नरेंद्र मोहन की कविताओं में मानवाधिकार (‘शर्मिला इरोम तथा अन्य कविताएँ’) के विशेष सन्दर्भ में Post navigation श्री श्रीरामचन्द्रदु महोदय विरचित “समसामयिकम” इति लघुकाव्य समीक्षाअर्हन्नये लोकस्वरूपम्