 | कालिदासस्य धर्मशास्त्रप्रवीणता डॉ. डी. फणियज्ञेश्वर याजुलु |
197-199 | Sanskrit |
53 | आचार्यसम्पदानन्दमिश्ररचितकाव्यत्रये भारतीयसंस्कृतिः बालसाहित्ये योगदानं च नलिनाक्षपण्डा |
200-201 | Sanskrit |
54 | यज्ञसंस्था एक समाजसंस्था डा. ओंकार यशवन्त सेलूकरः |
202-205 | Hindi |
55 | शैवशास्त्रनिरूपितात्मतत्त्वविमर्शः Srijib Goswami |
206-208 | Sanskrit |
56 | भवभतिनाटकेषु वर्णाश्रमव्यवस्था डॉ. स्वेता आर्या |
209-211 | Sanskrit |
57 | वश्वे संस्कृतस्य महत्त्वम् Dr Shaik Nagamastanvali |
212-214 | Sanskrit |
58 | A note on preservation of language in ancient time Dr. Prasad Joshi and Dr. Shilpa Sumant |
215-216 | English |