भर्तृहरि के दर्शन में ‘ध्वनि और ‘नाद’ का स्वरूप Post navigation शिवपुराणान्तर्गत योगकाण्वसंहिताभाष्यकारेषु अनन्ताचार्यस्य भाष्योत्कृष्टत्वम्