S. No. | Manuscript Title & Author | Page No. | Read Article | Language |
---|
1 | महाभारत में राजधर्म एवं मानव कल्याण का बिकास और प्रभाब Prasanjit Barman |
01-06 | Hindi |
2 | सिद्धान्तकौमुद्याः सुखबोधिनितत्त्वबोधिन्याख्ययोः माहेस्वरसूत्राणि सूर्यकान्तदास: |
07-09 | Sanskrit |
3 | रणेन्द्र की कविताओं में स्त्री-लोक परिवेष की सहजता और सघनता रेखा कुमारी |
10-12 | Hindi |
4 | श्रीमद्रामायणे सुन्दरकाण्डे तृतीयसर्गे व्याकरणदृष्ट्या सन्धिपदानामध्ययनम् सूर्यकान्तदास: |
13-15 | Sanskrit |
5 | होराकृष्णीये राहुकेत्वोः विशेषविचारः Murali Krishna. V |
16-17 | Sanskrit |
6 | तर्कामृतदिशा हेत्वाभासस्वरूपम् अनिन्दिता नन्दी |
18-21 | Sanskrit |
7 | संस्कृतदृश्यकाव्येषु दर्शनप्रभावः Kabery Hossain |
22-28 | Sanskrit |
8 | प्रह्लादविजयमहाकाव्यमातृकायाः पर्यालोचनात्मकम् अध्ययनम् Priyanka Moharana |
29-31 | Sanskrit |
9 | सर्वा खल्वियं शक्तिः Nirakar Samantray |
32-33 | Sanskrit |
10 | आदर्श व्यक्तित्व विकास की आधारशिला: श्रीमद्भगवत गीता के विशेष संदर्भ में आचार्या मीनाक्षी कोठारी, डॉ.रामभूषण बिजल्वाण |
34-36 | Hindi |
11 | सांख्ययोगयो: कैवल्यविमर्श: सबिता बन्धु |
37-38 | Sanskrit |
12 | आधुनिककाले यात्रायाः महत्त्वम् विपिन रयाल |
39-40 | Sanskrit |
13 | ग्रहैः जनितरोगाः संजय कुमार |
41-43 | Sanskrit |
14 | महिलाओं में राजनीतिक चेतना : एक दृष्टि डॉ. अमृता गहलोत |
44-46 | Hindi |
15 | ज्योतिःसाररत्नावल्यानुसारेण उदररोग निर्णयः लिप्सा कुमारी दलाई |
47-49 | Sanskrit |
16 | भारतस्य चन्द्र यात्राः विपिन रयाल |
50-52 | Sanskrit |
17 | ययोगाभ्यासात् जायमानयो सामाजिकव्यवहारपरिवर्तनम् लक्ष्मीकान्त शर्मा |
53-55 | Sanskrit |
18 | How is the Purusha Tattva accepted in Sankhya Arpita Biswas |
56-60 | English |
19 | विज्ञानभिक्षु परिप्रेक्ष्ये प्रकृतिवादे स्थितिः बहुलवादश्च पिन्टुः दासः |
61-65 | Sanskrit |
20 | उत्कलप्रान्तस्य मन्दिराणां स्थापत्यम् मेघा शर्मा |
66-71 | Sanskrit |
21 | अभिराजयशोभूषाणदिशा छन्दोमुक्तकाव्यानुशीलनम् B Mohan Kumar |
72-73 | Sanskrit |
22 | पुराणों में वर्णित मिथिलाञ्चल की सीमा-रेखा डॉ. हरेकृष्ण झा |
74-76 | Hindi |
23 | Revisiting the Abraham Maslow’s Theory in Indian way Dr. B. Rajeswara Rao |
77-79 | English |
24 | वास्तुशास्त्रनुसारं भूमेः अष्टदिक्प्लवत्वफलम् डा.रतीश कुमार झा |
80-82 | Sanskrit |
25 | आधुनिक युग में यज्ञों की प्रासङ्गिकता एवं वैज्ञानिकता विमलेश कुमार राय, डॉ० चूड़ामणि त्रिवेदी |
83-86 | Hindi |
26 | भारतीयज्ञानपरम्परायां राष्ट्रनिर्माणपरिप्रेक्ष्ये संस्कृतस्य भूमिका डॉ. दीपमाला आर्या |
87-92 | Sanskrit |
27 | हिन्दी उपन्यासों में पर्यावरण : एक विश्लेषणात्मक अध्ययन ज्योति |
93-95 | Hindi |
28 | भ्रमरगीत : शहर बनाम गाँव डॉ. राजेश्वरी के. |
96-100 | Hindi |
29 | अग्निपुराणे वर्णितानां औषधीयोद्भिदानां संरक्षणोपाया मधुमितासाहु |
101-103 | Sanskrit |
30 | वैदिकसाहित्ये काव्यतत्त्वानि डॉ. छोटूकुमारमिश्रः |
104-106 | Sanskrit |
31 | शाब्दिकनये शब्दतत्त्वस्वरूपम् डॉ. पशुपतिनाथमिश्रः |
107-110 | Sanskrit |
32 | श्रीबोधिसत्त्वचरितम् में आत्मतत्त्व का चिंतन–एक विश्लेषण ईशा शर्मा |
111-112 | Sanskrit |
33 | प्रयोगवादी कविता : भाषा की प्रयोगशाला सुदेश कुमार |
113-115 | Hindi |
34 | वाक्यपदीयानुसारं सिद्धक्रियाणां साध्यत्वविचारः सन्दीपन-रायः |
116-120 | Sanskrit |
35 | डा. प्रमोदकुमारनायकमहोदयस्य संस्कृतकीर्तिषु नारीभावना गौरी-वसाकः |
121-123 | Sanskrit |
36 | वृद्धावस्था : आदर्श और यथार्थ धीरज कुमार गुप्ता, डॉ. आदित्य कुमार गुप्ता |
124-127 | Hindi |
37 | संस्कृतवाङ्मयेषु शिक्षकस्य गुणाः विशेषता च देवकीनन्दन पति |
128-132 | Sanskrit |
38 | Comparison between Vedic Education and Modern Education Ms. Gauri Hanspal |
133-136 | English |
39 | आधुनिकता और सामाजिक मूल्यों का ह्रास डॉ दीपा शर्मा |
137-139 | Hindi |
40 | महाकवि कालिदास की सञ्चारव्यवस्था- अभिज्ञानशाकुन्तलम् के सन्दर्भ में मोनिका |
140-143 | Sanskrit |
41 | श्रीमद्भागवतमहापुराणस्थोपासनाविद्यायाः एकमनुशीलनम् प्लावनमिश्रः |
144-146 | Sanskrit |
42 | लक्षणास्वरूपम् ड. निवेदिताकर |
147-148 | Sanskrit |
43 | वैश्विकापदः कोरोनासङ्क्रमणस्य ज्योतिषशास्त्रीयं विवेचनम् मनमोहनशर्मा |
149-150 | Sanskrit |
44 | अथर्ववेदपरम्परायां सर्पविषचिकित्सा (विशेषतः आथर्वणपैप्पलादसंहितोऽक्तः सर्पविशनाशनसूक्तं तथा सिद्धसारसंहिताधारेण प्रस्तुतोऽय़ं प्रबन्धः) श्रीमती कविता महापात्र |
151-155 | Sanskrit |
45 | अभिनवशुकसारिका में संस्कृतेतरभाषा शब्द-प्रयोग डा चमन लाल |
156-157 | Hindi |
46 | नवयोगीन्द्राः अप्पन रमादेवी |
158-160 | Sanskrit |
47 | Vocational Education and its Principles Tanigadapa Kesava Rao |
161-162 | English |
48 | भागवतवेदान्तोभयसिद्धान्तानुरोधेन आत्मतत्त्वविमर्शः शिवप्रसाद पाठी |
163-165 | Sanskrit |
49 | आदिवासी दर्शन और मानव कल्याण का प्रश्न अनु सुमन बड़ा |
166-168 | Hindi |
50 | धनपालप्रणीतायां तिलकमञ्जरिकथायां दार्शनिकचिन्तनम् मण्टु कुमार जाना |
169-174 | Sanskrit |
51 | ‘संस्कृत मृतभाषा है : मिथक का एक विवेचनात्मक अध्ययन’ शैलेश कुमार कुशवाहा |
175-178 | Hindi |
52 | উপনিষদ্গ্রন্থানুসারে শিক্ষার স্বরূপ দীপান্বিতা দাস পড়্যা (Dipanwita Das Paria) |
179-183 | Sanskrit |
53 | श्रीपाञ्चरात्रे अनिरुद्धसंहितायाः वैशिष्ट्यम् Dr. PTG Ranga Ramanujacharyulu |
184-187 | Sanskrit |