महाभारत में राजधर्म एवं मानव कल्याण का बिकास और प्रभाब Post navigation स्वरितश्च सर्वत्रेति सूत्रार्थविचारःसिद्धान्तकौमुद्याः सुखबोधिनितत्त्वबोधिन्याख्ययोः माहेस्वरसूत्राणि