S. No. | Manuscript Title & Author | Page No. | Read Article | Language |
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1 | Importance of Direct and Translation method in Sanskrit language teaching Bikash Das |
01-04 | English |
2 | बङ्गीयेषु संस्कृतछात्राणां सर्जनात्मकशक्तेरध्ययनम् Raju Biswas |
05-07 | Sanskrit |
3 | उमामहेश्वरकवेः श्रीदुर्गानुग्रहमहाकाव्यकथा टि.लावण्या |
08-12 | Sanskrit |
4 | पश्चिमबङ्गीयेषु उच्चमाध्यमिकस्तरीयसंस्कृतछात्राणां शौक्षिकोपलब्धेः अध्ययनम् Raju Biswas |
13-15 | Sanskrit |
5 | मुद्राराक्षसनाटके कृत्तद्धितसमासप्रयोगाणामध्ययनम् Ankush Kate |
16-17 | Sanskrit |
6 | संस्कृत के प्रमुख रूपकों में नारी की स्थिति एवं अधिकार पुष्पेन्द्र कुमार सेवक |
18-27 | Hindi |
7 | शनिजनितव्याधिविचार: प्रशान्त: |
28-31 | Sanskrit |
8 | प्रश्नशास्त्रे वृष्टिविचारः ख्यालानन्दः |
32-35 | Sanskrit |
9 | पर्यावरण संरक्षण का वेदों में वर्णन उर्मिला देवी |
36-38 | Hindi |
10 | नामधेयपादस्य समीक्षणम् डॉ.आशीष यादव |
39-41 | Sanskrit |
11 | मृत्युयोगानां विचारे ज्योतिषशास्त्रस्य भूमिका विरेन्द्रकुमार: |
42-44 | Sanskrit |
12 | गृहारम्भे लग्नशुद्धि: सोनू शर्मा |
45-47 | Sanskrit |
13 | वेदस्यापौरुषेयत्वविमर्श: डॉ.आशीष यादव |
48-50 | Sanskrit |
14 | देशान्तरीयशुद्धिव्यवस्थापेक्षया वङ्गीयशुद्धिव्यवस्थायाः वैशिष्ट्यविचार: बावलुप्रामानिकः |
51-54 | Sanskrit |
15 | आत्मनेपदप्रयोगाणां संस्कृतसम्भाषणे प्रासङ्गिकता सुकान्त प्रामानिकः |
55-58 | Sanskrit |
16 | कुँवर नारायण की काव्य-दृष्टि अभिनव प्रकाश |
59-61 | Hindi |
17 | ताजिकशास्त्रोक्त इत्थशालादिषोडशयोगानां महत्त्वम् Pankaj Sharma |
62-64 | Sanskrit |
18 | पाञ्चरात्रोक्तदेवालयोत्सवः सामाजिकप्रयोजनञ्च K.H. Rajesh Kumar |
65-69 | Sanskrit |
19 | संस्कृतावधानम् – पिशुपाटिचिदम्बरशास्त्रिणः योगदानम् B. Aparna |
70-72 | Sanskrit |
20 | ऐहोल शिलालेख एवं पुलकेशी द्वितीय डॉ.मोना बाला |
73-75 | Hindi |
21 | संस्कृतव्याकरणशिक्षणाय सूचनासम्प्रेषणप्रविधिः आर्. कोदण्डपाणिः |
76-78 | Sanskrit |
22 | अपने सामने काव्य संग्रह में निहित आत्मसंघर्ष का स्वर अभिनव प्रकाश |
79-81 | Hindi |
23 | ब्रह्मसूत्रे आनन्दमयपदग्रहणप्रयोजनम् एम्. विद्यानिधिः |
82-83 | Sanskrit |
24 | विद्यापीठीय वराहमिहिरवेधशालाया: परिचय: शम्भूदत: |
84-86 | Sanskrit |
25 | कृष्णा सोबती के कथा साहित्य में नारी डॉ. शत्रुघ्न शरण सिंह |
87-89 | Hindi |
26 | तैत्तिरीयसंहितायाम् यज्ञसम्पृक्तमन्त्र –विनियोगन्तर्गता तत्त्वानामाध्यात्मिक विश्लेषणम्। Chandan Das |
90-91 | Sanskrit |
27 | धर्मशास्त्रे दानस्य सीमान: मनोजकुमारदास: |
92-93 | Sanskrit |
28 | २.२.मत्स्यपुराणे वीररसः G.T.Srikrishnabharadwaja |
94-97 | Sanskrit |
29 | अनुसूचितजनजातेः सामाजिकी तथा शैक्षणिकी समस्या इत्यस्मिन् विषये अन्तर्दृष्टि ममता दासः |
98-100 | Sanskrit |
30 | रुक्मिणीशविजयमहाकाव्ये शब्दालङ्कारेषु अनुप्रासवैशिष्ट्यम् डॉ.के.एल् पवनकुमार: |
101-103 | Sanskrit |
31 | श्रीदुर्गासप्तशत्यां प्रयुक्तभावकर्मप्रयोगसमीक्षणम् Harishchandra Jha |
104-107 | Sanskrit |
32 | श्रीमद्भागवतदशमस्कन्धे अद्वैततत्त्वप्रतिपादनम् रासमणि घोडइ |
108-112 | Sanskrit |
33 | अलङ्कारमकरन्दे आनन्दवर्धनमम्मटयोः प्रभावः Chandra Raghavendra |
113-115 | Sanskrit |
34 | श्रीदुर्गासप्तशत्यां प्रयुक्तणिजन्तप्रयोगसमीक्षणम् Harishchandra Jha |
116-118 | Sanskrit |
35 | रोगोत्त्पत्ते: कारणानि उपचाराश्च नीरजभारद्वाज: |
119-123 | Sanskrit |
36 | ग्रहाणां कालांशविवेचनम् दिवेश शर्मा |
124-126 | Sanskrit |
37 | राष्ट्रसमृद्ध्यै सामवेदीय चिन्तनानि Dr Girijaprasad Shadangi |
127-130 | Sanskrit |
38 | शिक्षाष्टकस्यैका समीक्षा डा. सोमनाथदाश: |
131-134 | Sanskrit |
39 | विश्वबन्धुत्वभावनानिर्माणे धर्मस्य भूमिका डा. दिल्लीपकुमारमिश्रः |
135-137 | Sanskrit |
40 | अग्निपुराणे गोचिकित्सा वर्णनम् G.Amareswara Kumar |
138-140 | Sanskrit |
41 | लोके इत्यादि मीमांसाभाष्यारम्भवचनस्य षडर्थविमर्शः डा. टि.उमेशः |
141-143 | Sanskrit |
42 | मम्मटविश्वनाथयोर्नये काव्यालंकारयोः सम्बन्धः डॉ. प्रसन कुमार पण्डा |
144-147 | Sanskrit |
43 | देवीभागवत्पुराणे स्त्रीप्रत्ययान्तप्रयोगविचारः Riya Chakraborty |
148-152 | Sanskrit |
44 | हिन्दुविवाहविधिः Dr. Sitansu Bhusan Panda |
153-157 | Sanskrit |
45 | श्रीकालिकापुराणे तद्धित शव्दानां प्रयोगः Shrabani Manna |
158-161 | Sanskrit |
46 | धर्मशास्त्रसाहित्यस्य ऐतिह्यं क्रमविकासश्च Dr. Sitansu Bhusan Panda |
162-166 | Sanskrit |
47 | VEDIC DHARMA Dr.Satrughna Panigrahi |
167-169 | English |
48 | गङ्गवंशीयाभिलेखेषु गुणविवेचनम् डा.विष्णुप्रसाददाशः |
170-174 | Sanskrit |
49 | संस्कृतसाहित्ये योगस्य संदर्भाणां विवेचनम् सतपाल सिंह: |
175-177 | Sanskrit |
50 | शूद्रों के घरों का अन्न भी भक्ष्य था डॉ.आरती रानी |
178-181 | Hindi |
51 | धर्मशास्त्रे विवादपदेषु ऋणादानस्य प्राधान्यम् डॉ. अनिलकुमारदाश: |
182-183 | Sanskrit |
52 | रससूत्रस्योपरि भट्टनायकजगन्नाथयोः व्याख्यानमध्ये तुलनात्मकं विश्लेषणम् मिथुनकुमारशतपथी |
184-186 | Sanskrit |
53 | चतुर्दश माहेश्वरसूत्रेभ्यः अष्टाध्याय्याः विविधसूत्रेषु द्वाचत्वारिंशतः प्रत्याहारसंज्ञानां प्रयोगः समीक्षात्मकाध्ययनमेकम् Pradip Mandal |
187-191 | Sanskrit |
54 | भारतीय ज्योतिष का उद्भव से 1951 तक का इतिहास विभिन्न मतों के अनुसार विवेचन सुरेश कुमार शर्मा |
192-196 | Hindi |
55 | श्रीमद्रामायणे उपसर्गाणां प्रयोगवैभवम् डा. पि. स्वप्नहैन्दवी |
197-201 | Sanskrit |
56 | विद्यालयप्रशिक्षुता (School Internship) प्रो.पि.वेङ्कटरावः |
202-205 | Sanskrit |