वास्तुदेवों के लिए बलिद्रव्यों का विवेचन Post navigation श्रीमद्भगवद्गीता में चतुर्विध पुरुषार्थ की अवधारणायोगदर्शनानुसारेण जीवनविधाने सामाजिकप्रासङ्गिकतायाः स्वरुपम्