‘समर शेष है’ उपन्यास में स्वातंत्र्योत्तर ग्रामीण यथार्थ Post navigation लोक-साहित्य में आर्थिक-चिन्तनआगमेषु कर्षणादि प्रतिष्ठान्त मुहूर्त परिशीलनम्