S. No. | Manuscript Title & Author | Page No. | Read Article | Language |
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1 | गुप्त शासक कुमारगुप्त प्रथम (415-455 ई.) रुक्मणि |
01-11 | Sanskrit |
2 | रीतिकाव्य और स्त्री यौनिकता के सवाल डॉ० गरिमा सिंह |
12-15 | Hindi |
3 | श्रीमन्महाभारते राजनीतिः Dr.S.Sitarama Rao |
16-20 | Sanskrit |
4 | जैनदर्शनानुसारं मोक्षतत्त्वार्थस्य विवेचनम् गुंजन जैन |
21-23 | Sanskrit |
5 | सर्वकारीयसैनिकयोगाः बापुजी कुमार दीक्षीत |
24-26 | Sanskrit |
6 | मीमांसा शास्त्रे षष्ठाध्याये सामविचारः श्रीरामः के |
27-29 | Sanskrit |
7 | योगोपनिषत्सु योगविघ्नाः – तेषां निवारणोपायाश्च नितिश कुमार मिश्रः |
30-33 | Sanskrit |
8 | वैदिक यज्ञों का इतिहास एवम उनमें निहित विज्ञान सोनल नरवरे |
34-40 | Hindi |
9 | गाङ्गेयम् उपन्यास में वर्णित तीर्थ स्थल एवं उनका माहात्म्य राकेश कुमार गोरा, प्रो. डॉ. सीमा चौधरी |
41-44 | Hindi |
10 | श्रीरुक्मिणीशविजयमहाकाव्ये यमकालङ्कारसौन्दर्यम् जगन्नाथ लक्ष्मण देसाई |
45-48 | Sanskrit |
11 | ॥ उपनिषत्सु आख्यायिका निर्वचनम् ॥ (upaniṣatsu ākhyāyikā nirvacanam) Sri.Shrivatsa G S, Dr. Naveen Bhat |
49-55 | Sanskrit |
12 | योग में यौगिक चिकित्सा का आयाम डॉ पूनम आहूजा |
56-58 | Hindi |
13 | लालमणिदैवज्ञविरचितप्रश्नसुधाकरग्रन्थोक्तानां वर्षासम्बन्धियोगानां विवेचनम् विघ्नेश अय्यरः, प्रो. हंसधरझाः |
59-62 | Sanskrit |
14 | महाकवि कालिदास के रघुवंश महाकाव्य में लोकपरंपरा डॉ. के. आर. सूर्यवंशी |
63-65 | Hindi |
15 | उपनिषत्षु समुपवर्णितानि शान्तितत्तानि Sujoy Satvaya |
66-68 | Sanskrit |
16 | अध्यासवाद और शांकर अद्वैत दर्शन: संजीता कुमारी |
69-70 | Hindi |
17 | बौद्ध-सिद्धों के तान्त्रिकत्व का विश्लेषणात्मक अध्ययन सीमा, डॉक्टर आशीष पाण्डेय |
71-74 | Hindi |
18 | उपनिषत्सु ईशोपनिषदः स्थानम् Dr. Mithu Rani Maish |
75-78 | Sanskrit |
19 | बृहदारण्यकोपनिषद्विद्यानां समीक्षणम् छायामिश्रा |
79-81 | Sanskrit |
20 | श्रीराघवेन्द्रगुरुणां शास्त्रवैभवम् प्रवीणकुमार् आर् |
82-84 | Sanskrit |
21 | आधुनिक काल में भारतीय ज्ञान परम्परा का महत्व डॉ. जयवन्त चौधरी |
85-87 | Hindi |
22 | सुरभाषायां कोशान्वेषणप्रगतिः एवं शब्देषु अर्थविकारे कारणम् (The Evolution of Sanskrit Dictionaries and The Cause of Transition in words.) Ashwin M, Dr. Padmavathi M Singari |
88-92 | Sanskrit |
23 | मानव के सुखी गृहस्थ जीवन पर योग दर्शन में वर्णित चित प्रसादन के उपाय का प्रभावः- बलवीर सिंह |
93-97 | Hindi |
24 | श्रीराघवेन्द्रस्वामिनः जीवनचरित्रे आधुनिकछात्रेभ्यः मार्गदर्शनम् प्रवीणकुमार् आर् |
98-99 | Sanskrit |
25 | वास्तुरत्नावली – ग्रन्थानुसारेण दिग्ज्ञानविचारः झरणानायक, डॉ.कृष्णकुमारभार्गवः |
100-102 | Sanskrit |
26 | स्वास्थ्यसंरक्षणाय ललितकलायाः आवश्यकता Prakash Gayen |
103-105 | Sanskrit |
27 | शुक्लयजुर्वेदे प्रतिपादितविविधयज्ञानां वैशिष्ट्यं सामाजिकवैज्ञानिकमहत्त्वं च Dr. Krishna Panda |
106-110 | Sanskrit |
28 | दक्षिण भारत के हिन्दू राज्य डॉ. सिन्धु कुमार मिश्र |
111-114 | Hindi |
29 | महिलासशक्तीकरणविषयकाभिवृत्तेरध्ययनम्। परिमल महिष्य दास |
115-116 | Sanskrit |
30 | आत्मविश्वासः – प्रभाविशिक्षणे शिक्षकस्य एकं व्यक्तिलक्षणम् (Self-Confidence: A Personality Trait of Teachers in Effective Teaching) Arun Biswas |
117-120 | Sanskrit |
31 | श्री मद्भागवत गीता में वर्णित कर्मयोग का छात्रों की निर्णय क्षमता पर प्रभाव शिवशंकर |
121-123 | Hindi |
32 | मीमांसादर्शनेषु धर्मशास्त्रस्य मनोविज्ञानं Dr. Krishna Panda |
124-127 | Sanskrit |
33 | समकालीन हिन्दी कथा साहित्य में थर्डजेण्डर की सामाजिक स्थिति का अध्ययन वीरेन्द्र अहिरवार, डॉ. के.सी. जैन |
128-130 | Hindi |
34 | नदी जोड़ो परियोजना : एक बड़ा पर्यावरणीय संकट का आमंत्रण आदित्य प्रताप सिंह |
131-134 | Hindi |
35 | यज्ञादिकर्मकाण्डेषु विज्ञानम्, कर्मकाण्डे प्रतिपादितः आचारः शिक्षा च Dr. Krishna Panda |
135-139 | Sanskrit |
36 | आदिवासी एवं पर्यावरण संरक्षण रूपल दुबे |
140-143 | Hindi |
37 | संस्कृतखण्डकाव्येषु एन्-लक्ष्मीनारायणभट्टविरचितस्य धूर्तचेष्टितमिति काव्यस्य गुरुत्वम् रुबिः राणा |
144-146 | Sanskrit |
38 | शरद पगारे के उपन्यासों में विविध आयाम: राष्ट्र, समाज एवं संस्कृति के संदर्भ में विलाश शुक्ला |
147-149 | Hindi |
39 | हंस पत्रिका में प्रकाशित टेकचंद की कहानियों में दलित विमर्श (सन 2013 से 2024 तक) शुभम राठौर, डॉ. रश्मि जैन |
150-153 | Hindi |
40 | यज्ञाधारितमानवजीवनम् Dr. Krishna Panda |
154-158 | Sanskrit |
41 | प्रभाकरशंकरजोशिप्रणीतस्य ‘भीमायनम्’ महाकाव्यस्य आलोकात् आम्बेदकरवादिनः सामाजिकदायित्वम् विकाशवागः |
159-160 | Sanskrit |
42 | महाभारतभारतीमहाकाव्ये छन्दनिरूपणम् संजयशर्माः |
161-162 | Sanskrit |
43 | कुमारसम्भव में साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संचार पवन कुमार शर्मा |
163-165 | Hindi |
44 | कपालभाति -षट्कर्म और भस्त्रिका -प्राणायाम के सिद्धांत अतुल कौशल |
166-169 | Hindi |
45 | व्याकरणपदार्थ: – एका समीक्षा Sarala Behera |
170-172 | Sanskrit |
46 | An Analytical Interpretation of the Poem ‘Human Salvation’ Dr. Krishna Panda |
173-176 | English |
47 | दर्शनेषु चित्तपदार्थविमर्शः Dr. Krishna Panda |
177-183 | Sanskrit |
48 | तन्त्रागमों में दीक्षा विमर्श: काश्मीर शैवदर्शन के विशेष सन्दर्भ में अनुपम आनन्द |
184-188 | Hindi |
49 | Women Empowerment through Self-Help Groups Abhimanyu Jaiswal, Dr. Awdhesh Chandra Mishra |
189-192 | English |
50 | सीतापरिणयचम्पूकाव्ये गुणप्रयोगसमीक्षणम् रोनालीप्रियदर्शिनि विश्वाल: |
193-195 | Sanskrit |
51 | उदात्तादिस्वराणां हस्तस्वरः विमर्शः डॉ. सत्यजित् पण्डा |
196-199 | Sanskrit |
52 | सीताचरितमहाकाव्ये सीताचरित्रानुशीलनम् राज्येश्वर सरदारः |
200-203 | Sanskrit |
53 | Enlightened: A Literary and Philosophical Analysis Dr. Krishna Panda |
204-206 | English |
54 | विविधानामाचार्याणां मते फलस्य धात्वर्थविचारः डॉ. नरेशकुमारबैरवा |
207-210 | Sanskrit |