S. No. | Manuscript Title & Author | Page No. | Read Article | Language |
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1 | आचार्य एच्.वि.नागराजवर्याणां शतककाव्यस्थ सुभाषितानां सामाजिकमनुशीलानाम् किरण शङ्कर भट्टः |
01-04 | Sanskrit |
2 | आधुनिक परिप्रेक्ष्य में योग और उसकी प्राचीनता उर्मिला देवी |
05-07 | Hindi |
3 | गायत्र्या महत्त्वम् डां. खेमचन्दः |
08-09 | Sanskrit |
4 | पौरोहित्यदिशा श्राद्धस्यापरिहार्यता डां. खेमचन्दः |
10-12 | Sanskrit |
5 | वदनचन्द्रपञ्चाशिकातत्त्वानुशीलनम् कमलिनी पण्डा |
13-15 | Sanskrit |
6 | व्याकरणदर्शने कालशक्तिः डा. प्रियव्रतमिश्रः |
16-19 | Sanskrit |
7 | स्मृतिशास्त्रों में वर्णित “पञ्चमहायज्ञ” सुजन सरकार |
20-22 | Sanskrit |
8 | व्याकरणदर्शने नित्यशब्दः कार्य्यशब्दश्च Pradip Mandal |
23-26 | Sanskrit |
9 | लोक साहित्य की अवधारणा ‘‘संस्कृत लोककथा के परिप्रेक्ष्य में’’ डॉ. के.आर. सूर्यवंशी |
27-30 | Hindi |
10 | आचार्यक्षेमराजस्य व्यक्तित्वकृतित्वञ्च डॉ. चन्द्र किशोर |
31-35 | Sanskrit |
11 | बौद्धों की उपाय कौशल्य पारमिता की आधुनिक समय में प्रासंगिकता डॉ. पूजा |
36-39 | Hindi |
12 | अष्टाध्याय्यां पाणिनिप्रोक्ताः दश आचार्याः तेषाञ्च अभिमतं समीक्षात्मकाध्ययनमेकम् Pradip Mandal |
40-44 | Sanskrit |
13 | उपमालङ्कारप्रयोगे कविः श्रीप्रमोदचन्द्रमिश्रः निखिल केशरी |
45-47 | Sanskrit |
14 | बालसभा सह शैक्षिक गतिविधि का विद्यार्थियों के नेतृत्व विकास पर लिंगकारक तथा क्षेत्रीयता के प्रभाव का अध्ययन डॉ. ऋचा मेहता |
48-53 | Hindi |
15 | माध्यान्दिनसंहितायां दर्शपूर्णमासप्रकरणे कृष्णप्रतिपद्दिनकृत्यम् रविन्द्र कुमार त्रिपाठी |
54-56 | Sanskrit |
16 | दर्शपूर्णमासयागस्य कर्मणां विमर्शः रविन्द्र कुमार त्रिपाठी |
57-58 | Sanskrit |
17 | वास्तुशास्त्रे गृहारम्भविमर्शः पवन कुमार तिवारी |
59-62 | Sanskrit |
18 | नैषधं विद्वदौषधम् डा. ई. प्रकाशः |
63-65 | Sanskrit |
19 | गौतममतेन अष्टऽऽत्मगुणः लिसाराणी विन्धाणि |
66-68 | Sanskrit |
20 | श्रीमद्रामायणाश्रितानां दृश्यश्रव्यकाव्यानां विश्लेषणम् C. Badri Narayanan |
69-71 | Sanskrit |
21 | Role Of Ict In Micro-Teaching Saheli Majumder |
72-75 | English |
22 | Relevence Of Mitrabheda To Contemporary Management As Envisaged In Ancient Sanskrit Literature. Smt D.V.Padma |
76-79 | English |
23 | श्रीमद्भागवते गीतानामुपादेयता दिव्याराणी त्रीपाठि |
80-82 | Sanskrit |
24 | संस्कारतत्त्वये नामकरणंसंस्कारस्य उद्देस्यम् Sudhamayee pati |
83-85 | Sanskrit |
25 | सांख्यकारिकादिशा प्रकृतिपुरुषयोर्वर्णनम् हिमांशु रतूड़ी |
86-89 | Sanskrit |
26 | Yoga (Yog) For All Adarsh Tomar |
90-91 | English |
27 | शतपथब्राह्मणमहत्त्वम् Alok Chandra Parida |
92-95 | Sanskrit |
28 | मनुस्मृतौ नारी Nirnala Siddarameswara Sarma |
96-97 | Sanskrit |
29 | समाज व्योम के दार्शनिक पिंड: कबीर डॉ. अंजन कुमार |
98-100 | Hindi |
30 | वाल्मिकीरामायणसुगमरामायणयोः तोलनम् टि.सचिन् शर्मा |
101-103 | Sanskrit |
31 | मार्कण्डेयपुराणदिशा योगतत्त्वानुशीलनम् डॉ. कृष्णचन्द्रकविः |
104-106 | Sanskrit |
32 | अक्षरब्रह्मस्वरूपविमर्शः डॉ. दामोदर परगाँई |
107-109 | Sanskrit |
33 | पूर्व-मध्ययुगीन काल तथा मालवा की वर्ण एवं जातिगत व्यवस्थाएं गुलाबराव डोंगरे, डॉ. विजेता चौबे |
110-112 | Hindi |
34 | हिमानीकाव्ये सामाजिकतत्त्वानि अनुराधा बेहेरा |
113-117 | Sanskrit |
35 | नकुलीशपाशुपतदर्शने गुरुस्वरूपम् भुवनेश भारद्वाजः |
118-122 | Sanskrit |
36 | विशिष्टाद्वैतवेदान्तस्तदीयज्ञानमीमांसा च डा. सुदर्शनन् एस् |
123-126 | Sanskrit |
37 | भारतीय दर्शन एवं विज्ञान में अन्तःसम्बन्ध डॉ. सस्मिता बन्दर नायक |
127-131 | Hindi |
38 | व्रतेदर्शपूर्णमासयागाध्ययनम् आचार्य नितेश कुमार झा |
132-135 | Sanskrit |
39 | भक्तियोग से चित की स्थिरता शिव शंकर |
136-138 | Hindi |
40 | श्रीमद्भगवद गीता के द्वारा आध्यात्मिक दुखो का प्रबंधन अभिषेक कुमार |
139-142 | Hindi |
41 | अष्टांग योग में वर्णित यम-नियम का मानव जीवन पर प्रभाव जसवन्त कौर |
143-145 | Hindi |
42 | योग में ध्यान प्राक्रिया एवं उपाय बलवीर सिंह , प्रोफेसर महेश प्रसाद सिलोडी़ |
146-149 | Hindi |
43 | आदिवासी समाज : अस्मिता का प्रश्न डॉ. ज्योति रानी |
150-152 | Hindi |
44 | काव्यस्यात्मा रीतिः डा.वि.सूर्यप्रभा |
153-155 | Sanskrit |
45 | व्यक्तिविकासे धर्मस्य नित्योपादेयता डॉ. सीहेच्. नागराजु |
156-157 | Sanskrit |
46 | पारस्करगृह्यसूत्रे वैवाहिकव्यवस्था-एकम् अध्यनम् सरोज महानन्दः |
158-160 | Sanskrit |
47 | मिथिलेश्वर के उपन्यास ‘सुरंग में सुबह’ में राजनीतिक यथार्थ किरन पूनिया |
161-163 | Hindi |
48 | मानवानां कृते पर्यावरणप्रदूषण-संरक्षणविषये जागरणम् Dr. Sujan Biswas |
164-167 | Sanskrit |
49 | रामायण काले भारतीय संस्कृतिः Dr.T.Venkateswarlu |
168-170 | Sanskrit |
50 | किरातार्जुनीये रसपरिपाकः Dr. G. Sireesha |
171-173 | Sanskrit |
51 | रघुवंशमहाकाव्यस्य कारक निक्षेषणम् सुनिता डोडवाड़िया |
174-186 | Sanskrit |
52 | भौम-दोष विमर्श प्रो. विनोद कुमार शर्मा |
187-190 | Hindi |
53 | उत्तर मध्य भारत के चित्रित शैलाश्रय: एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य प्रो. शीतला प्रसाद सिंह |
191-195 | Hindi |
54 | गर्भरक्षणसंस्कारवर्णनम् P. Srivivasa Swamy Ayyangar |
196-197 | Sanskrit |
55 | मुहूर्ते बलाबलविचारः प्रो. वि.उण्णिकृष्णन् नम्पियातिरिः |
198-199 | Sanskrit |
56 | प्राथमिक स्तर के शिक्षको के समायोजन का उनके शिक्षण दक्षता पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन विमल कुमार शुक्ल, डॉ. प्रवीन कुमार सिंह |
200-205 | Hindi |
57 | श्रीवेङ्कटाचलमाहात्म्ये स्वामिपुष्करिणीतीर्थप्रशस्तिः Dr.PTG Bharatasekharacharyulu |
206-208 | Sanskrit |
58 | भारतीय साहित्य और राष्ट्रीय एकता : अनेकता में एकता की भावना डॉ. पी. बालजी |
209-210 | Hindi |
59 | जीवनीपरक उपन्यास: स्वरूप और विषय वस्तु डॉ. सुरेन्द्र कुमार |
211-216 | Hindi |