रूपक एवं उंपरूपकों में एकांकी Post navigation ईशदत्तविरचितप्रतापविजये पाणिनीयदिशा समासस्वरूपविमर्शःगाथा सप्तशती में व्यक्त मानवीय मूल्य का स्वरूप एवं उसका विवेचन