S. No. | Manuscript Title & Author | Page No. | Read Article | Language |
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1 | हरदत्तः-रामायणम्-महाभारतम्-गोपथब्राह्यणम्-मुण्डकोपनिषदित्यादिग्रन्थेषु शब्दशास्त्रस्य कृते व्याकरण शब्दस्य प्रयोगो कथं दृश्यते ? डॉ. जगदीश प्रसाद जाटः |
01-05 | Sanskrit |
2 | जुमरदीक्षितयोः तुलना अरविन्दनायकः |
06-08 | Sanskrit |
3 | फूलों की खुशबू और बारूद का गंध प्रज्ञा परमिता |
09-10 | Hindi |
4 | नारी सशक्तिकरण की दशा एवं दिशा : भारतीय चिन्तन दृष्टि योगेश कुमार मिश्र |
11-14 | Hindi |
5 | यज्ञानां रोगोपशामकत्वम् मधुस्मिता डेका |
15-17 | Sanskrit |
6 | पतिव्रता नारी – द्रौपदी श्रीमती सुनिता सेंगाडा |
18-23 | Hindi |
7 | पञ्चाङ्गविवरणम् P.S.S. Koushik Sarma |
24-26 | Sanskrit |
8 | हिन्दी गज़ल के सशक्त हस्ताक्षर गज़लकार दुष्यंत कुमार Dr.Mayuri Mishra |
27-31 | Hindi |
9 | ज्योतिश्शास्त्रे करणग्रन्थानां प्रासस्त्यम् P.S.S. Koushik Sarma |
32-34 | Sanskrit |
10 | मृच्छकटिकप्रकरणे प्राकृत भाषायाः प्रयोगः डा.विरेन्द्र कुमार षडङ्गी |
35-37 | Sanskrit |
11 | उदर रोग डॉ.संजीव कुमार |
38-40 | Hindi |
12 | स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी कहानी में मानव मूल्य और मूल्यबोध Dr.Mayuri Mishra |
41-43 | Hindi |
13 | नारीधर्मः – एकं विवेचनम् Dr. Manoranjan Senapaty |
44-47 | Sanskrit |
14 | Manu and women: An assessment Rajib Sarmah |
48-50 | English |
15 | नीतिशतके ल्युट्प्रत्ययान्तशव्दानां समीक्षणम् Subhashree Priyadarsani |
51-53 | Sanskrit |
16 | Concept of Brahmacarya in Upaniṣads Namita Kumari Naik |
54-56 | English |
17 | वैदिकवाङ्मये समाजस्वरूपविचार: रमाशंकर मिश्र |
57-60 | Sanskrit |
18 | श्रीमद्भगवद्गीतायां योगतत्त्वस्य स्वरूपम् नवीन कुमार |
61-63 | Sanskrit |
19 | वैदिक ग्रन्थों में वैद्य एवं आयुर्वेद डॉ. इतेन्द्र धर दूबे |
64-69 | Hindi |
20 | प्राचीन भारतीय साहित्य एवं लोक जीवन में किन्नर बृजेन्द्र कुमार त्रिपाठी |
70-72 | Hindi |
21 | वैयाकरणसिद्धान्तलघुमञ्जूषाया वृत्त्यर्थप्रकरणस्य समीक्षणम् डॉ. सांवरियालालशर्मा |
73-75 | Sanskrit |
22 | पूर्वपक्षव्याप्तिविमर्शः दिवाकर मोहान्ती |
76-79 | Sanskrit |
23 | रामायण और महाभारत काल की सामाजिक व्यवस्था कुमारी अनुराधा |
80-84 | Hindi |
24 | The the concept of Mind in Yogavasishtha B.Surender |
85-87 | English |
25 | Influence Of Indian Logic In Poetics Dr. N. A Shihab |
88-89 | English |
26 | योगतत्त्वोपनिषदाख्ये योगग्रन्थे मुद्राष्टकविवरणम् शिवप्रसादरेड्डि तिरुमलरेड्डि |
90-92 | Sanskrit |
27 | कालिदासीयसाहित्ये लैङ्गिकीसमानता श्रीनेहलः एन. दवे |
93-98 | Sanskrit |
28 | सर्वङ्कषाटीकायां कोशोद्धृतीनां प्रामाणिकताविचारः : एकमध्ययनम् मृत्युञ्जयगराँइ |
99-103 | Sanskrit |
29 | ब्रह्मवैवर्त्तपुराणोक्तजातिप्रथायाः वास्तविकस्वरूपम् Dr. Paramita Panda |
104-105 | Sanskrit |
30 | आचार्य मनु के अनुसार मनुस्मृति समाज एवं धर्म को अनुशासित करने वाला ग्रन्थ है डॉ.नन्दनी समाधिया |
106-107 | Hindi |
31 | वाल्मीकिरामायणे वैदिकोपाख्यानम् : एकं समीक्षात्मकमध्ययनम् अभिषेकमाहातः |
108-111 | Sanskrit |
32 | महाराजानां सतीर्थ्याः डॉ. मुकेश कुमार डागरः |
112-113 | Sanskrit |
33 | महात्मा गाँधी का राष्ट्रीय भाषा हिंदी में योगदान अशोक कुमार सेन |
114-115 | Hindi |
34 | लौकिकसाहित्ये गोतत्त्व विमर्श: डॉ. नानूराम जाटः |
116-120 | Sanskrit |
35 | स्मृतियों में पर्यावरण : वायु तत्त्व डॉ० प्रबोध कुमार पाण्डेय |
121-123 | Hindi |
36 | भरतवाक्यम् Dr. Katamalli Leena Chandra |
124-126 | Sanskrit |
37 | Youths In Indian Higher Education Dr. A.Suneetha |
127-129 | English |
38 | व्याकरणशास्त्र में एकसंज्ञाधिकार और विप्रतिषेध देवनाथ त्रिपाठी |
130-131 | Hindi |
39 | शाकलशाखायां विकृतिपाठोपदेशः-एकमध्ययनम् श्री वा.गणेशप्रसाद भट्टः |
132-134 | Sanskrit |
40 | वर्तमानेसमाजे वैदिकसाहितस्य प्रभावः प्रासङ्गिकता च कमलिनी पण्डा |
135-136 | Sanskrit |
41 | वेद परिचयः Dr. Niranjan Mishra |
137-139 | Sanskrit |
42 | अस्तिकदर्शनानुसारेण मोक्षः तन्निराकरणञ्च Sudipta Dey |
140-144 | Sanskrit |
43 | प्रमाणेषु नव्यन्यायस्य प्रभावः अर्णवघोषालः |
145-147 | Sanskrit |
44 | छप्पर उपन्यास में दलित चेतना का स्वर डॉ. विनोद मीणा |
148-150 | Hindi |
45 | धूमिल की कविताओं में ‘राजनीति और विरोध का स्वर’ पार्वती बारिक |
151-153 | Hindi |
46 | जैन सिद्धांत में कारण-कार्य भाव डॉ. कुलदीप कुमार |
154-156 | Hindi |
47 | जूठन (खण्ड – 2) आत्मकथा में ‘उपनाम’ संबंधि विषमताएँ दीप्ति डिगल |
157-160 | Hindi |
48 | ओड़िशी संस्कृति के महत्वपूर्ण पक्ष (बीसलदेव रासो के संदर्भ में) स्नेहलता दास |
161-164 | Hindi |
49 | शैवधर्मस्य परिचयः मोहन लाल शर्मा |
165-166 | Sanskrit |
50 | Great living food habits from yogic scriptures Dr. T. Shivakumar |
167-172 | English |
51 | कारक-प्रकरणे अर्थविभक्ति: Pradip Mandal |
173-179 | Sanskrit |
52 | सुसंहतभारतनाटके सप्तप्रकृतयः P. Swapna Priya |
180-182 | Sanskrit |
53 | भारतीयबौद्धिकात्मनिर्भरतामूलँस्संस्कृतवाङ्मयम् डा. रामचन्द्रशर्मा |
183-186 | Sanskrit |
54 | भारतीय स्वाधीनता संग्राम और कथाकार मुंशी प्रेमचन्द डॉ. ज्योति रानी |
187-189 | Hindi |
55 | प्रेमचंद के कथा साहित्य की स्त्रियाँ : विश्लेषणात्मक अध्ययन डॉ. निर्मला सिंह |
190-193 | Hindi |
56 | आदिवासी समाज में मातृसत्ता डॉ. औंकार लाल मीणा |
194-195 | Hindi |
57 | अलङ्कारसिद्धान्तपरम्परायां रामचन्द्रगुणचन्द्रौ डॉ. सीहेच्. नागराजु |
196-197 | Sanskrit |
58 | न्याय-वैशेषिक दर्शन के अनुसार मन डॉ. हरि पालवे |
198-200 | Hindi |
59 | हिन्दी में गीतांजलि श्री के उपन्यासों में अभिव्यक्त स्त्री प्रश्न इन्द्र कुमार यादव |
201-203 | Hindi |
60 | 1857 के संग्राम की गुमनाम वीरांगनाएं डॉ.पुष्पादेवी |
204-206 | Hindi |